2017 में प्रकाशित गीत चतुर्वेदी का दूसरा कविता संग्रह, जिसमें 2010 से 2014 तक की 63 कविताएँ शामिल हैं। स्पंदन कृति सम्मान से सम्मानित ‘न्यूनतम मैं’ गीत की बहुचर्चित किताब है। प्रकाशन के तुरंत बाद ही ‘दैनिक जागरण बेस्टसेलिंग लिस्ट’ सहित कई अन्य फोरम्स में स्थान बना लिया। 2017 और 2018 के अधिकांश महीनों में यह किताब उन सूचियों में बाक़ायदा बनी रही। प्रेम, प्रकृति, व्यक्तिगत संबंधों, मानवीय स्वभाव, शहरी मध्यवर्ग और भारतीय राजनीति के विभिन्न पक्षों और प्रवृत्तियों का सूक्ष्म चित्रण करने वाली इन कविताओं को उनकी भाषिक चमक और प्रभावशीलता के कारण विशेष तौर पर सराहा गया। गीत ने आपातकाल के बाद के वर्षों में अपना बचपन गुज़ारा और 1990 के बाद के उदारीकरण के दौर में उनकी युवावस्था बीती। इन दोनों राजनीतिक स्थितियों ने गीत की रचनात्मक चेतना को ख़ासा प्रभावित किया। इनके कारण गीत ने कविता की अपनी यात्रा एक ठोस यथार्थवादी कवि के रूप में शुरू की थी। उनकी पहली किताब ‘आलाप में गिरह’ एक यथार्थवादी कवि की कृति है, लेकिन ‘न्यूनतम मैं’ तक पहुँचते-पहुँचते गीत ने मेटा-रियलिटी को विशिष्ट काव्य-उपकरण की तरह अपनाया। उन्होंने भारतीय मिथकों, दर्शनशास्त्र, राजनीतिक संवेदनशीलता और विश्व-साहित्य के अपने व्यापक अध्ययन की बारीकियों को अपनी कविताओं में जगह दी। उन्होंने इस पुस्तक में असंबद्ध काव्य-शैली का प्रचुर प्रयोग किया है। इस संग्रह की कविताएँ देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुईं।
2017 में प्रकाशित गीत चतुर्वेदी का दूसरा कविता संग्रह, जिसमें 2010 से 2014 तक की 63 कविताएँ शामिल हैं। स्पंदन कृति सम्मान से सम्मानित ‘न्यूनतम मैं’ गीत की बहुचर्चित किताब है। प्रकाशन के तुरंत बाद ही ‘दैनिक जागरण बेस्टसेलिंग लिस्ट’ सहित कई अन्य फोरम्स में स्थान बना लिया। 2017 और 2018 के अधिकांश महीनों में यह किताब उन सूचियों में बाक़ायदा बनी रही। प्रेम, प्रकृति, व्यक्तिगत संबंधों, मानवीय स्वभाव, शहरी मध्यवर्ग और भारतीय राजनीति के विभिन्न पक्षों और प्रवृत्तियों का सूक्ष्म चित्रण करने वाली इन कविताओं को उनकी भाषिक चमक और प्रभावशीलता के कारण विशेष तौर पर सराहा गया। गीत ने आपातकाल के बाद के वर्षों में अपना बचपन गुज़ारा और 1990 के बाद के उदारीकरण के दौर में उनकी युवावस्था बीती। इन दोनों राजनीतिक स्थितियों ने गीत की रचनात्मक चेतना को ख़ासा प्रभावित किया। इनके कारण गीत ने कविता की अपनी यात्रा एक ठोस यथार्थवादी कवि के रूप में शुरू की थी। उनकी पहली किताब ‘आलाप में गिरह’ एक यथार्थवादी कवि की कृति है, लेकिन ‘न्यूनतम मैं’ तक पहुँचते-पहुँचते गीत ने मेटा-रियलिटी को विशिष्ट काव्य-उपकरण की तरह अपनाया। उन्होंने भारतीय मिथकों, दर्शनशास्त्र, राजनीतिक संवेदनशीलता और विश्व-साहित्य के अपने व्यापक अध्ययन की बारीकियों को अपनी कविताओं में जगह दी। उन्होंने इस पुस्तक में असंबद्ध काव्य-शैली का प्रचुर प्रयोग किया है। इस संग्रह की कविताएँ देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुईं।