साहेब देखो बेखबर
हर शख्स यहां दर-बदर।
मीलों पैदल जाना है
तब पहुंचेंगे अपने घर।
हाथ खाली पैर में छाले
पसीने से तर-बतर।
आगे कैसे गुजरेगी
बताने कोई मिले रहबर
लाखों चल पड़े उस रस्ते
जो न उनका रहगुजर।
20 अप्रैल 2023
साहेब देखो बेखबर
हर शख्स यहां दर-बदर।
मीलों पैदल जाना है
तब पहुंचेंगे अपने घर।
हाथ खाली पैर में छाले
पसीने से तर-बतर।
आगे कैसे गुजरेगी
बताने कोई मिले रहबर
लाखों चल पड़े उस रस्ते
जो न उनका रहगुजर।