रिश्ता बहाल काश फिर उस की गली से हो
जी चाहता है इश्क़ दोबारा उसी से हो
– इरशाद खान सिकंदर
हिंदुस्तान और पाकिस्तान. दोनों का वैसा ही रिश्ता है, जैसा नींबू और दूध का है. दोनों का रिश्ता लगातार नीचे ही लुढ़क रह है. मगर इस गर्मागर्मी के बीच एक अच्छी खबर है. दोनों मुल्कों की सेनाएं साथ मिलकर युद्ध अभ्यास करने वाली हैं. ये होना है इस साल सितंबर में. रूस की सरजमीं पर. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के सदस्य देशों की जॉइंट मिलिटरी एक्सरसाइज का मौका होगा. यहीं पर पहली बार दोनों देश इस तरह साझा सैन्य अभ्यास करेंगे. इसका नाम भी अच्छा सा है- पीस मिशन. माने शांति फैलाने की कोशिश. आजादी के बाद ये पहली बार होगा जब दोनों देश इस तरह मिलिटरी अभ्यास करेंगे. दोस्ताना ताल्लुकात वाले देशों का साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करना सामान्य बात है. जैसे भारत की नौसेना जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की नेवी के साथ करती है. मगर भारत और पाकिस्तान तो कतई एक-दूसरे के दोस्त नहीं हैं. इनके बीच तो गोली और धमाकों का संबंध है.
चार बार जंग लड़ चुके हैं दोनों देश
भारत और पाकिस्तान दोनों एक-दूसरे के साथ चार बार जंग लड़ चुके हैं. एक बार आजादी के तुरंत बाद. सन 1947 में. फिर 1965 की लड़ाई. इसके बाद 1971 में बांग्लादेश के बनने से पहले. और आखिरी बार 1999 में कारगिल युद्ध. ये तो फॉर्मल लड़ाइयां हैं. आए दिन सीमा पर दोनों के बीच जो गोलीबारी होती है, वो अलग है. बाकी पाकिस्तान की तरफ से आए आतंकियों की भारत में घुसपैठ और उनके हाथों आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिए जाने की घटनाएं अलग हैं. वैसे भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने कभी साथ मिलकर काम न किया हो, ऐसा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के कई मिशनों में दोनों देश साथ हिस्सेदारी कर चुके हैं.
कौन-कौन है इस शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन में?
SCO बना था 2001 में. शुरुआत में इसके छह सदस्य देश थे- रूस, चीन, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान. 2005 में भारत और पाकिस्तान दोनों ऑर्ब्जवर मुल्कों की हैसियत से इसमें दाखिल हुए. भारत को इससे जोड़ने का जोर रूस ने लगाया. जब रूस ने भारत को सपोर्ट किया, तो चीन ने पाकिस्तान के नाम का समर्थन किया. नतीजा, भारत और पाकिस्तान दोनों इसमें घुसा लिए गए. बाद में इन्हें प्रमोट करके सदस्य बना दिया गया. अब इन दोनों देशों को मिलाकर SCO में कुल आठ सदस्य हैं. इन मेंबर स्टेट्स के अलावा चार ऑर्ब्जवर देश भी हैं- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और रिपब्लिक ऑफ मंगोलिया. छह देश इसके डायलॉग पार्टनर हैं. इनके नाम हैं- अज़रबैजान, अर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका. सितंबर में जो मिलिटरी एक्सरसाइज होनी है, उसमें सारे सदस्य देश शामिल होंगे.
भारत और चीन ने अभी-अभी ‘मीठी-मीठी’ बातें की हैं
सोचिए. भारत, पाकिस्तान और चीन, तीनों की सेनाएं साथ मिलकर एक-दूसरे के साथ ट्रेनिंग लेंगी. भारत और चीन की सेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास हुआ करता था पहले. मगर 2017 में जब डोकलाम विवाद हुआ, इसके बाद से ये बंद हो गया था. पिछले हफ्ते नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात हुई. चीजें थोड़ी बेहतर हुईं. अच्छी-अच्छी बातें हुईं. कि दोनों देशों की सेनाएं आपस में मिलकर प्रैक्टिस करेंगी. फिर चाहे वो बातचीत हो, या फिर भरोसा बढ़ाना हो, आपसी समझ बढ़ानी हो या फिर सीमा से जुड़े मामले बेहतर तरीके से संभालने की बात हो. हर स्तर पर विवाद टालने और आपसी समझदारी से चीजें सुलझाने पर फोकस किया जाएगा.
शॉर्ट में समझिए डोकलाम का झगड़ा
डोकलाम विवाद के दौरान कई बार लगा कि भारत और चीन का झगड़ा बढ़ जाएगा. डोकलाम भारत, चीन और भूटान की सीमा से लगा एक इलाका है. ये हिस्सा भूटान की सीमा में आता है. मगर चीन भी इसके ऊपर दावा करता है. विवाद तब बढ़ा, जब चीन वहां सड़क बनाने पहुंचा. भूटान ने आपत्ति जताई. भूटान का सिक्यॉरिटी पार्टनर है भारत. तो भूटान ने भारत से मदद मांगी. भारत ने अपनी सेना वहां भेज दी. एक तरफ इंडियन आर्मी. दूसरी तरफ रेड आर्मी. भारत ने कहा कि जब तक चीन पीछे नहीं हटता, वो नहीं लौटेगा. चीन ने कहा कि भारत को पीछे हटना होगा. दोनों देश 73 दिनों तक यही कहते हुए डटे रहे.
भारत की सुरक्षा के हिसाब से डोकलाम बहुत मायने रखता है. सड़क का मतलब बस सीमेंट और रोड़े से बना रास्ता नहीं होता. सड़क का मतलब होता है कनेक्टिविटी. किसी जगह पर सड़क पहुंच गई है, माने वो जगह अब पहुंच में है. अगर चीन ने डोकलाम तक सड़क बना ली, तो वो भारत की सीमा के बहुत करीब पहुंच जाएगा. तब उत्तरपूर्वी राज्यों को मेनलैंड इंडिया से जोड़ने वाला रास्ता (जिसको उसके संकरे इलाके की वजह से चिकन्स नेक कहा जाता है) भारत से ज्यादा चीन के करीब होगा. ये स्थिति भारत के लिए बड़ी डरावनी है. इसीलिए भारत किसी भी कीमत पर डोकलाम से चीन को दूर रखना चाहता है. और भारत जिस वजह से चीन को दूर रखना चाहता है, उसी वजह से चीन यहां धमकना चाहता है.
India and Pakistan to participate in a joint military exercise for the first time since Independence