बच्ची जब दो महीने की थी तब उसकी मां उसे कथित रूप से छोड़कर चली गई थी। एक तरफ बच्ची इस बीमारी से जूझ रही है जबकि उसकी मां को वापस लाने के प्रयास का कोई परिणाम नहीं आया है।
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में एक गंभीर बीमारी से पीड़ित 4 महीने की एक बच्ची को उसकी मां छोड़कर चली गई जबकि उसके पिता दर दर भटक रहे हैं ताकि वह अपनी पत्नी को अपनी बेटी को दवाइयां स्तनपान के जरिये देने के लिए बाध्य कर सकें। डॉक्टरों के अनुसार अर्बीस पालसी से पीड़ित बच्ची को दवाएं मुंह से नहीं बल्कि मां के दूध के जरिये ही दी जा सकती है। अर्बीस पालसी बांह का पक्षाघात होता है जो कि मुश्किल प्रसव के दौरान शिशु की मुख्य तंत्रिका में जख्म से होता है।
बच्ची जब दो महीने की थी तब उसकी मां उसे कथित रूप से छोड़कर चली गई थी। एक तरफ बच्ची इस बीमारी से जूझ रही है जबकि उसकी मां को वापस लाने के प्रयास का कोई परिणाम नहीं आया है। हालांकि इस बीच दम्पति के बीच अदालत में मामला शुरू हो गया है। यह अजीब प्रतीत हो सकता है लेकिन पति ने कहा कि उसे नहीं पता कि उसकी पत्नी कहां है। पति ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके अपनी लापता पत्नी का पता लगाने की मांग की।
महिला उच्च न्यायालय में पेश हुई लेकिन उसने अपने पति के साथ आने या बच्ची को दवा देने के लिए उसकी देखभाल तीन महीने के लिए लेने से इनकार कर दिया। महिला ने अदालत को बताया कि उसे उन दवाओं से एलर्जी है जो बच्ची को स्तनपान के जरिये दी जानी है। इसलिए वह वे दवाएं नहीं ले सकती। अदालत ने महिला का बयान दर्ज कर लिया और मामले का निस्तारण कर दिया। इससे स्थिति फिर से उसी जगह पहुंच गई जहां से इसकी शुरूआत हुई थी।
हाईकोर्ट में परिणाम से निराश अब पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ बच्चे को छोड़ने के लिए दंडात्मक कार्रवाई की मांग को लेकर निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने दिल्ली पुलिस को मामले में कार्रवाई रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने इस मामले की जानकारी दी। यद्यपि उक्त व्यक्ति ने अपना नाम गुप्त रखने की मांग की। उसने कहा कि एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि क्या एक बच्चे को जैविक अभिभावकों से प्यार और देखभाल पाने का अधिकार नहीं है। बच्ची का जन्म 9 दिसम्बर 2017 को दिल्ली के एक परिवार में हुआ था।
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