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कैसे कहदूँ ----मेरा देस महान - हरियाणा के ये दलित वर्षों से हैं दर-बदर

11 अप्रैल 2017

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जिस ईमान ने ,जिस राजनीती ने और जिस अत्याचारियों ने जो ऐसा किया और हम चुपचाप देखते तमाशा देखते रहे --------------धत है ऐसे बहादुरों पर जो अपने बल से निर्बल को हताहत कर जिंगदी का उल्लास मचाते हैं ------ कैसे कहदूँ ----मेरा देस महान -------------


======अभय=============== -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ---समझें और सामझाएं ------

पहल करें ------पहिये का रुख बदलने का

मुश्किल है -------------नामुमकिन तो नही

जागो, मेरे भाई जागो

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शामिल हों : बदलाव की लड़ाई और तमन्ना

शामिल हों :रुके नही कदम , अब जागे हैं हम ( Unstoppable Struggle To Change The System )

शामिल हों : एक दिशा या राह ----Ek disha ya raah


http://www.bbc.com/hindi/india-38772703

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हरियाणा में हिसार के मिर्चपुर गांव में रह रहे दलितों पर एक बार फिर हमला हुआ है. स्थानीय पुलिस के मुताबिक़, "बच्चों के बीच हुई कहासुनी से बात बढ़ गई और दोनों पक्ष भिड़ गए."

नारनौद थाने के एसएचओ ने बीबीसी को बताया, "मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक़ नौ लोग घायल हैं. सभी घायल दलित समुदाय से हैं. हमने एससी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है."

उन्होंने बताया कि पीड़ित बड़े अधिकारियों के सामने अपनी बात रखने के लिए हिसार गए हैं.

लेकिन मिर्चपुर के दलितों का पूरा मामला है क्या, जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट. पत्रकार संजीव चंदन ने कुछ ही दिन पहले वहां जाकर दलितों के हालात पर ये रिपोर्ट भेजी थी.

क्या दलित सिर्फ़ चुनावी मुद्दा भर हैं? क्या दलित उत्पीड़न के ख़िलाफ़ समाज की संवेदनाएं अस्थायी होती हैं और घटना दर घटना एक उबाल लेकर शांत हो जाती है?

ये सवाल हैं मिर्चपुर के विस्थापित परिवारों में से एक व्यक्ति का, जो पीडितों में एक मात्र एमए (एजुकेशन) और एमफ़िल है.

वर्ष 2010 की 21 अप्रैल को मिर्चपुर के वाल्मीकि परिवारों पर गांव के ही जाटों ने हमला किया था, उनके कई घरों को जला दिया गया था, दो लोगों की हत्या हुई थी और कई घायल हो गए थे. उस वक्त अश्विनी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एमफ़िल कर रहे थे, उसके बाद से उनके बीच से अब तक कोई उच्च शिक्षा तक नहीं जा सका.

67 साल बाद भी दलितों को क्या मिला है?

दातून तोड़ने के 'जुर्म' में दलित की हत्या, दो गिरफ़्तार

विस्थापित लोगों का दर्द

उन दिनों वाल्मीकि परिवार के ये लोग काफ़ी दहशत में थे. इनपर हमले के दोषियों की जब गिरफ़्तारी हुई तो हिसार की दर्जनों खाप पंचायतों ने सरकार को दोषियों की रिहाई की चेतावनी दी.

इसके बाद ही पीड़ितों के बहिष्कार का भी सिलसिला शुरू हुआ. अमूमन भूमिहीन और सफाई करके या खेतों में काम करके जीविका चलाने वाले इन लोगों को काम देने से भी मना किया जाने लगा.

क्या पंजाब को कभी मिलेगा दलित मुख्यमंत्री?

'दलित से ईसाई बन गए लेकिन भेदभाव जारी'

गाँव और पास की दुकानों ने भी इन्हें सामान देने से इनकार कर दिया. मजबूरन गाँव के 150 से भी ज़्यादा वाल्मीकि परिवार गाँव छोड़ कर दिल्ली के वाल्मीकि मंदिर में रहने को मजबूर हो गए. उसके बाद हिसार के ही वेदपाल तंवर ने इन्हें अपने फ़ार्म हाउस में जगह दी, तब से वे वहीं रह रहे हैं.

सम्मानजनक जीवन के लिए संघर्ष

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गाँव छोड़ने के बाद भी दबंगों ने इन्हें चैन से नहीं रहने दिया. इनपर लगातार दवाब बनाया जाता रहा कि वे मुक़दमा वापस लें, मुक़दमे की पैरवी न करें और गवाही न दें.

अदालत के आदेश से गवाहों को सुरक्षा दी गई. तंवर फ़ार्म हाउस में बमुश्किल जीवन यापन कर रहे लगभग 120 परिवारों में से कम से कम 50 को पुलिस सुरक्षा दी गई है. इनकी सुरक्षा में तैनात हरियाणा पुलिस का जवान भी इनके साथ ही रहता है, उसके खाने-पीने की ज़िम्मेदारी भी आम तौर पर इन लोगों की ही है.

झुग्गियां डालकर रह रहे इन लोगों को शौच के लिए पास के खेतों में जाना पड़ता है.

गाँव से विस्थापित हैं, इसलिए कोर्ट के आदेश के बावजूद इन्हें मनरेगा के तहत कोई काम नहीं मिलता.

'चर्च ने माना छूआछूत से पीड़ित हैं दलित ईसाई'

एक दलित लेख िका का 'अपना कोना'

बड़ी मशक्क़त से बीपीएल योजनाओं के तहत इन्हें राशन देने की ज़िम्मेदारी तंवर फ़ार्म हाउस के पास की एक सरकारी राशन दुकान को दी गई है. शुरू-शुरू में पास के सरकारी स्कूलों ने भी इनका नामांकन देने से अलिखित तौर पर मना कर दिया था-लेकिन अब कुछ बच्चे पास के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं.

9वीं की पढाई छोड़कर आशीष अपनी और अपनी दादी की देखभाल के लिए मज़दूरी करने के लिए विवश है.

आज भी डराता है गाँव, चाहते हैं पुनर्वास

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तंवर फ़ार्म हाउस में झुग्गियां डालकर रह रही महिलाओं का एक समूह बताता है कि अब उस गाँव में क्या रखा है, आज भी वहाँ के लोग डराते हैं. महिलाएं बताती हैं कि उस गाँव में आज भी 40-50 वाल्मीकि परिवार रहता है, लेकिन गाँव के जाटों ने उनका बहिष्कार जारी रखा है.

घटना के समय के ख़ौफ़ को याद कर सुनीता कहती हैं, "हम अब उस गाँव में नहीं जा सकते हैं, सरकार हमें हिसार में ही कोई जगह देकर बसाए."

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गुजरात में 'सैकड़ों दलित' बौद्ध हुए

इन्हें अपने फ़ार्म हाउस में जगह देनेवाले वेदपाल तंवर कहते हैं, "इनके साथ अत्याचार कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय में हुआ था. वह जाटों के लिए जाटों की सरकार थी, इस मामले में अभियुक्त जाट थे. इसलिए सरकार ने इनसे ज़्यादा मदद जाटों की. इन्होंने वोट बीजेपी को दिया, लेकिन बीजेपी की सरकार भी इनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है. दलितों की राजनीति की दावेदारी करने वाली मायावती ने इन्हें समय देकर भी इनसे मिलना उचित नहीं समझा."


हरियाणा के ये दलित वर्षों से हैं दर-बदर - BBC हिंदी

अभय विवेक अगगरोइआ की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

अभय जी ------- सचमुच देश की आजादी के दीर्घकाल के बाद भी भारतीय समाज के एक हिस्से का यूँ उपेक्षित रह जाना बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है | दलित विमर्श आज समय की सबसे बड़ी जरुरत है | मिर्चपुर जैसी घटनाएं कुछ समय के लिए मीडिया - घरों की सनसनी बनने के बाद राजनीती के कुचक्र में फंस बिलकुल अलग ही रूप ले लेती हैं जहाँ असली समस्या किसी को नजर नहीं आती --आपने इस समस्या बहुत अच्छा प्रकाश डाला -- आशा है मानवता के असली पुजारी इस गंभीर अमानवीय समस्या को सुलझाने में देर सवेर कामयाब होंगे ही -----

12 अप्रैल 2017

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राह अपनी है चाहे पगडण्डी ही न हो

9 फरवरी 2017
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राह अपनी है चाहे पगडण्डी ही न हो हिम्मत के हौसले हैं उमंग भरी है हरी हरी सी पतझड़ लग रही है विरानो की आवाजों में एक बुलावा सा है हर चाह की रुत में एक चेहरा छुपाया सा है चलने के तरीके भी लड़खड़ा के सीखे हैं पगथलियों में बुवाई को काँटों से बिंधे हैं राहत की साँस से एक स

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चुनाव से कोई बदलाव नही??????!!!!!!!!!!!!-----

22 मार्च 2017
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चुनाव से कोई बदलाव नही??????!!!!!!!!!!!!----------वाह क्या बात है --- धन्य है वह प्रान्त जहाँ योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं . मोदी की सहमति के बिना तो यह मुश्किल नही हो पाता--जन जाग्रति का दौर शुरू ऐसा हुआ है कि गैर हिन्दू और दलित अपने आपको कितना सुरक्षित महसूस कर रह

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जब मोदी नवाज़ से गले मिल सकते है तो हमें देश द्रोही क्यों बनाया जा रहा है?

22 मार्च 2017
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जब मोदी नवाज़ से गले मिल सकते है तो हमें देश द्रोही क्यों बनाया जा रहा है? Posted by newseditor Abhay Vivek Aggroia ———————– युद्ध आम अवाम नही बल्कि सत्ताएं करती हैं —— युद्ध के हथियार और दूसरे साधन जुटाने के लिए जो धन राशि विदेशों को दी जा रही है –गर पाकिस्तान और भारत अपने देश व

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23 मार्च शहादत दिवस है ----

23 मार्च 2017
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23 मार्च शहादत दिवस है ----------------- बीजेपी , कांग्रेस आदि या मोदी को हक़ है , उनकी शहादत पर श्रदांजलि देने का उन्हें ही मनाने का अधिकार है जो शहादत को समझ एक सामजिक न्याय को लागू करने में समर्पण है -न की कांग्रेस और बीजेपी --- -बीजेपी के मुख्यमंत्री ने तो चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह से

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अब गुजरात में गो हत्या करने वालों को उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है.

2 अप्रैल 2017
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अब गुजरात में गो हत्या करने वालों को उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है. देखा है सुना है और लगता भी है की गाय हमारी माता है --इसलिए इन पर इन्हें बूढा होने पर जन्म देने वाली माँ के बूढा होने से बर्ताव किया जाता है . गाय को क़त्ल किया जाता है तो माँ को ज

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अछूत समस्या पर गाँधी जी और शहीद भगत सिंह के विचार

4 अप्रैल 2017
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अछूत समस्या पर गाँधी जी और शहीद भगत सिंह के विचार Shaheed Bhagat Singh has written an essay a long time ago on " Achchoot Samsaya" as follows: "अब एक सवाल और उठता हैͩ कि इस समस्या का सही निदान क्या हो? इसका जबाब बड़ा अहम है। सबसे पहले यह

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अगली कड़ी अछूत समस्या के बारे में ---जोड़ कर देखिये

5 अप्रैल 2017
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अगली कड़ी अछूत समस्या के बारे में ---जोड़ कर देखिये शहीद भगत सिंह और गाँधी जी की धारणा से इस विषय में --------वर्तमान के प्रधान मंत्री क्या सोच रखते हैं ---- A blog in The Times of India from 2012 by journalist Rajiv Shah refers to a book called “Karmayog”, which is a collection o

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क्या वर्तमान बीजेपी सरकार वाक़ेई में जनसमर्थन की सरकार है -

6 अप्रैल 2017
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क्या वर्तमान बीजेपी सरकार वाक़ेई में जनसमर्थन की सरकार है --- यह तो सिस्टम है जिसने मोदी मोदी कह कर ऐसा बना दिया है जैसे कि सारे भारतियों के दिलों में वे बसते हैं तभी तो बीजेपी को भारी जनमत मिला !!! सही तो यह है की बीजेपी को 16 वीं लोकसभा चुनाव में मात्र 31

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हमे सोचना है --असली मुद्दों पर ---

7 अप्रैल 2017
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हमे सोचना है --असली मुद्दों पर --- ना चढ़ावा मंदिर को , ना चर्च व मस्ज़िद को , ना पण्डित , मोलवी को . ना बाबाओं को . ना भीख भिखारियों को . ना झूठन घर के नौकरों को . ना अपनी उतरन गरीबों को . हम अपना

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कैसे कहदूँ ----मेरा देस महान - हरियाणा के ये दलित वर्षों से हैं दर-बदर

11 अप्रैल 2017
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जिस ईमान ने ,जिस राजनीती ने और जिस अत्याचारियों ने जो ऐसा किया और हम चुपचाप देखते तमाशा देखते रहे --------------धत है ऐसे बहादुरों पर जो अपने बल से निर्बल को हताहत कर जिंगदी का उल्लास मचाते हैं ------ कैसे कहदूँ ----मेरा देस महान -------------======अभय=============== -------------------------------

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मोदी की सोच महिलाओं के बारे में -

18 अप्रैल 2017
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मोदी की सोच महिलाओं के बारे में -- अगर लड़की अचार की बोतल लेकर खड़ी हो जाए ---हालंकि बात दो साल पहले की है --उस समय भी मैंने ब्लॉग लिखा था जो ज्यादातर अंग्रेजी में था- अभी यादगार ताज़ा हुई और याद आया की देश के प्रधानमन्त्

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धिक्कार है ऐसे देश की सत्ता को -

23 अप्रैल 2017
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धिक्कार है ऐसे देश की सत्ता को --धिक्कार है मीडिया और उनके मालिकों और एंकरज पर --ये फोटोस साभार Huffingtonpost हफ़्फिंगटनपोस्ट) से --अगर ये किसानों के दर्द को बयान नहीं कर रही हैं तो क्या नौटंकी कर रहे हैं ? बड़ी बड़ी बातें और मन की बातों में कहीं भी इनका जिक्र नहीं आया-- क्यों ??वि

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कुछ तो बात है मोदी में ---

28 अप्रैल 2017
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कुछ तो बात है मोदी में --- जवान मर रहे हैं किसान आत्महत्या कर रहे हैं आतंकवाद बढ़ रहा है बेरोज़गारी बढ़ रही है गरीबों और अल्पसंख्यों और महिलाओं का शोषण शिखर पर है तथाकथित हिन्दुरक्षक टोले पुलिस को भी नहीं बख्श रहे हैं पशुओं को माँ बनाकर इंसानो की बलि दी जा रही है धर्मिक उन्माद ऐसा ब

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युद्ध आम अवाम नही बल्कि सत्ताएं करती हैं -----

30 अप्रैल 2017
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युद्ध आम अवाम नही बल्कि सत्ताएं करती हैं ------ युद्ध के हथियार और दूसरे साधन जुटाने के लिए जो धन राशि विदेशों को दी जा रही है --गर पाकिस्तान और भारत अपने देश वासियों के आम जीवन को सुखमय बनाने में लगाए तो हो सकता है कोई राहत भी मिले ! एक दूसरे से युद्ध का माहौल बनाने में रहे दोनों देशों की

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यह भी होना ही था . बीजेपी सरकार क्या क्या नहीं कर दिखाएगी .!!!!!!

30 अप्रैल 2017
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यह भी होना ही था . बीजेपी सरकार क्या क्या नहीं कर दिखाएगी .!!!!!! नहीं ,मेरा अभिप्राय है कि क्या क्या नहीं सुनाएगी !!!!!!!!!!!!. करना तो बीजेपी को आम आदमी की हालत बदतर ही है , इसका अब क्या रोणा . बात तो यह है कि इसकी बयानबाज़ी में भी कोई मल्हम नहीं नज़र आती . छोड़ेगी भी नहीं ये

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मेरी घोषणा

2 मई 2017
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मैं महान सेवक घोषणा करता हूँ कि बैंकों में मैंने चपल्लों को उधार लेने के खाते खुलवा दिए हैं , भाईओं और बहनों जिस के पास चप्पल नहीं है , इन खातों से हवाई जहाज से यात्रा करने के लिए चप्पलें उधार ले सकते है . यात्रा के बाद इन्हे बैंकों के खातों में जमा करा दीजिये

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मई दिवस मजदूरों का दिवस है

4 मई 2017
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मई दिवस मजदूरों का दिवस है मैं भी एक मजदूर हूँ --क्या दूसरों के सहारे शोषण के उन्मूलन की प्रतीक्षा करते रहेंगे जब फ़टी धरती मैं मिट्टी हटा रहा था जब आया जलजला मैं पानी से लड़ रहा था इमारतों की तहों में

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यह और बात हो सकती है की डॉक्टर आंबेडकर के विचारों पर बहस की जाये

7 मई 2017
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यह और बात हो सकती है की डॉक्टर आंबेडकर के विचारों पर बहस की जाये और आज के परिपेक्ष में उनके विचारों को समझा जाये -- लेकिन यह बात और है --जब मोदी और बीजेपी देश को हिंदुत्व की दिशा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हों ,नागरिकों के अधिकार को बंधित कर एक नए तरिके की आपातकाल प्रणाली शुरू

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क्यों मीडिया और लोग मंगलो और उनके मामले के बारे में इस तरह के एक हो-हल्लाह कर रहे हैं?

8 मई 2017
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क्यों मीडिया और लोग मंगलो और उनके मामले के बारे में इस तरह के एक हो-हल्लाह कर रहे हैं? वह असली नायक या सिर्फ एक रील हीरो है? न्यायिक प्रणाली के बारे में तो भूल ही जाओ. यहाँ पर तो अदालत और न्यायाधीश उल्लेख के लायक ही नहीं है .उनके कार्यों और निर्णय

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तो फिर मुझे ऐसा क्यों बनाया---"उसने" ---

12 मई 2017
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तो फिर मुझे ऐसा क्यों बनाया---"उसने" ---ज्ञानी : "सब उसकी माया है -वही सब कुछ है --वही बनाता और मिटाता है -चलो , उसकी शरण में चलें-रामधन मुर्ख -----!!-"रामधन : " अगर नहीं गए तो -------?"ज्ञानी : "जाने पर आनंद और खुशहाली मिलेगी-------न जाने पर बर्बादी --------!!!!-"रामधन : " क्या आप उनकी शरण में जाते

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चुप है आसमां , चुप है धरती -- फिर भी मैं चुप नहीं हूँ -----

19 मई 2017
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चुप है आसमां , चुप है धरती --फिर भी मैं चुप नहीं हूँ ----- जब जब धरती पर संकट आते हैं --तो भगवांन अवतार लेकर धरती को पाप मुक्त करवाने अवतार लेकर धरती पर आते हैं ---- हालाँकि मेरे जैसे मूढ़बाक को भगवान और अवतार की बातें गले से नहीं उतरती ---दिमाग में फिर कैसे

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I may be the Next Target of This Heroic Act --कृपया कोई पाठक इसका हिंदी अनुवाद करने की कृपा करें धन्यवाद सहित --- अभय

29 मई 2017
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I may be the Next Target of This Heroic Act -- No answers of the burning issues of the common man--Just the opposite , just to divide and unethically and illegitimately spreading the conflicts that should keep on brewing for their entertainment .--So Pathetic===============अभय ===================असल

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मरे पिटे क्यों --कमजोर हो इसलिए

1 जून 2017
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मरे पिटे क्यों --कमजोर हो इसलिए बात कांग्रेस या बीजेपी की नहीं है --बात आम जनता के शोषण से भरी जिंदगी से है .इतने बड़े देश में इतनी प्राकृतिक सम्पदा होते हुए भी गरीबी की हालत मखियों के भिनभिनाने से भी ज्यादा है .कहीं से कोई प्रतिरोध व् प्रतिवाद नज़र नहीं आ रहा है

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अछूत और सफ़ाई कर्मचारियों के विषय में यह जानना ज़रूरी है!

15 अक्टूबर 2017
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अछूत और सफ़ाई कर्मचारियों के विषय में यह जानना ज़रूरी है!15th October 2017 at 9:14 am अछूत और सफ़ाई कर्मचारियों के विषय में यह जानना ज़रूरी है!Posted by newseditorAbhay Vivek Aggroia=================अब यह जानना भी जरूरी है कि–अछूत और सफाई क

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शहीद भगत सिंह हम तुम्हे याद करते हैं

12 नवम्बर 2017
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"ओ शहीद भगत सिंह हम---यह भी एक कविता है क्रांतिकारियों को याद करते करते ------कोई गुनगुनाए और गीत बनाए तो जानूँ---------------"ओ शहीद भगत सिंह हम तुम्हे याद करते हैंजो भुलाए तुम्हे, उनपर हम एतराज़ करते हैं ---------------------------------शहादत की एक परख अनोखी रच गया कुर्बानी के ज़ज़्बे को सबसे ऊँचा कर

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नया साल आया है

1 जनवरी 2018
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Abhay Vivek Aggroiaनया साल आया है,क्या दाल रोटी लाया है !या ख़ाली हाथ आया है .नहीं तो नया क्या पाया है .जनवरी की पहले पल के लम्हों की गूंज मैं हम शामिल नहीं है इस तड़क भड़क के रूप में .एक सनाटा है काटता है सर्दी का कहरकब बदलेगा हमारे जीवन से शोषण का असर .हमारी दिनचर्या क्या तारीखों और दिनों का हिसाब रख

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अच्छे दिन

10 जनवरी 2018
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"अच्छे दिन " मोदी मोदी मोदी मोदी !!-----अपने टैक्स समय से दो . बेहद निर्णय लेने पड़े हैं , आपको झेलने होंगे-====डिजिटल लेन दें करना सीखो. हमारी पसंद के ही भोजन खाने की इज़ाज़त है -----जिस पहनावे की वजह से हम गुस्से से फड़फड़ा उठें , ऐसे कपड़े न पहनों ---===="अच्छे दिनों " के लिए "आधार कार्ड " आपको हम ने द

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कहाँ हैं वो जिन्हे हिन्द पर नाज़ है

19 अप्रैल 2018
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ये व्यवस्था ही बलात्कारी है और बलात्कारियों को गर्वित करती है ---मुझे ऐसी व्यवस्था पर नाज़ नहीं- किसका नाम लूँ या ना --कहाँ हैं , कहाँ हैं , कहाँ हैं वो जिन्हे हिन्द पर नाज़ है ===अभय ==जम्मू-कश्मीर में आठ साल की एक बच्ची के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले की आधिकारिक ज

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खूंखार मंजर

24 जुलाई 2018
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बढ़ ही रहा है ---------------------------- यह खूंखार मंजर ----------------------------------- साल गुज़रते रहे ======तरसते रहें हम "अच्छे दिनों " को और " सबका विकास " से !!!!!!!???????? RSS को हिन्दुओं की नहीं बल्कि हिंदुत्व की चिंता सता रही है. यह आडम्बर किस लिए ????!!!!!!

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