मरे पिटे क्यों --कमजोर हो इसलिए
बात कांग्रेस या बीजेपी की नहीं है --बात आम जनता के शोषण से भरी जिंदगी से है .
इतने बड़े देश में इतनी प्राकृतिक सम्पदा होते हुए भी गरीबी की हालत मखियों के भिनभिनाने से भी ज्यादा है .
कहीं से कोई प्रतिरोध व् प्रतिवाद नज़र नहीं आ रहा है .
कश्मीर और उत्तरपूर्वी प्रांतों की समस्याी इतनी बढ़ा दी गयी है --हर न्यायसंगत विरोध को देश विरोधी करार देकर तपन और घुटन को बढ़ा रहे हैं . राजनीती और गुंडावाहिनी पनप रही है . जन गण व्याकुल है --बच्चे और महिलाओं पर कई गुणा प्रहार होता है ऐसे में .बेरोजगारी इस तरह से बढ़ गयी है ,जिससे बेचैन और बेकार युवा व् युवतियां अनैतिक चक्रों में उलझ कर अपना , अपने परिवार और समाज और राष्ट्र के सुनहरे सपनों के विपरीत अमानवीय जीवन यापन पर बाध्य कर दिए गए हैं.सही मुद्दों से परे धार्मिक उन्माद फैला कर भाई भाई को लड़ाया जा रहा है . सीमा पर निरंतर युद्ध जैसी स्थिति बनाकर बुद्धिजीविओं और मीडिया से वाह वाही लेकर साधारण जनता का ध्यान असली मुद्दों से परे रखने की एक सोची समझी चाल खेल ी जा रही है .
कौन क्या खायेगा और कैसे कसरत करेगा --ऐसी बातों पर सरकारी नियम बना कर मूल मानवीय अधिकारों को कुचला जा रहा है ..
खान पान , बिजली पानी, प्रदूषण गंदगी , बेरोज़गारी नशेयुक्त ,कुपोषण बाल और महिला शोषण ,बीमारी और स्वस्थ्य की ठगी जैसी समस्या चरम पर हैं .
जहाँ छोटा व् मध्यम वर्गीय किसान हाशिये पर आ गए हैं , क़र्ज़ की जिंदगी काट कर अपनी इज़्ज़त को दाव पर लगाने पर मजबूर हैं , वहीँ खेतिहर और कल कारखानों के मज़दूर की हालत अमानवीय होती जा रही है
.
सारी राजनैतिक पार्टियां इसमें एकता बनाये हुए है --नाम बदलते रहते हैं --चेहरे भी बदलते रहते हैं --पर शोषण बरकरार है और पूँजीपत्तियों और सरमायेदारों के बैंक खाते बढ़ते रहते हैं --जहाँ किसान मज़दूर को 100 रूपये भी माफ़ करने के लिए बजट की दुहाई दी जाती हैं वहीँ पूँजीपत्तियों और सरमायेदारों को करोड़ों सरकारी खजाने से देने में एक पल की देरी नहीं होती है.
जानवर के नाम पर इंसानों की बलि चढ़ने लगी है और हम इसे भी वाह वाही समझने लगे हैं . राम मंदिर के नाम से हिन्दुओं की आत्मीयक तुष्टि पूरी होती है और हमारी बांछे खिल जाती है . गाय ढोर को पिटाई करने और उनके बच्चों के दूध को लूटने में कोई शर्म नहीं है --लेकिन उसका मांस खाने से हिंदुत्व पर चोट पहुँचती है .
फिर क्यों गाय भक्षक देशों से भीख मांग कर अपने हिंदुत्व को बेइज़्ज़त करवा रहे हैं .
वाम पंथी और दक्षिण पंथी पार्टियां चुप है और चर्चाएं सिर्फ बेमतबल के मुद्दों पर चलती रहती है और हम पीस रहे हैं
मरे पिटे क्यों --कमजोर हो इसलिए --कमज़ोर बनाया गया है हमें
.===============अभय ===================
असली मुद्दों की लड़ाई के लिए जनजीवन को एकजुट कर एक लंबे संघर्ष से ही शोषण से मुक्ति मिल सकती है
-समझें और सामझाएं ------ पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का
मुश्किल है ------------नामुमकिन तो नही
जागो, मेरे भाई जागो Join: Jago, Mere Bhai Jago
शामिल हों : बदलाव की लड़ाई और तमन्ना
शामिल हों :रुके नही कदम , अब जागे हैं हम ( Unstoppable Struggle To Change The System )
शामिल हों : एक दिशा या राह ----Ek disha ya raah