रंग बरसेगा हर ओर
फागुन छाएगा चहुंओर
रंग-बिरंगे चेहरे होंगे
गलियों के फिर फेरे होंगे
होरियारे न मानेंगे
ढोल मंजीरे बाजेंगे.
हर तरफ गूंजेगा शोर
रंग बरसेगा हर ओर
पलाश की टहनियां सजेंगी
प्रीत की शहनाईयां बजेंगी
गोपियां रंगने लगेंगी
अठखेलियां मन बसने लगेंगी
थिरक उठेगा यह मन मोर
रंग बरसेगा हर ओर
धड़कन में प्रेम राग होगा
जीवन में नया फाग होगा
मन मयूर बस नाचेगा
पी से अति अनुराग होगा
कालिमा छोड़ सुनहरी होगी भोर
रंग बरसेगा हर ओर
रंगे मिलेंगे लोग तमाम
खुशी से नाचेंगे गुलफाम
बज उठेंगे ढोल सुहाने
देशी से होंगे लाेग दीवाने
खुशियों का न रहेगा छोर
रंग बरसेगा हर ओर