धिक्कार है ऐसे देश की सत्ता को --
धिक्कार है मीडिया और उनके मालिकों और एंकरज पर --
ये फोटोस साभार Huffingtonpost हफ़्फिंगटनपोस्ट) से --
अगर ये किसानों के दर्द को बयान नहीं कर रही हैं तो क्या नौटंकी कर रहे हैं ?
बड़ी बड़ी बातें और मन की बातों में कहीं भी इनका जिक्र नहीं आया-- क्यों ??विदेशी मीडिया ऐसी तस्वीरों से कौन से समृद्ध भारत की मर्यादा दिखा रहे हैं ?
मज़दूर और किसानों की विरोधी यह सरकार और निर्बल प्रतिवाद ने देश में इतना संकट पैदा कर दिया है --जिसकी मिसाल केवल हिटलर के फासीवादी प्रणाली में थी ---
गीत गाते रहे और होलोकास्ट बन दिया गया --
आज की सत्ता ने एक अलग ही प्रणाली इज़ाद की है --फासीवाद लाने की ---हर जुल्म में यही जुमले से पल्ला झाड़ लेते हैं --हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी तो इसके खिलाफ हैं !!!!???????
लेकिन खिलाफत के कोई कर्म नज़र नहीं आते !!!!
यहाँ तक की बुद्धिजीवियों को भी इस जाल में जकड लिया है .
यहाँ तक कि कोई और जनवादी किसान और मज़दूर संघठन भी इनका साथ नहीं दे रहे हैं -
तथाकथित जनतांन्त्रिक, समाजवादी और साम्यवादी दलों ने भी इस से अपने को अनदेखा किया हुआ है --
यह बहुत ही घोर संकट है --
कोई भी अकेले अकेले इस शोषण का खात्मा नहीं कर सकता --
एक आंदोलन की जरूरत है --जो इस प्रकार के शोषण के खिलाफ अंत तक लड़ने पर तत्पर रहें
-बच कर रहो --इन इंसानियत के दुश्मनो से ---
-समझें और सामझाएं ------
पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का
मुश्किल है -------------नामुमकिन तो नही
जागो, मेरे भाई जागो
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