अपने
प्रथम प्रयास से आज तक
मां पर लिखी
सामान्य से सुंदर
छोटी से बड़ी कविताएं सभी
जब कभी भी गुनगुनाता हूं
मां को बड़ी
कविता को छोटी पाता हूं।
मां का यह रहस्य
समझ नहीं पाता हूं
न तो मां के बराबर
कविता लिख पाता हूं
न ही मां को
कविता में समाहित कर पाता हूं......