अब गुजरात में गो हत्या करने वालों को उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है.
देखा है सुना है और लगता भी है की गाय हमारी माता है --इसलिए इन पर इन्हें बूढा होने पर जन्म देने वाली माँ के बूढा होने से बर्ताव किया जाता है . गाय को क़त्ल किया जाता है तो माँ को जीवन के हर साँस से तड़प कर जिन्दा रहना पड़ता है ---कौन से माँ के अवहेलना करने पर कितना दंड दिया जाये ---तो गुजरात की बीजेपी सरकार को अपनी जन्म माँ की बजाय गाय माँ की रक्षा करने की पहल करनी पड़ी है ----जन्म देने वाली माँ रहे घुटन भरी कोठरी में खां खां करती --धर्म को बचाना है तो अपने जन्म देने वाली माँ को परे करने से ही गाय की सेवा हो पड़ेगी --जिस से भगवान् हिन्दू धर्म को विशेष आशीर्वाद देगा. बैल तो शिव महादेव की सवारी है तो वह तो हिंदुत्व के पिता हो चले , उनके सत्कार में भी कुछ करना चाहिए ---भागवान भी तो पुरुष प्रधान हैं , तो कहीं गाय को ज्यादा महत्व देकर बैल को पीछे छोड़ा तो महादेव के तीसरे नयन और तांडव से कैसे यह धर्म बच पायेगा. मेरे मुसे का क्या होगा , इस को पकड़ कर पका कर मानव अपनी भूख मिटा रहे हैं --गणेश जी इस पर क्या प्रतिक्रया करेंगे --वो ही जाने --मैं तुच्छ प्राणी इनकी माया को क्या समझूँ ????!!!!
मेरे हनुमान जी को मैं कैसे बताऊँ कि क्यों वानर को मार कर उनके मांस से मानवों के पेट की अग्नि बुझती है ---राम भगवान् को तो हनुमान से प्यारा कोई और है ही नही --तो राम जी को कैसे खुस कर पाउँगा. साँपों की क्या बात करें- इन्हें तो मदारी भी नचा रहे है ---ये तो महादेव की शोभा है उनके गले की ---और विष्णु भगवान के तो यो आसन हैं --उनको गली कुच्चों में हम क्यों नचा रहे हैं ???????
हमारी देवियाँ तो शेर की सवारियां करती हैं , तो क्या उन्हें शाकाहारी घास फुस ही खिलाते हैं ---पशु हत्या करके तो उनका पेट नही भरते होंगे--अगर ऐसा कर रहे हैं तो हम हिंदुओं के विश्वास पर चोट ही नही एक विश्वास घात ही होगा. कहने को और भी बहूत है ---कुछ हल्का सा डर भी है --कहीं भगवान् और देवी , देवता मेरा पत्ता ही ना काट डाले--स्वयम न आ कर , अपने चेले चपाटों से ==कहीं सब हेंकड़ी न निकाल डाले ---
मैंने तो अपने धर्म का पालन कर अपनी अरदास राष्ट्र और धर्म के रक्षकों को अर्पित कर दी है -- मुझे गाय के साथ साथ , बूढी माएं, बूढ़े बाप , बैल , सांप .बंदर , मुसे , शेर की भूख मिटाने वालों पशुओं की भी सुरक्षा चाहिए ---नही तो मैं अपने भगवान् और देवी देवताओं के श्राप से कहीं मगरमच्छ न बन जाऊं---पानी से बहुत ही डर लगता हैं ---सपने भी डूबने के आने लगे हैं ----कृपा करें , कृपया .
यहाँ तक तो ठीक है --जब भगवान् को खुश करने के लिए जानवर ही नही इंसानो की भी बलि दी जा रही है --कुछ तो इस से भी आगे निकल कर इंसानी लाशो का भी पान करते है अपने महादेव को खुश करने के लिए --- ---फिर केवल गाय को बचाने से ही हिंदुत्व और हिन्दू मर्यादा कैसे बच पायेगी ---मेरे तो देव भी बलि की फ़रियाद कर रहे हैं --फिर मैं इन्हें कैसे भोग चढ़ाऊँ ---
मैंने जो लिखा है , तो ऐसा न हो कि कोई मेरी ही बलि चढ़ा दे --वो भी हिन्दू धर्म की रक्षा और अपने देव को खुश करने और धर्म मर्यादा को बचाने के लिए ---ऐसा कई बार हो भी चूका है -- --------------
समझें और सामझाएं ------
पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का मुश्किल है -------------
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