वीणावादिनी, हंसवाहिनी
ये तुम्हारे ही तो नाम हैं
विद्या की देवी हे सरस्वती
तुम्हें हम सभी का प्रमाण है।
तुम सहज सम्भाव हो
तुम सृजन और काव्य हो
तुम विश्व वीणावादिनी
हम छंद और विराम हैं।
तुमसे ही लय, तुम ही ताल हो
तुम सुर और स्वर संघात हो
तुम निखिल ब्रह्म निनादिनी
तुममें ही सब निष्काम हैं।
विद्या की देवी है विश्व की
विद्या की देवी है वरदायिनी
तुम्हें हम सभी का प्रणाम है.....।