तुमने किया समर्पण पूर्ण रूप से
मेरी बाहों में / मेरी गोदी में
और बनाया मुझे केन्द्र
अपने ब्रह्माण्ड का
अपने प्रेम और विश्वास का
एक मौन साधक की भाँति
तभी तो हो तुम मेरे लिए इतने ख़ास
और बन गए हो
मेरे प्रेम और विश्वास का केन्द्र
मानो हो कोई पूर्व जन्म का नाता
अगाध स्नेह से परिपूर्ण
एक अटूट बन्धन
और इसीलिए मैं बन जाना चाहती हूँ
तुम्हारी आँखें
ताकि तुम देख सको संसार को
मेरी नज़रों से
और महसूस कर सको
कितने रंग, कितने रूप
और कितने ढंग हैं इसके
7 posts published by purnimakatyayan on June 12, 2016 June 12, 2016 – purnimakatyayan