पहले तुम्हारे साथ कुछ पल
बिताना चाहता था.
कुनकुनाती ठंड के दिनों में
अपने फ्लोर की गैलरी में बैठकर
चाय की चुस्कियां लेना चाहता था.
गर्मी की शामें तुम्हारे साथ
छत पर टहलते हुए
बात करते बिताना चाहता था.
बारिश के दिनों में
तुम्हारे हाथ के बने पालक के पकौड़े
खाना चाहता था.
यह सब विवाह से पहले चाहता था
अब जब तुम अर्धांगिनी बन चुकी हो
चाहता हूं वह सब करना
जो तुम चाहती हो.
मैं पहले भी स्वार्थी था अब भी हूं
बस तुम्हारी चाहत ही चाहता हूं