राम जेठमलानी के बेबाक अंदाज़ को भला कौन नहीं जानता है. देश के मशहूर वकील उन लोगों में गिने जाते हैं, जो किसी भी मुद्दे पर सटीक टिपण्णी करते हैं. वह टिपण्णी करने से पहले यह नहीं सोचते हैं कि उनके सामने कौन खड़ा है और उससे उन्हें क्या फायदा या नुक्सान हो सकता है, बस उन्हें जो सच लगता है कह देते हैं. राज्यसभा सांसद जेठमलानी ने 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा का साथ दिया यह बात सभी को ज्ञात है और आज दो साल बीतते-बीतते वह कई मोर्चों पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी से नाराज दिखने लगे हैं. इसका कारण भी कोई दबा-छुपा नहीं है और अपनी बातों में राम जेठमलानी इसे जाहिर भी कर देते हैं. सीधी बात की तर्ज़ पर वह पूछते हैं कि 'प्रधानमंत्री अभी तक काला धन क्यों नहीं ला पाये?' इसके साथ महंगाई, रोजगार, पाकिस्तान-नीति जैसे तमाम मुद्दों पर जेठमलानी की नाराजगी नाजायज़ नहीं दिखती है. आने वाले दिनों में वह मानकर चल रहे हैं कि भाजपा केंद्र सरकार की कुर्सी से हट जाएगी और उसके बाद कौन आएगा के सवाल पर राम जेठमलानी, यूपी के सीएम अखिलेश यादव की तारीफ़ करते नहीं थक रहे हैं.
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पिछले दिनों, समाजवादी सिंधी समाज के प्रांतीय अधिवेशन में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने साफगोई से कहा कि 'मैं अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता हूं और खुद को गुनहगार मानता हूं कि मैंने मोदी की मदद की. मैं आपके बीच यह भी कहने आया हूं कि आप लोग प्रधानमंत्री की बातों का भरोसा ना करें.' इसी कार्यक्रम में जेठमलानी यह कहना न भूले कि 'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि साफ-सुथरी है और वह देश का भविष्य हैं'. जाहिर है, युवा मुख़्यमंत्री अखिलेश यादव सहित उनकी टीम के चेहरे इस तारीफ़ पर ख़ुशी से खिल उठे होंगे. आखिर, देश का जब एक जानामाना चेहरा आपकी तारीफ़ करता है और आपकी छवि साफ़-सुथरी होने की पुष्टि करता है तो आपको ख़ुशी होगी ही और यह ख़ुशी तब चौगुनी हो जाती है जब वह व्यक्ति भाजपा का धूर-समर्थक रहा हो. वैसे इस बात में शक-ओ-सुबहा नहीं है कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक चातुर्यता तो अखिलेश में है ही, साथ ही साथ उनसे दो कदम आगे बढ़ते हुए विकास के पक्ष में और अपराध के विरोध में अखिलेश ने जिस तरह अपनी आवाज़ बुलंद की है, उससे उनकी छवि और बेहतर दिखती है. अब कहने को तो कोई भी मुंह उठकर कह सकता है कि समाजवादी पार्टी 'कानून-व्यवस्था' के मोर्चे पर सख्ती नहीं दिखला सकी, किन्तु कौन सा ऐसा राज्य है, जहाँ अपराध नहीं हो रहे हैं? दिल्ली, महाराष्ट्र और बिहार में तो हर रोज अपराध की ख़बरें सुनने को मिल रही हैं. ऐसे में भी नीतीश कुमार को 'सुशासन बाबू' कहा जाना भला किसे हज़म होगा?
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अखिलेश यादव ने पिछले दिनों जिस प्रकार पूर्वांचल में माफिया छवि रखने वाले, किन्तु वोटों पर पकड़ रखने वाले अंसारी-बंधुओं को अपनी पार्टी से दूर धकेला, उसकी देश भर में तारीफ़ हुई है. ऐसे में मशहूर वकील राम जेठमलानी की तारीफ़ सौ फीसदी जायज़ दिखती है. इस तारीफ़ का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि जेठमलानी ने इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों की जमकर आलोचना भी की. पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री राम जेठमलानी ने इस सम्बन्ध में साफ़ कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस लाने समेत तमाम वादों को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोग किया था लेकिन अब वह खुद को इसके लिए गुनहगार और ठगा हुआ महसूस करते हैं. जाहिर है, जिस प्रकार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी कालाधन वापस नहीं लाए, जिससे न केवल राम जेठमलानी को ही, बल्कि अन्ना हज़ारे, बाबा रामदेव को भी उतनी ही पीड़ा हुई होगी. ऐसे में जैसे-जैसे केंद्र सरकार के दिन बीत रहे हैं, वैसे-वैसे मोदी के आलोचकों की संख्या बढ़ती जा रही है.
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चूंकि, आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों में चुनाव होने हैं तो ऐसे में जेठमलानी जैसे लोग भाजपा को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए हैं. जाहिर है, अखिलेश यादव की युवा और साफ़-सुथरी छवि इनको लुभा रही है. अखिलेश की तारीफ़ पिछले दिनों फिल्म अभिनेता सलमान खान ने भी की और कहा कि सुल्तान की शूटिंग उत्तर प्रदेश में सफलता पूर्वक ख़त्म हुई, जिसमें मुख़्यमंत्री अखिलेश यादव का भरपूर सहयोग मिला. जाहिर है, हर क्षेत्र के लोग अखिलेश यादव के मुरीद हो रहे हैं. मुलायम सिंह यादव ने भी अखिलेश यादव को पूरे मार्क्स दिए हैं, लेकिन साथ ही साथ उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं को सरकार की बदनामी न कराने के प्रति चेताया भी है. जाहिर है, अगर कार्यकर्त्ता अखिलेश सरकार की छवि के प्रति सचेत रहे तो कोई कारण नहीं कि न केवल उत्तर प्रदेश को, बल्कि आने वाले दिनों में देश को भी अखिलेश यादव के नेतृत्व का लाभ मिल सकता है.