यह भी होना ही था . बीजेपी सरकार क्या क्या नहीं कर दिखाएगी .!!!!!! नहीं ,मेरा अभिप्राय है कि क्या क्या नहीं सुनाएगी !!!!!!!!!!!!.
करना तो बीजेपी को आम आदमी की हालत बदतर ही है , इसका अब क्या रोणा . बात तो यह है कि इसकी बयानबाज़ी में भी कोई मल्हम नहीं नज़र आती . छोड़ेगी भी नहीं ये सरकार किसी भी तरह , न जिन्दा , तो न मरकर . आत्महत्या कोई गर्व की बात नहीं .लेकिन ऐसी बात ऐसे समय पर इस प्रकार से एक बीजेपी ( वर्तमान राजसत्ता पार्टी ) के मंत्री के मुख से निकले तो इसे कहेंगे कि जले पर नमक छिड़कना .आत्म हत्या के मनोवै ज्ञान िक डॉक्टर भी अब बीजेपी के नेता बन गए हैं??? . क्यों साहिब क्या चाहते हो ? ,सुनिए इनको भी , --------------------------------------------------------------------------------- ये कहा था हरयाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने ,
"आत्महत्या करना अपराध है. कोई भी आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी से भाग कर अपने नादान बच्चों और अबोध पत्नी पर बोझ डाल कर चला जाता है. सरकार जैसी कोई संस्था ऐसे कायर आदमी के साथ खड़ी नहीं हो सकती। सरकार किसी अपराध या अपराधी के साथ नहीं खड़ी हो सकती. हरियाणा के लोग ठाढै हैं, वे अपनी पत्नी और बच्चो पर बोझ नहीं डालते। समाज कभी भी कायर के साथ खड़ा नहीं होता. समाज ठाढै लोगों के साथ खड़ा होता है. "
तब तो ऐसे अपराधों के जनम दाता तो कितने ही कायर और पापी होंगे. तो कितनी पापी है बीजेपी सरकार और उसके राजनेता (और इनसे पहले की कांग्रेसी सरकार) ? इन्हे समाज में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए . पीटो भी और रोने भी न दो . यह क्या बला है . शर्म आणि चाहिए मोदी , धनखड़ और बीजेपी की सरकार को , ऐसे बयान देने और सोच पर. " समाज ठाढै लोगों के साथ खड़ा होता है". सही है ये सरकार ठाढ़े यानि महाअमीरों के साथ है . "अच्छे दिन" आ गए हैं इनके . किसान को मज़बूर और कमज़ोर कर , उसे आत्महत्या करने पर विवश कर रही है यह सत्ता . सिर्फ ठाढ़े के साथ ही है यह सरकार , एहि तो बीजेपी की विचारधारा है .कमज़ोरों को कुचलने वाली सरकार है यह !!!! अभी तो "भूमि अधिग्रहण बिल " बाकी है. गरीब किसानो की ज़मीन छीन कर कौन "नादान बच्चों और अबोध पत्नी पर बोझ डाल रहा है "?.
फिर कांग्रेस और राहुल क्या हरकत में आये हैं !!! . आज इन्हे किसानो की हालत सही में दिखाई दी है . और हंगामा मचाने का मौका मिला है . राहुल और कांग्रेस ने अपने सत्ताकाल में कितने किसानो के घर उजाड़े हैं , कितनो किसानो की जमीन को कायदे कानून के दायरे-चक्र में लेकर अपनों को शंख- पति ( करोड़ तो एक नये पैसे के बराबर है , उनकी जायदाद) बना दिया है . कितने किसानो ने आत्म हत्या की कांग्रेस के शासन काल में , इसका भी तो हिसाब राहुल, सोनिया और कांग्रेस पार्टी दे. फिर तो मानेगे की इनके आंसू मगरमच्छी नहीं है . दो दिन इधर उधर बन्दर नाच कर तमाशा क्यों दिखा रहो हो . यह छुपाछुपी के बचपन जैसे खेल से कब तक अपनी लीला दिखाते रहोगे , राहुल गांधी आप !!
किसानो और मज़दूरों और निम्न मध्यवर्गीय जनता को इन सब राजनैतिक पार्टियों के हथकंडों को समझ , इन्हे परास्त करने के लिए एकजुट होकर मुकाबला करना होगा. दिखा देना होगा की हम अब अबल नही हैं , इन ठाढ़ों से हमें कोई डर नहीं है .
असली मुद्दों की लड़ाई के लिए जनजीवन को एकजुट कर एक लंबे संघर्ष से ही इस से मुक्ति मिल सकती है .
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