तुमसे दूर होना मंजूर न था
यूं नाकाम होना मंजूर न था
लड़कर जमाने से चाहा था तुम्हें
फिर बर्बाद होना मंजूर न था
हम जानते हैं कसक तुम्हें भी थी
बदलने का दिखावा मंजूर न था
दरवाजा खोला मेज पर चाय रखी
बुलाने पर भी न आना मंजूर न था
कल आओगी तुम यकीं है मुझे
इश्क पर शक अपने मंजूर न था