"ओ शहीद भगत सिंह हम---
यह भी एक कविता है क्रांतिकारियों को याद करते करते ------
कोई गुनगुनाए और गीत बनाए तो जानूँ---------------
"ओ शहीद भगत सिंह हम तुम्हे याद करते हैं
जो भुलाए तुम्हे, उनपर हम एतराज़ करते हैं --
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शहादत की एक परख अनोखी रच गया
कुर्बानी के ज़ज़्बे को सबसे ऊँचा कर गया
तेरे जीने के मक़सद के मायने को हम सरताज करते हैं ---
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जुल्मो से सीधा मुकाबला कर एक अलग सीख दी
शोषण को दुनिया से मिटाने की एक नई तहरीक दी
तेरी इस पताका को फहराते हुए हम बुलंद आवाज़ करते हैं ----------
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कांप गयी अंग्रेजी हकूमत और कातिल बन गयी
तेरे विचारों को दबाने की हर नापाक कोशिश कर गयी
फांसी चढ़ गए नौजवानों को हम अपना हमराह करते हैं ----------
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फिरंगी भागे , अपने ही बन बैठे हैं आज के सत्ताधारी
एक लड़ाई और लड़नी है सब मिलकर हक़ में हमारी
तर्ज़ तेरे होंसले की लेकर एक आंदोलन का आहवान करते हैं --------
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एक कोशिश --
============= अभय ==================