लूट लो खसोट लो
जो मिले समेट लो,
राह में जो मिले
गर्दनों को ऐंठ लो।
वर्तमान दमक रहा
जो मिले बटोर लो,
नीति की जो बात करे
उसको बस नकेल दो।
महान लोकतंत्र में
लोक को लपेट लो,
राह में बाधा बने जो
गर्त में ढकेल दो।
न कोई रोक टोक है
न कोई शर्म लाज है,
जब जहां जिधर मिले
तब वहां समेट लो।