!!जीवनसंगिनी!! तुम साथ न होती तो मेरा जीवन सफल न होता तुम साथ न देती तो मेरा जीवन सरल न होता तुम्हारा साथ ऐसे है जैसे नदी की धारा और किनारा तुमने साथ दिया ऐसे जैसे गगन में चमके चंदा और सितारा
आज कुछ मन खट्टा हुआ तो दैनंदिनी के लिए इतना ही कि - बचपन में वह कभी रोता-हँसता कभी उछल-कूद करता कभी खेल-खिलौने छोड़ किसी चीज की हठ कर बैठता उछल-उछल कर सबको विचित्र करतब दिखलाता हँस.-हँस, हसाँ-हसा