वॉशिंगटन: नासा ने पिछले 10 दिनों में भारत की जो तस्वीरें जारी की हैं वो बेहद डरावनी हैं. इन तस्वीरों में देश के ज़्यादातर हिस्से आग की चपेट में नज़र आ रहे हैं. तस्वीर में यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के अलावा कुछ दक्षिणी राज्यों में लगी आग भी साफ नज़र आ रही है. चारों ओर लगी ये आग इस भीषण गर्मी के साथ मिलकर ब्लैक कार्बन पैदा कर रही है. ब्लैक कार्बन ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण को बेहद तेज़ी से बढ़ाता है.
इनमें से कुछ जगहों पर लगी आग को जंगल में लगी आग बताया जा रहा है. लेकिन नासा के एक रिसर्च साइंटिस्ट का कहना है कि तस्वीर में नज़र आ रही ज़्यादारा जगहों पर लगी आग फसल जलाने की वजह से लगी नज़र आती है. उन्होंने आगे कहा कि जंगल की आग बेकाबू होती है जिसकी वजह से ज़्यादा धुआं और धुन्ध पैदा होता है. किसानी से जुड़े वै ज्ञान िकों का कहना है कि बीते समय में हार्वेस्टर का इस्तेमाल बढ़ा है. फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर के इस्तेमाल की वजह से आग लगाए जाने की घटनाओं में वृद्धी हुई है.
आग की ये घटानाएं सिर्फ हरियाणा-पंजाब तक सीमित नहीं
दरअसल हार्वेस्टर से कटाई के बाद फसल का निचला हिस्सा बच जाता है जिसे आग के हवाले करना पड़ता है. आग लगाने की ये घटानाएं सिर्फ हरियाणा और पंजाब तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उत्तर के अन्य राज्यों में भी ऐसा ही होता है. फसल के निचले हिस्से को खूंटी भी कहते हैं. इसे जलाना किसनों के बीच आम चलन का हिस्सा रहा है. इसे इसलिए भी जला दिया जाता है क्योंकि बाद में इसे चारे के तौर पर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. आपको बता दें कि गेहूं की खूंटी को जलाने का चलन नया है.
नासा ने जिन राज्यों की आग की तस्वीर जारी की है उनमें चावल और गेहूं की फसल खूब होती है. इनकी कटाई के लिए दो विकल्प होते हैं. इन्हें या तो मज़दूरों से कटवाया जाता है या हार्वेस्टर से कटवाया जाता है. ऐसा कहा जा रहा है कि बीते दिनों में मज़दूरों की भारी कमी की वजह से हार्वेस्टर का इस्तेमाल बढ़ा है. वहीं हार्वेस्टर तेज़ी से काम करने के साथ-साथ सस्ता भी पड़ता है.
मध्य प्रदेश से सामने आईं आग लगने की सबसे ज़्यादा घटनाएं
सबसे ज़्यादा आग की घटनाएं मध्य प्रदेश से सामने आई हैं. राज्य के सीहोर में किसानों ने गेहूं की खूंटी में जो आग लगाई थी वो आस-पास के इलाके में फैल गई थी जिसके बाद अब तक 10 किसनों को गिरफ्तार कर लिया गया. इसी महीने मध्य प्रदेश के ही हरदा और बेतुल में लगाई गई ऐसी ही आग काफी दूर तक फैल गई. ऐसी ही घटना में राज्य की एक महिला को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानी से जुड़े मशीनीकरण के लिए इस साल 1,140.30 करोड़ रुपए दिए हैं. ये पिछले साल की तुलना में दोगुना है. मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर के आस-पास खूंटी जलाए जाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए होना है. आपको बता दें कि दिवाली के आस-पास दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में खूंटी जलाए जाने से देश की राजधानी को स्मॉग की भयंकर समस्या का सामना करना पड़ता है.
In the latest image of Nasa large parts of India look dotted with fires