काॅलेज के टाइम की बात है। जब मैं बी.काॅम. द्वितीय वर्ष में पढ़ती थी। एक दिन मैं और मेरी सहेली कविता फ्री लेक्चर में कालेज के बगीचे में बैठे बातें कर रहे थे। बातों बातों में
सखि, क्या तुम जानती हो कि सच्चा प्रेम क्या है ? तुम कैसे जानोगी ? तुमने कौन सा किसी से कभी प्रेम किया है ? जाके फटी नहीं बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई । हां, तुम सुनी सुनाई बातों के आधार पर
मुझे मिला एक वर्चुअल क्लब,तन को स्वस्थ बनाने को।मिला मुझे एक नया तरीका,जीवन का वक्त बिताने को।खाने पीने का पता नहीं था,क्लब से सब कुछ सीख गया।घर बैठे ही जीवन के कुछ,अच्छे नुक्से सीख गया।।दिनचर्या ही ह
प्यार नहीं रहा इस दुनिया में,प्यार के झूठे चेहरे हैं।करें दिखावा अपनों के संग, घाव करे दिल गहरे हैं।तरस रहे मां-बाप प्यार को,सुत को परवाह नहीं रही।कहीं सुत तरसे मां-बाप के प्यार को,आंखें प्यार को
कतरों में जी जिंदगी.... हर कतरे में जिंदगी को ढूंढा... कभी मिली कभी खो गई...एक ख्याल के रास्ते में जब चल निकले तो जिंदगी पीछे पीछे चल दी... मुलाकात हुई उससे लेकिन तब जब उसकी आस खत्म हो चुकी थी...
अपने अपने फ़लसफ़ेये कहानी बताती है कि एक दुर्घटना कैसे ना सिर्फ परिवार को बर्बाद करती है बल्कि व्यक्ति का चरित्र हनन भी करती है, और रिश्तों की परिभाषा पर भी हजार सवाल खड़े करती है। लेकिन ये भी सच ह
घूंघट में बहते इन आँसुवों की क्या क्या कहानी है मुहब्बत में आशिक से बिछड़ जाने की रवानी है कौन कहता है कोई पहला इश्क भूल जाता है सब भूलकर नया सफर शुरू करना ही जिंदगानी है
ज्ञान बांटने का समय ना रहा,घटा छा रही शक की काली।मत समझाओ इस दुनिया को तुम,दुनिया ना है सुनने वाली।।फायदा समझती समझाने को,सच्चाई का गला घुट रहा।इस दुनिया में हर मनुष्य का,एक-दूसरे से विश्वास मिट
चिंता होती है जब मुझे,करता हूं इस गहरी खाई में।आंखें बंद हो जाती है,चिंता की विदाई में।करता हूं कोशिश,ध्यान स्थिर करने की,भृकुटी की ज्योति को,जगाने की।।ध्यान करना ही योगा है,तनावमुक्त होने का सौ
सखि, आजकल मैं बड़े असमंजस में हूं । असमंजस का कारण भी बड़ा खूबसूरत है । लोग मुझसे तरह तरह की सलाह मांगने लगे हैं जैसे कि में "निर्मल दरबार" वाला बाबा हूं और लोगों की समस्याओं का 'चटनियों' से ही स
आज काफी लड़कियों के माँ- बाप अपनी बेटियों बेटे की शादी में बहुत विलंब कर रहे हैं , कारण उच्च शिक्षा और अपने पैर पर बेटी खड़ी हो जाए फिर बेटी कहती है पापा अभी शादी नही जॉब देख ले फिर पापा कुछ पैसा कमा ले
मेरे अंतर्मन में उलझी हैं द्वंद्व भरी अट्टालिकाएँ , दोनों ही छोर मेरे, फिर कैसे मिटे ये दुविधाएँ । कर्म मेरा आराध्य है तो कुटुम्ब मेरा कर्तव्य , दोनों मेरे अभिन्न है फिर कैसे एक ही ध्यातव्य । नदिय
एक दिन सब साथ मिलेंगे होगा सुखद जीवन सफर। विचलित न होना पथ से चाहे बिखरे हों शूल अनेक मिले सफर में कोई भी रखें भावना दिल में नेक भले ही दूर दिखे मंजिल ध्यान रहें न रुके डगर यदि दि
शाम के लगभग 7 बज रहे है, बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी । गाड़ी का वाइपर तेजी से घूम रहा था, बरसात का तेज पानी गाड़ी के शीशे से ज़ोरों से टकरा रहा था मानो जैसे पलभर में सामने दरियाँ उभर आया हो ।रचिता
कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले हकीकत का सामना करने से डरते हैं जो हौंसला रखते सागर पार करने की वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी पर भला भरसक यत्न
🌿दिनांक :- 04/05/22🌿 🌺सुनो न! दैनन्दिनी, मेरी बुक काव्य भारती विजेता घोषित हो गई है। और बहुत जल्द ही प्रिं
हमारे हिन्दू धर्मग्रंथों में आज अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ग से पृथ्वी पर माता गंगा, माता अन्नपूर्णा, भगवान परशुराम, नर-नारायण व हयग्रीव का अवतरण के साथ ही भगवान गणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ और त्रेता
*श्रीपातञ्जलयोगदर्शनम्*योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैद्यकेन।यः अपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनांपतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि॥*अथ समाधिपादः*१. अथ योग अनुशासनम्। २. योगः चित्त वृत्ति निरोध
इतना आसान नहीं योगी का पुन: CM बनना?आप सोच रहे हो कि योगी जी को #प्रधानमंत्री बना देंगे , नहीं पहले योगी जी को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री तो बनाकर दिखावो लगभग पुरी दुनिया को पता है योगी जी का दोबारा म