यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
कविता का उद्देश्य सौन्दर्यभाव को जागृत करना है। जिस सौन्दर्य को हम अपने आस-पास विद्यमान होते हुए भी अनुभव नहीं कर पाते उसे कविता के माध्यम से अनुभव करने लगते हैं। क्योंकि कविता श्रोता को एक सौन्दर्य बोधक दृष्टि प्रदान करती है और वे भाव - सौन्दर्य, शब
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। कर्मभूमि का कथासार ‘कर्मभूमि’ यथार्थ और आदर्श के
कविता, संस्मरण, साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने जीवन काल में उन्होंने ग्राम गीतों का संकलन करने वाले वह हिंदी के जिसे 'कविता इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को सुना और च
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। 'प्रतिज्ञा' उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घु
आप इस पुस्तक के माध्यम से मेरे आस-पास की कुछ इधर-उधर की नई-पुरानी घटित घटनाओं से दो-चार होंगे।
हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सब को।नयी किताब नये जज़्बात नये अहसास शायद पसंद आये आपको ।
कवि कहता है कि इन्हें देखकर मेरे हृदय में यह उत्साह हमेशा भरा रहता है कि मैं इस विशाल विस्तृत और महान सागर रूपी घर के कोने-कोने में जाऊँ और इसकी लहरों में बैठकर जी भर कर इसमें घूमूँ। निकल रहा है जलनिधि-तल पर दिनकर-बिंब अधूरा। कमला के कंचन-मंदिर का म
उम्र के इस मोड़ पर: राहुल के मोहपाश में बंधी सुषमा के साथ क्या हुआ
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। 'वरदान' दो प्रेमियों की दुखांत कथा है। ऐसे दो प्र
"यह एक ऐसी कमसिन लड़की की कहानी है जो अपनी उमड़ती हुई जवानी से अंजान थी। उसकी माँ उससे पेशा कराती थी और वो समझती थी कि हर लड़की को यही करना होता है। उसे दुनिया देखने और खुली फ़िज़ाओं में उड़ने का बेहद शौक़ था।
उर्दू में सआदत हसन मंटो की बहुत सी कहानियाँ पढ़ने के बाद विचार आया कि हिंदी में भी मंटो जैसा कोई विवादस्पद लेखक है? काफी खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि ऐसा लेखक तो पाण्डेय बेचन शर्मा "उग्र" ही है. उग्र की अनेक कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने के बाद विचार आया क
यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता
महाभारत के अमर पात्र अभिमन्यु के शौर्य को समर्पित एक कविताओं
जब कोई युवक युवती प्रेम में पढ़ती है तो किस तरह के वाक्य सामने आते हैं,।
उस दिन घर आते हुए ऐसा लग रहा था कि कोई साथ में चल रहा है लेकिन उसकी आवाज ही मुझे सुनाई दे रही थी कौन चल रहा है यह बात मुझे बिल्कुल भी मालूम नहीं थी मेरे कदमों की आवाज के साथ साथ उसकी कदमों की आवाज भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी ऐसा लग रहा था कि कोई भूत म
हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की
काल चक्र, मेरी नजर में एक काल चक्र ऐसा हैं जो सब से अधिक हमारे जीवन को प्रभावित करता हैं और हम में से कई लोग उसके बारे में जानते ही नहीं हैं, जो जानते हैं मानते नहीं ! जब अति हो जाती हैं तो सब करने को तैयार हो जातें हैं ! पुस्तक में मैं