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मायके में करवा व्रत

13 अक्टूबर 2022

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मायके में करवा व्रत

पांच रंग का पहन चोला
याद पिया की करती हूं
नयनों में भर अश्रु विंदु को
विरह पीर में जलती हूं

नित्य पिया की सहचरि हूं
व्रत करवा का रखती हूं
जोड़ अनंत में निज जीवन
खुद को अनंत कर लेती हूं

नियम, करम मैं कुछ ना जानूं
प्रीति तुम्हारी जानूं मैं
पीहर से मैं तुम्हें पुकारूं
बाबुल शरम बिसारूं मैं

सखी बुलातीं मुझे बाबरी
मयके में भी रोती मैं
रोग प्रीति का लगा है ऐसा
स्वप्न पिया का देखूं मैं

मांटी का तन, मांटी की मूरत
करवा भी मांटी का है
गुरू ज्ञान की सींक लगायीं
प्रेम नीर भर लीन्हा है

मेंहदी लगाई नाम पिया की
कर सिंगार प्रवीना है
राह निहारूं चंद्र उदय की
विरह प्रेम में जीना है

दूर पिया हैं, गगन चंद्र है
अर्द्ध चांद को दीन्हा है
उसी चांद में पियतम देखूं
व्रत मायके का करवा है

विशेष भाव

मैं - आत्मा
पिया - ईश्वर
मायका - संसार
करवा का व्रत -  ईश्वर आराधना
पांच रंग का चोला - प्रकृति

दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'


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