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याद आती हो तुम...

20 अप्रैल 2023

13 बार देखा गया 13

याद आती हो तुम

सुबह नहाकर खिड़की के करीब

बाल सुखाती 

याद आती हो तुम


माथे पर सुर्ख बिंदी मांग में मेरे नाम का 

सिंदूर लगाती  

याद आती हो तुम


नित सांझ-सबेरे नियम से पूजन-अर्चन 

घर को स्वर्ग बनाती 

याद आती हो तुम


आफिस से लौटकर सोफे पर निढाल होते ही 

पानी का गिलास थमाती  

याद आती हो तुम


किसी समस्या में चिंता से घिर जाने पर 

सब ठीक होगा समझाती

याद आती हो तुम


उन दिनों कुछ पैसे बचाने मेरे साथ 

पैदल चलती जाती 

याद आती हो तुम


दे न सका सोने की अंगूठी, चांदी की पायल 

कोई शिकायत नहीं जताती

याद आती हो तुम


मैं राम बन न सका फिर भी सीता बन 

हर पल साथ निभाती 

याद आती हो तुम


अजय बाबू मौर्य की अन्य किताबें

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रचनाएँ
बीते हुए लम्हे
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प्रस्तुत पुस्तक ‘बीते हुए लम्हे’ गुजरे हुए वक्त की वो अमानत है, जो वर्षों तक डायरीनुमा तिजोरी में बंद रही. अब पुस्तक की शक्ल में आप तक पहुंचने को बेताब है. स्कूल के दिनों में बालपन को पीछे छोड़ किशोरावस्था की ओर जाते हुए गुनगुनाई पंक्तियों को कभी कलम से कागज पर जो आकार दिया था, आज वह रचनाओं में ढलकर तैयार है. पुस्तक में कई रंगों की रचनाएं हैं. हालांकि सभी रचनाएं कविता के आकार में हैं, लेकिन मैं इन्हें कविताएं नहीं मानता. ये तो समय-समय पर दिल में उठे गुबार की भावक्ति है, जिन्हें आप कविताएं कह सकते हैं.....
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तुझको न भूल पाएंगे...

20 अप्रैल 2023
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ऐ विदा लेते हुए साल तेरे जैसे न हम सताएंगे,  याद रखना नहीं चाहते  लेकिन भूल न पाएंगे।  स्वागत तूने खूब कराया  दो महीने बाद सताया,   पूरे विश्व में किया अंधेरा   लाशों का फिर ढेर लगाया।   आ

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जीत जाएंगे हम...

20 अप्रैल 2023
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जीत जाएंगे हम हे ईश्वर आप साथ हो,   बीमारी को हरा देंगे हम। आशीष भरा हाथ हो,  मुसीबत से नही डरेंगे हम। आपकी दी हुई हिम्मत से  जीत जाएंगे हम ......... जब भी आई मुसीबत सब पर  हर बार बचाया आपने

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दर्द छुपाता रहा.....

20 अप्रैल 2023
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दर्द को अपने छुपाता रहा,  सभी के सामने मुस्कराता रहा।  रात के बाद आती है सुबह,  मन को धीरज बंधाता रहा।  अधरों से जो कह न पाया,  गीत वहीं गुनगुनाता रहा।  पल दो पल का है जीवन,  बस फर्ज अपना

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लॉकडाउन...

20 अप्रैल 2023
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साहेब देखो बेखबर हर शख्स यहां दर-बदर।  मीलों पैदल जाना है तब पहुंचेंगे अपने घर।  हाथ खाली पैर में छाले पसीने से तर-बतर।  आगे कैसे गुजरेगी बताने कोई मिले रहबर लाखों चल पड़े उस रस्ते जो

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पेड़ से बात.....

20 अप्रैल 2023
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ऐ पेड़ सुनो तुम क्यों हो  हमारे स्वभाव से ज्यादा अच्छे तुम निर्मल क्यों हो  हमारे विचारों से ज्यादा तुम्हारी ऊंचाई  हमारी स्वनिर्मित ख्याति से ज्यादा है इसलिए हम मानते हैं अपने ही जे.सी.बोस का

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आदमी की मौत मरा कुत्ता.....

20 अप्रैल 2023
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कुछ दिनों पहले  एक कुत्ते को  नेता बनने का शौक चढ़ गया यकीन मानो चंद दिनों में वह  आम आदमी की मौत मर गया।  मामले की सूक्ष्म जांच के लिए  जंगली राज के तोते की सिफारिश हुई  जांच में वहज मौत की जो

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मासूम गांव.....

20 अप्रैल 2023
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कुछ लोग निकले थे गांव से  बड़ा आदमी बनने आज अता-पता नहीं है उनका गांव तो वहीं है पहले से बड़ा काफी बड़ा  कहीं जाए बिना उन्हें आज भी लौटना गंवारा नहीं  जो कल रहना नहीं चाहते थे गांव में  गांव फिर

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सबसे बड़ी मां....

20 अप्रैल 2023
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अपने  प्रथम प्रयास से आज तक  मां पर लिखी सामान्य से सुंदर  छोटी से बड़ी कविताएं सभी जब कभी भी गुनगुनाता हूं मां को बड़ी  कविता को छोटी पाता हूं।  मां का यह रहस्य  समझ नहीं पाता हूं न तो मां के

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आत्मविश्वास.....

20 अप्रैल 2023
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जब जब देखा तुम्हें  महसूस किया  तुम्हारे शरीर पर लगे  हरेक जख्म का दर्द।  ये दिल तुम्हारे लिए दुआ करता है और चाहता है उन्मुक्त गनन में विचरण करो तुम।  फिर नहीं होगी पीड़ा  उस जानवर की त्रासदियो

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वीणावादिनी...

20 अप्रैल 2023
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वीणावादिनी, हंसवाहिनी  ये तुम्हारे ही तो नाम हैं विद्या की देवी हे सरस्वती तुम्हें हम सभी का प्रमाण है।  तुम सहज सम्भाव हो तुम सृजन और काव्य हो तुम विश्व वीणावादिनी हम छंद और विराम हैं। तु

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नई सुबह...

20 अप्रैल 2023
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जिंदगी डूब रही है  सांझ की बेला की तरह  उदास अनमनी सी मैं स्वयं को अकेला पाता हूं दर्द की सीमा रेखा बन जाता हूं ढ़ूंढ़ता हूं खुशियों के काफिले और  अपने अस्तित्व की परछाई मैं स्वयं को ढ़ूंढ़ रहा हू

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बसंत

20 अप्रैल 2023
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मेरे मन के आंगन में  सुधि चंद्रप्रभा है फैली तन सिहर सिहर जाता  यह कैसी दशा है मेरी। लखकर भी खोज न पाता प्रकृति की यह कैसी माया क्यों मन में उतर ही आई  जीवन दर्शन की ऐसी छाया।  मन की आंखों

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संवेदना...

20 अप्रैल 2023
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अपनों की दुत्कारी  एक वृद्धा दो दिन से पड़ी थी सड़क किनारे।  ठंड से कांपती, खांसती नाली की बदबू कचरे के ढेर और मच्छरों के बीच।  राहगीर आते-जाते देखते नाक-भौंह सिकोड़ते मुंह बनाते निकल जाते। बच

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सांवलापन.....

20 अप्रैल 2023
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तुम्हे याद होगा उस प्रेम दिवस को  मेरा अपलक तुम्हे निहारना मैं खो गया था जब  तुम्हारे सांवले मुखड़े में  तुम्हारा सांवलापन  उस प्रेम दिवस से ही  मुझे अच्छा लगने लगा क्योंकि  चमकते सूर्य की अपे

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तुम्हारी मुस्कान.....

20 अप्रैल 2023
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मेरे जीवन की खुशियों के चंद पलों में  जुड़ गया है नाम तुम्हारा  मेरे जीवन की  एक याद हो तुम बंद होठों की  एक बात हो तुम तुम्हारी मुस्कान मेरी प्रेरणा  और  तुमसे हर्षित है जीवन मेरा....

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तुम्हारा अहसास.....

20 अप्रैल 2023
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मेरे मन मस्तिष्क में  आज तक अंकित है  तुमसे प्रथम मिलन की छवि मुझको  अहसास कराती है  तुम्हारा आसपास होने का  तुम्हारा यही अहसास  गर्मी की रातों में सुहानी पुरवाई  और जाड़े के दिनों में  मखमली

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अंतिम प्यार.....

20 अप्रैल 2023
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समय की मोटी परत  जम गई है हमारे संबंधों पर  किंतु वे अनुभव  कभी नहीं भुला पाया जो लगाव और व्याकुलता में  मैंने तुमसे ही पाए हैं मेरा दिल फिर वैसा ही धड़का तब तुम मेरे सामने आई किंतु इस बार नहीं

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खुशफहमी.....

20 अप्रैल 2023
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रात को बिस्तर पर  अकेला होता हूं एक सन्नाटा उभरता है तुम्हारे बोलों की तरह  हवा फुसफुसाती है बजा के सांकल  हवा खिलखिलाती है छूकर पैर के तलवे  हवा मुस्कराती है ऐसे में जागता हूं और तुम्हारे

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राहत हो जाए...

20 अप्रैल 2023
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सरकार करो कुछ ऐसा राहत हो जाए,  गरीबों की सुनने की तुम्हें आदत हो जाए।  तुम्हारे अहसान तले दबकर जीते रहेंगे हम,  कहीं ऐसा न हो कि जमानत जब्त हो जाए। कभी तुम्हारे लिए उठे हाथ, दुआएं मांगी थी,  

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पढ़े चलो, पढ़े चलो.....

20 अप्रैल 2023
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लूट लो खसोट लो जो मिले समेट लो,  राह में जो मिले गर्दनों को ऐंठ लो।  वर्तमान दमक रहा जो मिले बटोर लो,  नीति की जो बात करे  उसको बस नकेल दो। महान लोकतंत्र में  लोक को लपेट लो,  राह में बा

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बवाल....

20 अप्रैल 2023
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क्या बताऊं कि उसने क्या सवाल किया है बात करती न करने देती बस मिसकॉल किया है। कुछ कहा तो नहीं उसने बस हाथ पकड़ लिया भरी महफिल इस तरह उसने बवाल किया है।  आते-जाते यहां-वहां से देखती रहती है मुझे

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पहला प्यार हिंदी...

20 अप्रैल 2023
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जिस दिन सुना था  मां से मैंने  पहली बार  बनावटी तोतली जुबां से  मेला प्याला लल्ला,  जिस दिन कहा था  मैंने मां से  पहली बार  स्पष्ट रूप से  मां,  उसी दिन से है मुझे हिंंदी से प्यार हि

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याद आती हो तुम...

20 अप्रैल 2023
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याद आती हो तुम सुबह नहाकर खिड़की के करीब बाल सुखाती  याद आती हो तुम माथे पर सुर्ख बिंदी मांग में मेरे नाम का  सिंदूर लगाती   याद आती हो तुम नित सांझ-सबेरे नियम से पूजन-अर्चन  घर को स्वर्ग ब

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लोग बदल जाते हैं...

20 अप्रैल 2023
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समय बदलता है तो लोग बदल जाते हैं इंसान नहीं रहते वो मौसम नजर आते हैं  शिकवा-शिकायत कैसी जमाने का दस्तूर है लहलहाते पेड़ के नीचे छांव ढूंढने जाते हैं हैसियत जरा कम क्या हुई अपनी यारों पल-पल औका

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मंजूर न था...

20 अप्रैल 2023
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तुमसे दूर होना मंजूर न था यूं नाकाम होना मंजूर न था लड़कर जमाने से चाहा था तुम्हें फिर बर्बाद होना मंजूर न था हम जानते हैं कसक तुम्हें भी थी बदलने का दिखावा मंजूर न था दरवाजा खोला मेज पर चा

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तुम्हारी सादगी...

20 अप्रैल 2023
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तुम्हारी सादगी ने इस कदर दीवाना बनाया सुनार से एक पाजेब खरीदकर ले आया ये हीरे, ये जेवरात फीके हैं तुम्हारे आगे मनिहार से बिंदी, सिंदूर खरीदकर ले आया दुप्पटा भी अच्छा है पर पल्लू की बात अलग तु

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स्वार्थीपन...

20 अप्रैल 2023
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पहले तुम्हारे साथ कुछ पल बिताना चाहता था. कुनकुनाती ठंड के दिनों में  अपने फ्लोर की गैलरी में बैठकर  चाय की चुस्कियां लेना चाहता था. गर्मी की शामें तुम्हारे साथ  छत पर टहलते हुए  बात करते बितान

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फागुन छाएगा चहुंओर...

20 अप्रैल 2023
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रंग बरसेगा हर ओर फागुन छाएगा चहुंओर रंग-बिरंगे चेहरे होंगे गलियों के फिर फेरे होंगे होरियारे न मानेंगे  ढोल मंजीरे बाजेंगे. हर तरफ गूंजेगा शोर रंग बरसेगा हर ओर  पलाश की टहनियां सजेंगी प्र

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कांटे...

20 अप्रैल 2023
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मेरे शब्द बार-बार  मुस्कराना चाहते हैं तुम्हारे अधरों से  पर मैं जानता हूं  यह कभी नहीं होगा शायद इसलिए  मैं चाहता हूं  नागफनी बबूल और  कांटे-दर-कांटे...

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हर्षित जीवन...

20 अप्रैल 2023
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पता नहीं कितनी आकांक्षाएं कितने स्वप्न अपने में ही सिमटकर रह गए पता नहीं क्या है  जो कांटे सा चुभता है सोने नहीं देता रात भर  एकांत बन जाता है  जिंदगी का सिलसिला विवशता बनती है  जिंदगी की परि

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मेरी हमसफर...

20 अप्रैल 2023
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लगता है मानो कल ही की बात है पहली बार मिले थे जब हम  इसी दरम्यिान  एक-दूसरे को जाना समझा रुचियां - विचारधारा  मिलती थी कितनी दोनों की वही संगीत, वही फिल्में वही कविता, वही किताबें हम दोनों को

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तुम्हारा प्यार...

20 अप्रैल 2023
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तुम्हारे मधुमय प्यार से उपजे अक्षर शब्द वाक्य गूंज रहे हैं  आज भी यादों में  संचित है आज भी  आंंखों में  तुम्हारी मोहक मुस्कान निधि बन  धरोहर सी क्या कभी  इस अनुपम प्यार का प्रतिदान  दे स

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प्रतीक्षा...

20 अप्रैल 2023
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चाहता था मैं  उस समय  जाकर मिल लूं तुमसे  कि तुम बहुत याद करते थे मुझे  और जब तुमसे मिला तो बोले बहुत देर कर दी तुमने आने में  मैं यह सुनकर  तुम्हें देखता ही रह गया था आज तुम मेरी जिंदगी से 

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तुमसे मिलन...

20 अप्रैल 2023
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जानता हूं तुम्हारा प्रवेश  जीवन में  उन प्रेम रचनाओं सा है  जो तुम्हारे ख्यालों में डूबकर  हृदय में उत्पन्न भावों को  पन्नों पर उतारकर  रची हैं फिर भी समस्याओं के बांध से  मुक्ति मिले इस जीव

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आस में हूं...

20 अप्रैल 2023
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सबेरा होगा इस आस में हूं नहीं कोई संदेह विश्वास में हूं अंधेरों से घिरा रहा बेशक अब तक उजालों के लेकिन बहुत पास में हूं जिंदगी में रही मुश्किलें बहुत मुश्किलों के बीच उल्लास में हूं बंदिशो

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अतृप्त लेखनी...

23 अप्रैल 2023
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मानवीय संवेदनाओं को  अपनी अतृप्त लेखनी से  व्यक्त कर समेटता हूं  ढेर सारी शाबाशी खुश होता हूं  पाकर प्रशस्ति-पत्र गड़गड़ाहट सुन तालियों की  प्रफुल्लित  होता हूं लेकिन  कोई नहीं सोचता  सोता था

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कलुआ....

23 अप्रैल 2023
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कल कलुआ पर लिखी कविता  आज छपी थी जिस अखबार में  दिनभर की थकान मिटाने के लिए  दो पैक पीने के बाद  खाने वाले चने बंधे थे कलुआ के हाथ में उसी अखबार में  क्षितिज के पार तक  कोई संबंध नहीं था कलुआ क

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यादों में तुम...

23 अप्रैल 2023
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पता नहीं  कितनी आकांक्षाएं कितने स्वप्न अपने में ही  सिमटकर रह गए पता नहीं क्या है जो कांटे सा चुभता है सोने नहीं देता रात-रात भर एकांत बन जाता है  जिंदगी का अटूट सिलसिला विवशता बनती है जिंदग

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सिसकियां.....

23 अप्रैल 2023
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खामोश सिसकियां सुन लेता हूं पर कहता नहीं ।  भरोसा नहीं है कि  तुम अपना समझते होगे। यकीन मानो जिन दिन यकीन हो जाएगा,  कि तुम्हें यकीन है मुझ पर  उस दिन  पुरानी सिसकियों से छुड़ा लूंगा नई सिसकि

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मेरी चाहत

25 अप्रैल 2023
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तुम्हें भेजे हुए नगमे गुनगुनाती हो क्या सोचकर मुझे तुम मुस्कुराती हो गया  सेाचता हूं तुम्हें तो ख्यालों में खो जाता हूं तुम भी मेरी तरह कहीं खो जाती हो क्या सुना है प्यार रुह से किया जाता है जिस्

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यादें.....

19 मई 2023
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यादें..... शामियाने शाम के गहराने लगे हैं बचपन वाले दिन याद आने लगे हैं  दादी की बातें वो दादा के किस्से नानी और नाना भी याद आने लगे हैं। स्कूल से आकर बस्ता फेंकना घर में झांकना, यहां-वहां द

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ख्वाब...

19 मई 2023
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 ख्वाब... सुना था स्वर्ग है यहां धरती पर कहीं किसी को पता नहीं ढूंढा कहां-कहां पाया यहीं  खामोशी उसकी  होले से गुनगुनाई आंखों में उसकी  मैंने दुनिया पाई खूबसूरती सारे जहां की  उसमें थी समाई

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प्यार....

19 मई 2023
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प्यार.... तुझे लगा छोड़ने से टूट जाऊंगा याद रख लौटकर जरूर आऊंगा बेवफा न अहसान फरामोश हूं हर कर्ज का बदला चुकाऊंगा दोस्ती के लायक तेरी हो जाऊंगा  मिलने का ख्याब तुझमें जगाऊंगा  मुझसे मिलन

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