एक सच्ची घटना जिसपर विश्वास करना मुश्किल हैं..।
हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सब को।नयी किताब नये जज़्बात नये अहसास शायद पसंद आये आपको ।
अप्रैल माह में अपने लम्हों को और अहसासों को शब्दों में पिरोकर अपनी डायरी में लिख रहीं हूँ...।
Han.. To hum hain middle class family.... Hmare yaha garmiyo ki chhutiyo me ghumne jana nahi hota . Dopahar ko Sona fir lagbhag 3 bje sab ka fix hota h chai bnana. Hanji chai sab se pahla kaam hota h dopahar sone k baad uthke... Agar ghumne ka na
यह कहानी है दो दोस्तों की जो अपने अतीत के सामने एक बार फिर आकर खड़े हैं और अपनी भावनाओं के वश मे कुछ इस कदर हैं की जिसका अंजाम केवल अंत था।
राजर्षि'। 'राजर्षि' में कर्तव्य अकर्तव्य की कसौटी पर पापपुण्य की विवेचना करते हुए घर्मांधता के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का प्रयास किया गया है। साथ ही रूढ़ियों को धिक्कारते हुए धर्म, प्रकृति एवं समाज को नए परिपेक्ष्य में देखा गया है। राजर्षि के सम्बन्ध मे
आँख की किरकिरी’ रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बंगला उपन्यास ‘चोखेर बालि’ का हिन्दी अनुवाद है। कई कारणों से इस उपन्यास की गिनती गुरुदेव की सर्वोत्कृष्ट रचनाओं में होती है। इसका प्रथम प्रकाशन 1902 ई. में हुआ था। इस प्रकार यह उपन्यास सच्चे अर्थों में भारत का पहल
भगवान शिव के भक्तों/ महाकाल के भक्तों को समर्पित शायरी😍
जब कॉलेज की पढ़ाई समाप्त हो गई, तब से इसी छत पर महीने में एक बार, हिंदू-हितैषी-सभा के अधिवेशन होते आ रहे हैं, इन दोनों मित्रों में एक उसका सभापति है और दूसरा उसका मंत्री है। सभापति का नाम गौरमोहन है। मित्र लोग उसे गोरा कहकर बुलाते हैं। अपने इर्द-गिर्
मेरी यह किताब कोशिश है कूछ ज्ज्बात दिल के बया करने का, कूछ नज्म, शेरो शायरी, गजल और कविताएँ, आशा है आपको पसंद आएगा, अगर हाँ, तो जरूर बताएगा ।
प्रतिदिन हम आप ज्योहीं अखबार के पन्ने पलटते हैं पाते हैं अखबार का दो से तीन पेज घरेलू हिंसा के खबरों से पटा रहता है, कहीं पति ने पत्नी का क़त्ल किया, कहीं पत्नी ने पति का. कहीं दोनों परिवार एक दूसरे पर केस डाल दिया, तो कहीं पत्नीं अपने बच्चों समेत ट्
रबीन्द्रनाथ टैगोर एक महान भारतीय कवि थे। उनका जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता के जोर-साँको में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम शारदा देवी (माता) और महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता) था। टैगोर ने अपनी शिक्षा घर में ही विभिन्न विषयों के निजी शिक्षकों के संरक्ष
"रोका है अपने आंसुओं को, आज इन्हे बहने दूं क्या... ये कुछ कहना चाहते है आज इन्हे कहने दूं क्या..." आज मेरा यार हमारे बीच नहीं है उसी के लिए 😭😭😭
सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।
अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं परन्तु सभी कहानियाँ उनकी अपनी विशिष्ठ जीवन-दृष्टि और सहज मानवीयता से ओतप्रोत होने क
Success की सबसे खास बात है की, वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है
अगस्त महीने की डायरियों का संग्रह