शादी करने का मुझे जब आया ख़्याल
मेरे दिल में उठने लगे अनगिनत सवाल ।
किसे बनाउं मैं अपना हमसफर
हर डगर जो चले मेरे साथ मिलकर
समझ जाए जो हर बात मेरे बिन कहे,
मेरी ख़ुशी में हो जिसकी ख़ुशी ,
कहे वो मुझसे तुम्हीं मेंरी ज़िन्दगी
ऐसा जीवन साथी मैं लाऊं कहां से
अरेंज मैरिज करूं या लव मैरिज
उथल पुथल थी मची मेरे दिल में बड़ी
तभी दिल ने मुझसे कहा, हैं कोई ऐसा,
जो सालों से चाहता है तुझको बड़ा
तुझे देखे बिना क़रार, जिसको आता नहीं
रहता है तेरे आस पास जताता नहीं
मम्मी पापा की भी है वो पहली पसंद
बनाना चाहते हैं वो भी तुझे, उसकी दुल्हन
शादी मैंने बस उसी से करी
लव मैरिज थी मगर सबको अरेंज मैरिज लगी।
सोचा था मैंने जैसा वो वैसा ही निकला,
सोचा था मैंने जैसा वो वैसा ही निकला....
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून ✍🏼