ज्येष्ठा
दीपावली के सारे पर्व सम्पन्न हो चुके | अब पुनः लौटते हैं
अपनी नक्षत्र-वार्ता पर | ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा
अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के
आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों
के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, दोनों फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा और
अनुराधा नक्षत्रों के विषय में हम बात कर चुके हैं | आज चर्चा करते हैं ज्येष्ठा
नक्षत्र के नाम और उसके अर्थ के विषय में |
ज्येष्ठ – जैसा
कि नाम से ही ज्ञात होता है - बड़ा, किसी क़बीले का अथवा परिवार का मुखिया – सबसे बड़ा
सदस्य | गंगा नदी के लिए भी ज्येष्ठा शब्द का प्रयोग किया
जाता है | छिपकली को भी ज्येष्ठा कहा जाता है | यह नक्षत्र ज्येष्ठ माह में आता है मई और जून के मध्य पड़ता है | इस नक्षत्र में तीन तारे होते हैं | मध्यमा अँगुली
को भी ज्येष्ठा कहा जाता है | देवी लक्ष्मी की बड़ी बहिन भी
ज्येष्ठा कहलाती है | पौराणिक सन्दर्भों में दुर्भाग्य की
कारक देवी भी ज्येष्ठा कहलाती है | इन्द्र के जितने भी नाम
हैं जैसे शक्र, पुरन्दर आदि वे सब नाम भी इस नक्षत्र के लिए
प्रयुक्त होते हैं | ज्येष्ठा के आगमन के साथ ही नौ
नक्षत्रों की मघा नक्षत्र से आरम्भ हुई श्रृंखला का अन्त हो जाता है | ज्येष्ठा का
अर्थ है सबसे बड़ा तथा इसी इसी कारण से बड़ा, परिपक्व,
सुनियोजित आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है | बहुत से
Astrologers की ऐसी भी मान्यता है कि जातक पर यदि ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रबल
प्रभाव हो तो वह समय से पूर्व ही मानसिक रूप से परिपक्व हो जाता है और शारीरिक रूप
से भी अपनी अवस्था से बड़ा दिखाई देने लगता है | पारलौकिक तथा परा विज्ञान से
सम्बन्धित ज्ञान के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है |
प्रभुतासम्पन्न
व्यक्ति के लिए ज्येष्ठ शब्द का प्रयोग किया जाता है | छाते को भी ज्येष्ठा
नक्षत्र का चिह्न माना जाता है | छाते का प्रयोग धूप वर्षा आदि से बचाव के लिए भी
क्या जाता है तथा राजा महाराजा भी अपने प्रभुत्व के प्रदर्शन के लिए छत्र का
प्रयोग करते थे | इस प्रकार ज्येष्ठा नक्षत्र को रक्षा, सुरक्षा, परिपक्वता, पारलौकिक तथा प्रभुता आदि के साथ भी जोड़ा
जा सकता है | ज्येष्ठा नक्षत्र का अधिपति देवराज इन्द्र को माना जाता है – यह भी
इस तथ्य का द्योतक है कि प्रभुत्व के अर्थ में इस नक्षत्र की और देखा जाता है |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2018/11/10/constellation-nakshatras-23/