28 मई 2022 शनिवार समय 11:30 (रात) मेरी प्यारी सहेली, आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। एक बार इसने अगर इंसान में अपनी पैठ बना ली तो फिर किसी भी
सखि, अभी कल परसों ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक बहुत जबरदस्त फैसला सुनाया है । वेश्यावृति के पेशे में लिप्त समस्त औरतों में जश्न का माहौल है । आखिर उनकी "तपस्या" रंग लाई है सखि । तपस्या तो रंग
सखि, आजकल खुशियों ने शायद मेरे घर में स्थाई डेरा डाल लिया है । रोज कोई न कोई खुशखबरी मिल जाती है । आज की सुबह मेरे लिए खास बन गई । आज स्टोरी मिरर से मैसेज आया कि आज मेरी कहानियों की पहली किताब "ह
हमारे उत्तराखंड के गांव में खेती-बाड़ी करके किसी का घर नहीं चल पाता है, इसलिए प्राय: हर घर से कोई न कोई काम-धंधे के तलाश में शहर आकर बस जाता है। क्योंकि हमारे गांव से बड़े शहरों में दिल्ली सबसे निकट है
हां मैं खड़ा नहीं रह सकता इस दुनिया के दबाव में। क्योंकि झूठ बन गया है जन दिल हड्डी कबाव में। मैं सीधा खड़ा नहीं रह सकता हूं, टिकता हूं एक सीमा तक। लेकिन थककर डगमगाने लग जाता हूं, नहीं पहुंच पाता हूं
समूचे विश्व को परम्पराओं, सभ्यताओं और संस्कृत से अवगत कराने वाला देश भारत जाति-पाति, भेद-भाव ऊंच-नीच काला- गोरा सब को समेटे हुए अनेकता में एकता और विविधता का प्रतीक बना हुआ है हमारा देश भारत। आज भारत
सखि, आज का दिन झुलसती गर्मी में शीतलता लेकर आया है । एक दुर्दांत आतंकवादी जिसने पता नहीं कितने हिन्दुओं का नरसंहार किया है और न जाने कितनी बहन बेटियों के साथ दुष्कर्म किया है , उसे टेरर फंडिंग मा
सभी साथियों,पाठको को मेरा नमस्कार ।इस संसार के समस्त प्राणियो का मंगल हो । हम कौन है क्या हम अच्छी तरह से जानते हैं क्या हम अमुख नाम का व्यक्ति है या मै इस पद का व्यक्ति हूँ । बस यही हमारा परिचय होता
सखि, आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है । स्टोरी मिरर एप जो प्रतिलपि जैसा ही है , ने मुझे वर्ष 2021का "ऑथर ऑफ द ईयर अवार्ड : एडीटर्स चॉइस" दिया है । इस अवार्ड की घोषणा तो बहुत पहले ही हो गई थी
24 मई 2022 मंगलवारसमय- 11:10(रात)मेरी प्यारी सहेली, गर्मियों के दिनों में गर्मी और कोल्ड ड्रिंक का चोली दामन का साथ है। बाजार में जहां आज एक से बढ़कर एक कोल्ड ड्र
प्रेम.. कितना सरल शब्द हैं जिसने भी ये दुनिया बनायी हैं न उसने कितने प्रेम से बनाया होगा प्रेम को.. लेकिन उसके ह्रदय से निकल कर संसार में आते आते ये जो प्रेम हैं ना सारे ब्रम्हा
वंचित क्यों किया जाता है,मनुज है तो मनुज समझ।तू भी मनुज है वह भी मनुज,उसे ना तू हीन समझ।दीन है वह इस दुनिया में,तो इसमें उसका क्या है कसूर।क्यों भेद करता है हाड ,मांस के ढांचे में,उसके तन से क्य
पिछले कहीं दिनों से दर्द ने मेरी कमर किराये पर ली है। जब मै सुबह उठता हु तो दर्द खोली मे नहीं होता है। उसका कुछ बिखरा हुवा सामान होता है। जो मुझे महसूस करता रहता है की दर्द फिलहाल तो कमरे मे नहीं है प
सखि, महान नेता सुभाष चंद्र बोस का नारा तो तुमने सुना ही होगा ना कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा । दरअसल नेताजी तब देश से गुहार कर रहे थे कि देश ऐसे लोग उन्हें दे जो इस देश की खातिर बलि
बचपन था मेरा बहुत प्यारा, इस दुनिया से अनजान था बेचारा। जब भी आवाजें आती गगन से, देखता उस गगन का नजारा। उड़ता हुआ एक छोटा सा विमान, गगन में विचरण करता था न्यारा। सोचता था कैसा होगा यह, इ
यह दुनिया है जिंदगी में एक मेला,जहां हर मंजिल पर मनुज है अकेला।भाग-दौड भरी जिंदगी में कभी खुशी कभी गम।इस दुनिया में है खलबली का रेला।दुनिया की भीड़ में देखें है हमने बहुत किरदार,कोई बना हुआ राम कोई वि
जहां देखूं वहीं पर खडे हुए हैवान,निर्दोषों की बलि दे रहे शैतान।मैं ढूंढता फिर रहा हूं इस दुनिया मेंकहां विलीन हो गये इंसान।।जो कटे हुए पंखों से उडना सिखाते थे,जो उजड़े हुए चमन में हरियाली लाते थे,जो आ
#साहस संकट में तू रोता क्यो है हे! वीर धैर्य खोता क्यों है ले धनुष उठा बन जा राघव तू शक्ति हीन होता क्यो है पग के पत्थर को फूल बना तू बाधाओं को धूल बना जब समय तेरे प्रतिकूल बने तब तू इसको
मन में भय होता है बन जाते हैं भूत, उस आंधी रात को, घोर अंधेरा चारों तरफ सन्नाटा, मंदी-मंदी सी हवा, पेड़ों कुछ टहनियां हिल रही थी। उस सुनसान रास्ते पर मैं अकेला निकला, अचानक से देखा, प्रतीत हुआ खड़ा
हमारे बगल वाली बिल्डिंग में एक ऐसा परिवार है, जिनके यहाँ जब-तब एक पंडित जी आकर कोई न कोई पूजा-पाठ करते रहते हैं। वे लोग टोना-टोटकों में भी बड़ा विश्वास करते है। अभी पिछले हफ्ते की बात हैं। उसके घर म