दर्द को अपने छुपाता रहा,
सभी के सामने मुस्कराता रहा।
रात के बाद आती है सुबह,
मन को धीरज बंधाता रहा।
अधरों से जो कह न पाया,
गीत वहीं गुनगुनाता रहा।
पल दो पल का है जीवन,
बस फर्ज अपना निभाता रहा।
कल हो न हो फिर भी,
जीवन सपन सजाता रहा।
20 अप्रैल 2023
दर्द को अपने छुपाता रहा,
सभी के सामने मुस्कराता रहा।
रात के बाद आती है सुबह,
मन को धीरज बंधाता रहा।
अधरों से जो कह न पाया,
गीत वहीं गुनगुनाता रहा।
पल दो पल का है जीवन,
बस फर्ज अपना निभाता रहा।
कल हो न हो फिर भी,
जीवन सपन सजाता रहा।