पूछिये-पूछिये! यदि हम पौराणिक प्राणी होते तो क्या होते?
भैया! आज आपने हमारे दिल की बात पूछ ली। अगर हम पौराणिक प्राणी होते तो जरूर मातालक्ष्मी होते और नियमों में कुछ बदलाव करते।
हमारे इस जीवन का हर क्षण कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों को अपने अंदर स्मेटे होता है, जिनमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है परिवार और समाज के प्रति। पर इन सभी जिम्मेदारियों को निभाने में कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है और शेषनाग रूपी परेशानियों को अपने नियंत्रण में रखकर भगवान विष्णु यही संदेश देते हैं कि मुश्किल से मुश्किल समय में भी शांत रहकर कार्य करना चाहिए, इससे परेशानियां आसानी से हल हो जाती है।शेषनाग विष्णु भगवान के परम भक्त हैं और उनको शैया के रूप में आराम देते हैं। वह भगवान विष्णु के साथ क्षीर सागर में ही रहते हैं।
भगवान को देखकर सारे पति अपने आपको भगवान विष्णु मानने लगे हैं। घर आते ही विष्णु भगवान की तरह सोफे या बेड पर लेट जाते हैं। हॉं चाय-पानी के लिए उठकर बैठने में कोई गुरेज नहीं। तो सबसे पहले तो अगर हम मां लक्ष्मी होते तो शेष शैया पर विष्णु भगवान को लेटने नहीं देते। सब पतियों को बिगाड़ कर रख दिया!
अब आप ये मत कहना कि महिला के हाथ में देवगुरु बृहस्पति वास करते हैं और पुरुष के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य। जब महिला पुरुष के चरण दबाती है, तो देव और दानव के मिलन से धनलाभ का योग बनता है। भगवान विष्णु ने उन्हें अपने पुरुषार्थ के बल पर ही वश में कर रखा है। लक्ष्मी उन्हीं के वश में रहती है जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखता हैं। विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है। भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं। इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में उनकी दासी बनकर सेवा करती हैं।
देखो भैया! हम हैं उल्टे! हमने लक्ष्मी माता के बल पर अपने विष्णु जी को वश में कर रखा है। आप भी अपनी लक्ष्मी को चावल के डिब्बे और शॉल की तह से निकाल कर अपने विष्णु जी को दिखा दिया करो, विष्णु जी बस में रहेंगे।
जय लक्ष्मी माता!..... विष्णु जी तो वैसे ही वश में है।
गीता भदौरिया