... बताते चलें कि जो 20 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं उनमें से 3 भारतीय और 17 विदेशी उपग्रह थे. जिसमें काटरेसैट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और दो चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा तैयार उपग्रह था. बाकी के 17 उपग्रह अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के थे जो व्यापारिक दृष्टि से अंतरिक्ष में स्थापित किये गए हैं. जाहिर है, यह खबर सुनकर हर एक भारतीय को ख़ुशी होनी चाहिए, क्योंकि अब भारत की मदद अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़े और विकसित देश सहजता से लेने लगे हैं. अंतरिक्ष के असीमित क्षेत्र से भारत को कमाई के बड़े अवसर खुलने लगे हैं और इस का महत्त्व आने वाले दिनों में बढ़ते ही जाएगा, इस बात में दो राय नहीं! काटरेसैट-२ (ISRO launches 20 satellites) को पृथ्वी पर निरीक्षण के लिए भेजा गया है, जिसकी तस्वीरों से काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और अन्य प्रयोगों के लिए मददगार मिलेगी. जैसे कहीं सड़क बिछ रही है तो उस पर आसानी से प्रशासन नजर रख सकता है. ऐसे में सड़क का ठेका लेने वाली कंपनी झूठ बोलकर बेवकूफ नहीं बना पायेगी. ऐसे ही, जो पानी सरकार के द्वारा वितरित किया जाता है, उसका हिसाब भी आसानी से रखा जा सकता है. इससे भी बढ़कर बात यह है कि इसका मुख्य काम धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है. काटरेसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पतिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा. इस सेटेलाइट के जरिए भारत ये सही-सही जान सकता है कि कहाँ पर किस तरह के और कितने जंगल हैं! साथ ही नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी. इसी कड़ी में, सत्याभामा सैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा, तो पुणे का स्वायन उपग्रह हैम रेडियो कम्युनिटी को संदेश भेजने का काम करेगा. मतलब जितने महत्वपूर्ण कार्य इन सैटेलाइट्स से हो सकते हैं, उसे करने के उद्देश्य के तहत, इस कामयाबी के साथ इन सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित करने वाले राकेट PSLV का मान दुनिया भर में बढ़ गया है. कई हलकों में इसे सफलतम रॉकेटों में गिना जा रहा है. यदि तकनीकी दृष्टि से बात करें तो, इस सेटेलाइट का वजन 725.5 किलोग्राम है. भारत का अपना बनाया हुआ राकेट 44 मीटर ऊंचा है. बताते चलें कि इसरो ने मंगलयान और चंद्रयान को भी PSLV की मदद से ही अंतरिक्ष में भेजा था. जाहिर तौर पर यह ...