जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों से चल रही हलचल पर हर भारतीय दुखी हुआ होगा. आखिर कौन चाहता है कि उसके अपने ही भाई, उसके अपने हमकदम भारतीय लगातार कई महीनों तक कर्फ्यू से परेशान रहें, दुखी होते रहें! बड़ा आसान है कह देना कि इन समस्याओं के लिए भारत की सरकार या जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार जिम्मेदार है, मगर सावधानी से देखा जाए तो आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना भी इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की जवाबदेही कहीं ज्यादा है. पाकिस्तान की जो आदत है, वह अपनी आदत अनुसार "भारत विरोधी नारे" लगा कर अपने देश को एक रहना रखना चाहता है, पाकिस्तान को टूटने से बचाना चाहता है, किंतु कश्मीर के अलगाववादियों की आखिर कौन सी मजबूरी है कि वह अपने ही लोगों का खून बहाने पर आमादा रहते हैं, तो कश्मीरी युवाओं को 'शिक्षा और रोजगार' की राह से हटाकर आतंक की राह पर धकेल रहे हैं? इतिहास में यह बात साफ सुनहरे अक्षरों में दर्ज है कि कश्मीर का विलय भारत में हो चुका है. हाँ, इस विलय में जम्मू कश्मीर रियासत के तत्कालीन महाराज हरि सिंह ने कुछ देरी जरूर की थी, जिसके कारण पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर पर हमले का वक्त मिल गया था और उसने जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों को कब्जा भी लिया है, जिसे पाक आकुपाइड काश्मीर कहा जाता है. इस मसले पर काफी हो हल्ला मचा और हमारे देश के तथाकथित 'दूरदर्शी' प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इस मामले पर जनमत संग्रह करने हेतु संयुक्त राष्ट्र जाने की बात कह दी थी. हालाँकि, यह एपिसोड कब का समाप्त हो गया और उसके बाद से काफी पानी बह चुका है. निसंदेह तमाम शोर-शराबे के बावजूद कश्मीर भारत का हिस्सा बन चुका है और पिछले लगभग 70 सालों से वहां लोकतंत्र कायम है. वहां के तमाम नागरिक जो सरकार चलाना चाहते हैं वह चुनाव में भाग लेते हैं और अपनी सरकार गठित करके जम्मू कश्मीर को लोकतंत्र की राह पर लेकर चलते भी हैं. पर यहीं बीच में आ जाते हैं अलगाववादी, जो युवाओं के हाथ में पत्थर थमा कर उन्हें तथाकथित 'आजादी आजादी' चिल्लाने की ट्रेनिंग देते हैं! उन्हें शिक्षा से हटाकर अपने ही देश के सैनिकों पर पत्थरबाजी करने को उकसाते हैं और नतीजा होता है कि पूरी व्यवस्था ठप्प हो जाती है! All Parties Hurriyat Conference, Hindi Article, New, Bad People in Jammu Kashmir, The Separatist, They Target Education System
इस बात में शायद ही किसी को शक हो कि अलगाववादियों को पाकिस्तान से आर्थिक मदद मिलती है, तो कूटनीतिक रूप से भी वह शोर करता रहता है. साथ ही साथ सैन्य मदद भी देने की कई बार कोशिश कर चुका है पर अलगाववादियों को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान भीतर से पूरी तरह खोखला हो चुका है और अगर सिर्फ इसी एक कारण से वह 'भारत विरोधी नारे' लगाता है, अन्यथा वह खुद ही कई हिस्सों में बंट जाएगा! काश कि कश्मीरी आवाम की फिक्र करने का दावा करने वाले अलगाववादी समूह इस बात पर तवज्जो देते कि उनके द्वारा व्यवस्था ठप करने से सिर्फ और सिर्फ नुकसान कश्मीरी आवाम का ही हो रहा है. हाल फिलहाल कश्मीरी अलगाववादी आतंकी हमलों और प्रदर्शनों के अलावा शिक्षण संस्थानों पर हमला करने की रणनीति अपना रहे हैं. कोई बताए उन्हें कि अपने ही युवाओं के भविष्य को शिक्षा से महरूम कर के वह सिर्फ और सिर्फ कश्मीरियों के भविष्य को अंधेरे में ही धकेल रहे हैं, जिनसे वह गरीबी और अव्यवस्था के गुलाम होंगे, बजाय कि आज़ादी के! इस क्रम में पिछले कई हफ्तों से प्राइवेट और सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए हैं और तथाकथित कश्मीरी आवाम के शुभचिंतक ' हुर्रियत नेता' इन स्कूलों को खोलने देने के लिए तैयार नहीं हैं. बीते हफ्ते तमाम सरकारी स्कूलों की इमारतों में आग लगा दी गई है. कुल मिलाकर यह बात साफ तौर पर दिख रही है कि अलगाववादी कश्मीरी युवाओं को शिक्षा से दूर रखना चाहते हैं! दिलचस्प बात यह देखिए कि एक तरफ तो बंद के नाम पर अलगाववादी तमाम ड्रामे कर रहे हैं, वहीं एक स्कूल ऐसा भी है जहां इन नेताओं का रुख थोड़ा नरम नजर आया है. वह स्कूल है श्रीनगर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) और इस पर मेहरबानी का एक कारण ही है और वह है अलगाववादी नेता और हुर्रियत चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी की पोती इस स्कूल में पढ़ती है और परीक्षा देने गई थी. इसलिए इस स्कूल को उन्होंने छोड़ दिया है. खैर अलगावादी नेता अपने बच्चों को शिक्षा देंगे, कई अपने बच्चों को पाकिस्तानी धन के सहारे विदेशों में भी भेज देंगे और कश्मीरी बच्चों को झुलसने के लिए छोड़ दिया जाएगा. यह तमाम अलगाववादी/ आतंकी नेता सारी सरकारी सुविधाएं भी उठाएंगे, उनको भारतीय पासपोर्ट भी चाहिए देश से बाहर जाने के लिए, किंतु दूसरे कश्मीरी लोग कर्फ्यू में झुलसते रहें तो झुलसें अपनी बला से! All Parties Hurriyat Conference, Hindi Article, New, Bad People in Jammu Kashmir, The Separatist, They Target Education System
अशांति की आग में अगर कश्मीरी जलते हैं तो जलें, भला अलगाववादियों के कानों पर 'ज़ू' क्यों रेंगने लगी? शिक्षा व्यवस्था पर हमले का उदाहरण बीते अगस्त में भी सामने आया था जब शिक्षा मंत्री नईम अख्तर के निजी आवास पर पेट्रोल बम फेंक दिए गए थे. जाहिर तौर पर यह पूरी कवायद किसी भी स्तर से जायज नहीं ठहराई जा सकती! सच्चाई से आंख मोड़े यह अलगाववादी पूरी तरीके से जानते हैं कि पाकिस्तान सिर्फ भारत में अशांति फैलाने के लिए कश्मीरियों का इस्तेमाल कर रहा है. कश्मीरी अलगाववादी नेता यह भी जानते हैं कि सदियां बीत जाएंगी लेकिन पाकिस्तान की कश्मीर को लेकर दुष्कामना कभी सफल नहीं होगी. यह बात हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र संघ में भी कह चुकी हैं. इस क्रम में, कश्मीरी अलगाववादी यह भी जानते हैं कि अगर काल्पनिक रूप से मान भी लिया जाए कि कश्मीर भारत से अलग हो भी जाए तो पाकिस्तान जैसे देश में उनके साथ बुरी दुर्गति ही होती रहेगी! क्या कश्मीरी अलगाववादी यह बात नहीं जानते हैं कि भारत से बंटवारे के समय ही जो मुसलमान पाकिस्तान गए उनको 'मुहाजिर' कहकर वहां अपमानित किया जाता है. क्या जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी यह बात नहीं जानते हैं कि पाकिस्तान के साथ उनका और उनकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य और भी अंधकार में ही जायेगा? निश्चित रूप से इन अलगाववादियों की संख्या आम कश्मीरियों की तुलना में बेहद कम है, किन्तु वह कहावत है न कि 'नंगे की नंगई से सब परेशान'! अब वर्तमान हालात को ही ले लीजिये कि भारत सरकार और भारतीय सेना के संयम का गलत फायदा उठाते हुए राज्य की शिक्षा व्यवस्था को चंद अलगाववादियों ने ठप्प कर दिया है. All Parties Hurriyat Conference, Hindi Article, New, Bad People in Jammu Kashmir, The Separatist, They Target Education System
हमारे प्रधानमंत्री तक को गृह मंत्रालय को आदेश देना पड़ा है कि वह वहां स्कूल-कॉलेजों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करके उन्हें तुरंत खुलवाएं. खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने राजनाथ सिंह से कहा है कि वे हर हालत में घाटी में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करें. उन्होंने राज्य सरकार से इन स्कूलों को सिक्योरिटी देने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है और गृह मंत्रालय ने भी जम्मू एवं कश्मीर सरकार से बात की है और कहा है कि राज्य 500 स्कूलों में समय पर परीक्षाओं का आयोजन करें. गौरतलब है कि 10वीं कक्षा के पेपर 15 नवंबर से आरंभ होंगे और 28 नवंबर तक चलेंगे. वहीं 12वीं की परीक्षा 14 नवंबर से 3 दिसंबर तक चलेगी. समझा जा सकता है कि भारत सरकार ने बेहद नरमियत से अलगाववादियों से वार्ता करनी चाही है ताकि कुछ भटके हुए युवा मुख्यधारा में आ जाएँ, किन्तु कुत्ते की दूम की तरह अलगाववादी सीधी राह पर आने को तैयार ही नहीं नज़र आते! साफ़ जाहिर होता है कि हर तरह की स्थितियों को समझने के बावजूद कश्मीर को लोगों को आग में झुलसाना और घाटी में 'शांति-भंग' करना ही अलगाववादियों का उद्देश्य बन कर रह गया है. आंकड़े साफ़ तौर पर कहते हैं कि भारत सरकार हर स्तर पर किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले कश्मीर को ज्यादा तवज्जो देती है, ज्यादा आर्थिक मदद देती है, ज्यादा सहूलियतें प्रदान करती है, लेकिन दो-चार नेता, कुछ पाकिस्तानी दलाल और कुछ आतंकवादी जम्मू कश्मीर की जनता की नाक में दम किये हुए हैं. काश कि यह अलगाववादी कश्मीरियों का भला करने को राजी हो जाएँ, वहां के युवाओं की शिक्षा और रोजगार के लिए आवाज़ उठाएं, तो शायद कश्मीरियों के लिए वह समय सर्वश्रेष्ठ होगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि इसे घाटी के तथाकथित शुभचिंतक भी समझ जायेंगे और अगर वह नहीं समझे तो उन्हें समझाने की जिम्मेदारी कश्मीरी आवाम की ही होगी. हाँ, जम्मू कश्मीर के प्रत्येक भारतीय नागरिक के साथ भारतीय सेना और भारत सरकार पूरी मजबूती के साथ खड़ी है. इतनी मजबूती से कि बिना भारतीय गणतंत्र की इजाजत के बिना 'यमराज' को भी कश्मीर से वापस लौट जाना पड़े, चंद अलगाववादी और पाकिस्तान तो फिर चीज ही क्या हैं?