मृगशिरा
मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक
ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों
के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों पर चर्चा के क्रम में
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका और रोहिणी
नक्षत्रों के बाद अब चर्चा करते हैं मृगशिर और आर्द्रा नक्षत्रों की |
नक्षत्रमण्डल में मृगशिर पञ्चम पंचम है | मृगशिरा का शाब्दिक अर्थ है हिरण का सिर | या किसी भी पशु
का सिर – मृग अर्थात पशु | इस नक्षत्र में तीन तारे
एक मृग के सिर के आकार में होते हैं | सम्भवतः इसीलिए मृगशिर
नक्षत्र के जातकों का शरीर अपेक्षाकृत विशाल होता है | जिस हिन्दी माह में यह नक्षत्र पड़ता है उस माह का नाम भी मृगशिर ही है | खैर नामक एक विशिष्ट वृक्ष की शाखाएँ भी मृग के शिर के समान होने के कारण उसे
मृगशिर कहा जाता है |
मृगशिर नक्षत्र के नाम पर आधारित मृगशिर माह नवम्बर और
दिसम्बर माह के दौरान आता है | इस नक्षत्र के अन्य नाम
हैं – शशभृत, शशि, शशांक, मृगांक, विधु, हिमाँशु, सुधाँशु इत्यादि (सभी चन्द्रमा के पर्यायवाची)) | इसी से इस
नक्षत्र की शीतलता का अनुमान लगाया जा सकता है |
आर्द्रा
नक्षत्र मण्डल का छठा नक्षत्र है आर्द्रा | जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है - आर्द्र अर्थात गीला | नम, मुलायम, दयालु, उदार, प्रेम करने योग्य | इस नक्षत्र में केवल एक
तारा होता है | यह केतु का पर्यायवाची भी है | इसे भाग्य की देवी भी कहा जाता है | माना जाता है कि भगवान्
भास्कर जब आर्द्रा नक्षत्र पर होते हैं तब पृथिवी रजस्वला होती है | इस नक्षत्र के अन्य नाम हैं : रूद्र, शिव, त्रिनेत्र (सभी भगवान् शिव के नाम) | यही कारण है कि रूद्र से सम्बन्धित समस्त क्लेश, दुःख और अत्याचार या उत्पीड़िन, क्रोध, भयंकरता या कोलाहल का डरावनापन इत्यादि सबके
लिए आर्द्रा का ग्रहण किया जाता है | यह नक्षत्र भी नवम्बर – दिसम्बर अर्थात मृगशिर माह में ही आता है |
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4 जुलाई 1955 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्म | शिक्षा दीक्षा उत्तर प्रदेश के ही जिला बिजनौर के नजीबाबाद में सम्पन्न |
शिक्षा दीक्षा : संस्कृत तथा तबला में पोस्ट ग्रेजुएशन, गायन तथा कत्थक में ग्रेजुएशन, गुरु शिष्य परम्परा में गायन-तबला तथा जयपुर घराने के कत्थक की शिक्षा, भारतीय दर्शन में पी एच डी |
आकाशवाणी नजीबाबाद से उदघोषण, संगीत संयोजन, लेखन, संगीत रूपक इत्यादि विधाओं के चलते 7 वर्ष तक जुड़ाव | इस बीच लगभग पाँच वर्ष तक रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय और गढ़वाल विश्वविद्यालयों में संस्कृत अध्यापन |
1983 से विवाह के बाद से आज तक ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद, साथ ही 35 वर्षों से भी अधिक के अनुभव के साथ एक लब्ध प्रतिष्ठ ज्योतिषी |
कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनियों के लिए भी लेखन कार्य | लगभग दस वर्षों तक दूरदर्शन के प्रिव्यू पैनल पर एक्सपर्ट के रूप में कार्य |
प्रकाशित कार्य:
• बचपन से ही लेखन में गहन रूचि के कारण अनेक पत्र पत्रिकाओं में लेख लिखने का सौभाग्य |
• 2006 में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपुरपाश” प्रकाशित |
• 2006 में ही व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों पर आधारित प्रथम काव्य संग्रह “मेरी बातें” हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित |
• भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता उपन्यास “सौभाग्यवती भव” नाम से 2008 में भारतीय पुस्तक परिषद दिल्ली से प्रकाशित |
• बयार के समान उन्मुक्त भाव से प्रवाहित होती निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहती महिलाओं पर ही आधारित उपन्यास “बयार” 2015 में एशिया पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित |
सम्प्रति:
• स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास “विरक्त” शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है |
• अन्य अनेकों संस्थाओं की महासचिव रहने के बाद सम्प्रति WOW (Well-Being of Women) India नामक राष्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका |
संपर्क सूत्र: 302, कानूनगो अपार्टमेंट, 71 इन्द्रप्रस्थ विस्तार, दिल्ली –92,
मोबाइल: 7042321200
वेबसाइट : https://www.astrologerdrpurnimasharma.in/
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