https://purnimakatyayan.wordpress.com/2016/06/25/
वासन्ती मुस्कान लिए तुम यों ही मुसकाते रहना |
कही कहानी कल जो तुमने उसको दोहराते रहना ||
पुष्प प्रणय का खिला हुआ है, किन्तु चतुर्दिक काँटे हैं
कल हममें क्या बात हुई, कर रहे सभी ये बातें हैं |
पर उन बातों को सुनकर तुम यों ही बहलाते रहना
कही कहानी कल जो तुमने उसको दोहराते रहना ||
शून्य हो गई सब चेतनता, अंगों में आलस्य भरा
नयनों में अद्भुत चंचलता, मन में है उन्माद भरा |
कल जो गाँठ बंधी हममें तुम उसको सहलाते रहना
कही कहानी कल जो तुमने उसको दोहराते रहना ||
चली आ रही कब से दुनिया, पता नहीं कित जाना है
नहीं कोई है संगी साथी, और न कोई ठिकाना है |
डरना क्या, तुम साथ हमारे यों ही इठलाते रहना
कही कहानी कल जो तुमने उसको दोहराते रहना ||
हम दो चेतनता के साथी आज मिले कुछ ऐसे हैं
जगी दिए की लौ में बाती और स्नेह संग जैसे हैं |
नेह दीप ना बुझे कभी, तुम बाती उकसाते रहना
कही कहानी कल जो तुमने उसको दोहराते रहना ||
एशिया प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित मेरे उपन्यास “बयार” से...........