हमे सोचना है --असली मुद्दों पर ---
ना चढ़ावा मंदिर को , ना चर्च व मस्ज़िद को , ना पण्डित , मोलवी को . ना बाबाओं को . ना भीख भिखारियों को . ना झूठन घर के नौकरों को . ना अपनी उतरन गरीबों को . हम अपना तन, मन और धन ऐसे लगाएँ कि समाज का कामकाजी तबका किसी का मोहताज़ ना रहे और अपनी मेहनत से अपना मानवत्व बरकरार रख सिर उंचा कर जीवन यापणा करे .
आओ , शोषण कर्ताओं को उखाड़ एक ऐसे समाज की रचना करें जहां मज़दूर, बूधिजीवी, खेतिहर-मज़दूर , छोटे व मध्यम वर्गीय किसानो को शोषण से मुक्ति दिला पाएँ .मठाधिकारी, इमामबाज़ी, शंकराचारी-संस्कृति , पादरी-फादर-बाज़ी , धरमधारी-संघठनो व जातिबध्-छापों की कुचालों और अन्याय और बदन और घुटन से मुक्ति दिलाने एक राजनीति क और संस्कृतिक मुहिम चलाएं .
शुरुआत करें तभी तो नतीज़े सामने आयेंगे .
हम करम करें , फल पाने के लिये . झुटलायेंगे राजाओं के कु ज्ञान को कि " करम कर, फल की चिंता मत कर " .----------------
समझें और सामझाएं ------
पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का
मुश्किल है -------------नामुमकिन तो नही
जागो, मेरे भाई जागो
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