जब भी मेरा भारत महान होता है
मेरा दिल सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दोस्तां होने को बेताब होता है
घूसखोर हाथों से जब तिरंगा फहरता है
मेरा दिल क्यों इतना कहरता है
बापू तुम तो भ्रष्ट ऑफिसों में टंगे हो
घुस के लिफाफे में लाखों करोङो में बंधे हो
तुम्हारे आज़ाद बन्दर न बुरा देखते हैं
न बुरा सुनते है न ही बुरा कहते है
सिर्फ कुछ कुछ बुरा करते है
क्योकि बंदरों को बुरा करने से
आपने मना नहीं किया था
सरकार के तीनो बन्दर जब
जम्बू दीप के आर्यावर्त के
भारतभूमि खंड में उछलते है
इंसानियत को जब कुचलते है
मुझे तुम्हारी अहिंसा याद आती है
इन बंदरों सारी हिंसा भूल जाती है
विधायिका के बन्दर बुरा नहीं कहते
न्यायपालिका के बन्दर बुरा नहीं सुनते
कार्यपालिका के बन्दर बुरा नहीं देखते
क्योकि अपना भारत शुरू से महान है
विश्वगुरु का लिया हुआ ज्ञान है
यही तो नए विकास का विज्ञान ं है
यहाँ किस अँधेरे का भान होता है
जब भी मेरा भारत महान होता है
मेरा दिल सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दोस्तां होने को बेताब होता है
अनिल कुमार शर्मा
२३/०९/२०१६