तो फिर मुझे ऐसा क्यों बनाया---"उसने" ---
ज्ञान ी : "सब उसकी माया है -वही सब कुछ है --वही बनाता और मिटाता है -चलो , उसकी शरण में चलें-
रामधन मुर्ख -----!!-"
रामधन : " अगर नहीं गए तो -------?"
ज्ञानी : "जाने पर आनंद और खुशहाली मिलेगी-------न जाने पर बर्बादी --------!!!!-"
रामधन : " क्या आप उनकी शरण में जाते हैं ------?"
ज्ञानी : "हाँ------!!-"
रामधन : " आप खुशहाल हैं --?"
ज्ञानी : " नहीं , यह खुशहाली ऊपर जाकर मिलती है --यहाँ पर तो उनके नियम के अनुसार कर्म भोगने पड़ते हैं--!-"
रामधन : " आप कर्म भोग रहे हैं --?"
ज्ञानी : " हाँ--!!-"
रामधन : " किसने कहा --?"
ज्ञानी : "गुरु ने कहा और किताबों में भी लिखा है --!!!-"
रामधन : " गुरु को किसने कहा----?
ज्ञानी : "स्वयं उन्होंने -!!-"
रामधन : " तुम तो कहते हो , उनसे कोई नहीं मिल सकता--निराकार है . फिर गुरु कैसे मिल गए उनसे ----?
ज्ञानी : "गुरु ने कहा कि -- किताबों में पढ़ा है ----------शरण में जाओ तो स्वर्ग और नहीं तो नर्क ---"
रामधन : " किताबों को किसने लिखा---?"
ज्ञानी : "ये हमेशा से ही हैं -स्वयं उन्होंने ही लिखी है -!!!-"
रामधन : " फिर कौनसी भाषा में लिखी है --उन्हें तो सब भाषा आती होंगी ----अंग्रेजी, उर्दू , अरबी---?"
ज्ञानी : " सब कुछ , हाँ--!!-"
रामधन : " फिर किसकी शरण में जांयें --?"
ज्ञानी : "उनकी ----!-"
रामधन : " उनकी ? राम , कृष्ण , ईसा , मोहमद ---?"
ज्ञानी : "अपने धर्म से बाहर जाने से तो पाप बढता है --!!!-"
रामधन : " कौन कहता है --?"
ज्ञानी : " गुरु कहते हैं--!!!-"
रामधन : " गुरु क्यों ऐसा कहते हैं --?"
ज्ञानी : " किताबों में लिखा है --!!-"
रामधन : " किताबों किसने लिखी है -----------------?"
ज्ञानी : "स्वयं उसने----------------------
रामधन : " उसका कौन सा धर्म है -----------------?"
ज्ञानी : " वो तो मालिक हैं--सब के--यह कौन से बात हुई --उनका भी कोई धर्म हो --!!!-"
रामधन : " फिर किताबों में क्या लिखा है ----इंसान धर्मों में बंटते रहें ----?"
ज्ञानी : "हम नहीं बांटते . पापी भ्रष्ट हो कर दूसरे धर्मों में जा रहे हैं ---!!!!-"
रामधन : " कौन कहता है ---?"
ज्ञानी : " गुरु कहता है ---किताबों में लिखा है --!!!-"
रामधन : " क्या लिखा है ---?"
ज्ञानी : "एक ही धर्म ह--बाकि सब पापी हैं -!!-"
रामधन : " कहाँ लिखा है ---?"
ज्ञानी : " किताबों में --!!-"
रामधन : " क्या तुमने पढ़ा है ---?"
ज्ञानी : "नहीं , गुरु कहते हैं --!-"
रामधन : " गुरु ने पढ़ा है--?"
ज्ञानी : " हाँ , गुरु सब जानते हैं --!!!-"
रामधन : " गुरु क्या "वो" ( भगवान् ) हैं --?"
ज्ञानी : " नहीं उनके सच्चे दूत हैं --!!-"
रामधन : " किसने कहा---?"
ज्ञानी : " गुरु ने -!!-"
रामधन : " गुरु ने उनका दूत बन कर सबको खुशहाल कर दिया ---?"
ज्ञानी : " नहीं , फल ऊपर जाकर मिलेगा --!!-"
रामधन : " क्या मालूम --?"
ज्ञानी : " गुरु कहते हैं -!-"
रामधन : " क्या गुरु ऊपर जा कर आएं हैं --?"
ज्ञानी : " हा हा हा ---वहां कोई नहीं जा सकता !-"
रामधन : " क्यों नहीं --?"
ज्ञानी : " मालूम नहीं , उसकी ऐसी ही रचना है . हम कौन होते हैं सवाल करने वाले -!!!-"
रामधन : " मैं तो सवाल करना चाहता हूँ --?"
ज्ञानी : " समझाया -तुझे रामधन मुर्ख ---बहुत .-शामिल हो कर शरण में चलो ----स्वर्ग मिलेगा , नहीं
तो पाप की अग्नि में झुलस दिए जाओगे --!"
रामधन : " तो क्या वो डरा कर खुशामद करवाता है -?"
ज्ञानी : "आपकी बुद्धि में ही रोग है ---!!-"
रामधन : " किसने बनाई मेरी बुद्धि ---?"
ज्ञानी : "सब उसकी माया है -!!-"
रामधन : " तो फिर मुझे ऐसा "रोगी " क्यों बनाया -----"उसने" ----?"
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असली मुद्दों की लड़ाई के लिए जनजीवन को एकजुट कर एक लंबे संघर्ष से ही शोषण से मुक्ति मिल सकती है
-समझें और सामझाएं ------ पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का
मुश्किल है ------------नामुमकिन तो नही
जागो, मेरे भाई जागो Join: Jago, Mere Bhai Jago
शामिल हों : बदलाव की लड़ाई और तमन्ना
शामिल हों :रुके नही कदम , अब जागे हैं हम ( Unstoppable Struggle To Change The System )
शामिल हों : एक दिशा या राह ----Ek disha ya raah