धनिष्ठा
ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा
अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के
आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों
के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, दोनों फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा,
अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़ और श्रवण नक्षत्रों के विषय में हम
बात कर चुके हैं | आज चर्चा धनिष्ठा नक्षत्र के विषय में | सबसे महत्त्वपूर्ण बात
तो यह है कि धनिष्ठा में जब कुम्भ राशि आरम्भ होती है तब से लेकर रेवती नक्षत्र तक
– यानी धनिष्ठा के अन्तिम दो पाद तथा शतभिषज, दोनों भाद्रपद
और रेवती नक्षत्रों के चारों पाद पंचक – पाँच नक्षत्रों का समूह - कहलाते हैं | पंचकों
के विषय में विस्तार से पहले ही लिखा जा चुका है, आज नक्षत्रों
की चर्चा |
नाम से ही
स्पष्ट है – धनवान व्यक्ति के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है | इस नक्षत्र में चार
तारे होते हैं | इस नक्षत्र के अन्य नाम हैं वसु – जिसका
अर्थ है धन धान्य आदि | इसी कारण से कुछ Astrologer इस
नक्षत्र को जातक के अत्यन्त धनवान होने का प्रतीक भी मानते हैं तथा अत्यन्त
लाभकारी नक्षत्र मानते हैं | धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के विषय में
माना जाता है कि वह जातक सुख समृद्धि तथा मान प्रतिष्ठा से युक्त होता है तथा उसका
जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है |
इसके अतिरिक्त
मधुर,
शुष्क, उत्तम, जल समुद्री नमक आदि के
लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है | एक औषधीय जड़ी भी धनिष्ठा
कहलाती है | आठ देवताओं के एक समूह को भी धनिष्ठ कहा जाता है
और इसीलिए सम्भवतः आठ की संख्या के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा | अप:, ध्रुव, धारा, अनिल, सोम, अनल, प्रत्यूष तथा प्रभास ये आठ वसु वसु श्रेष्ठता,
सुरक्षा, धन धान्य तथा ऐसी ही अन्य श्रेष्ठ
वस्तुओं के पर्यायवाची हैं | यही कारण है कि धनिष्ठा नक्षत्र इन आठ वसुओं की
विशेषताओं का भी द्योतक है तथा इसमें उत्पन्न जातक व्यवहारकुशल हो सकता है, ऊर्जावान, दृढ़ स्वभाव, प्रसन्नचित्त,
अनुशासनप्रिय तथा लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त हो सकता है |
ढोल अथवा मृदंगम
को इसका प्रतीक माना जाता है | इसके आधार पर इस नक्षत्र की संगीत विद्या का प्रतीक
भी माना जाता है | अर्थात जो जातक इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आते हैं वे
धनवान होने के साथ ही सुरुचिसम्पन्न तथा संगीत प्रेमी भी हो सकते हैं |
श्रवण नक्षत्र की ही भाँति यह नक्षत्र भी जुलाई
और अगस्त के मध्य श्रावण माह में पड़ता है |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2018/11/16/constellation-nakshatras-27/