"क्षमा शोभती उस भुजंग को "आज भी कितनी सटीक हैदिनकर जी की कविताओं में राष्ट्रीय चेतना समग्रता में दिखाई देती है। क्योंकि वह पहले भारतीयता के कवि हैं जो बाद में राष्ट्रीयता के रूप में पहचान बन कर प्रवृत
रामधारी सिंह 'दिनकर' का जीवन चरित्ररामधारी सिंह 'दिनकर' हिंदी साहित्य के एक प्रतिष्ठित कवि, निबंधकार और लेखक थे, जिनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती हैं। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को ब
रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। पढ़ें
रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक कवि व निबन्धकार थे। रामधारीसिंह जी का जन्म 23 सितम्बर 1908 ई में बिहार के बेगुसराय जिले के छोटे से गांव सिमरिया गांव में हुआ था । रामधारीसिंह जी के पिता
अनीश की पहली मुस्कानजब अनीश ने पहली बार मुस्कराया था,माँ की गोद में वो लाड़ से लिपटाया था।उसकी नन्हीं-नन्हीं आँखों में चमक थी,जैसे आसमान के तारों की कोई झलक थी।उसकी हंसी में छिपा था संसार सारा,हर आवाज
**डरावनी रात** *(लड़की के संदर्भ में)* रात थी गहरी, सन्नाटा था फैला, आसमान में बादल काले थे छाए। एक लड़की अकेली घर लौट रही थी, दिल में था डर, आँख
**माँ, मुझे कोख में रहने दो** *(माँ-बेटी का संवाद)* "माँ, मुझे कोख में रहने दो, मैं भी देखना चाहती हूँ दुनिया की रौशनी को। मैं भी जीना चाहती हूँ,