तुम्हें भेजे हुए नगमे गुनगुनाती हो क्या
सोचकर मुझे तुम मुस्कुराती हो गया
सेाचता हूं तुम्हें तो ख्यालों में खो जाता हूं
तुम भी मेरी तरह कहीं खो जाती हो क्या
सुना है प्यार रुह से किया जाता है
जिस्मों का प्रेम नादानी है बेमानी है
हिचकियां तो आती होंगी तुम्हें भी
मेरा नाम लेने से बंद हो जाती हैं क्या
आंगन और दर ओ दीवार को बताया है
किसी दिन दिख जाए तो बुला लेना उसे
सुर्ख जोड़ा, लाल चूड़ी, सिंदूर ले आया हूं
मेरे साथ घर बसाना चाहती हो क्या
इंकार करोगी तो भी इंतजार करूंगा
भरोसा करो नहीं कभी परेशान करूंगा
मानोगी तुम यकीं है मुझे अपने प्यार पर
तुम मेरी चाहत को जानती हो क्या