अपनों को छोड़ कर जो परदेस आ गये,
अब लगे हैं दिनों रात रिश्तों की खोज में ।
सय्यदा खा़तून ✍🏼
24 फरवरी 2024
अपनों को छोड़ कर जो परदेस आ गये,
अब लगे हैं दिनों रात रिश्तों की खोज में ।
सय्यदा खा़तून ✍🏼
134 फ़ॉलोअर्स
हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D