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साम दाम दण्ड भेद

6 अप्रैल 2022

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बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने 

अनोखी प्रेम कथा 

लेखक - रामजी दौदेरिया 

अध्याय ४

कुलीन और झोपटलाल कमरे से बाहर आते हैं, कमरे से निकल कर छत पर आकर खड़े हो जाते हैं और नीचे देखते है कि कुलवंता और लाजवंती लड़ रहे हैं। 

 

“ कुलीन तुम्हारे मम्मी पापा हर वक्त लड़ते रहते हैं, और तुम इनमें प्यार कराना चाहते हो ताकि ये फिर कभी ना लड़े। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ हाँ, पर तुम्हें कैसे पता? ” कुलीन ने कहा। 

“ झोपटलाल नाम है हमरा, हर बात का पता रखता हूँ, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, तुम्हारे मुहल्ले से पता चला। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ हाँ तो। ” कुलीन ने कहा। 

“ तो क्या? हमारे पास तुम्हारी समस्या का समाधान है। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ सच में, मुझे भी बता दो। ” कुलीन ने कहा। 

“ एक शर्त पर, तू मुझ से किराया नहीं लेगा ।” झोपटलाल ने कहा। 

“ अरे झोपट भाई मैं उल्टा आप को किराया दूँगा। ” कुलीन ने कहा। 

“ ठीक है, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, मैं तुम्हें बताता हूँ चार मंत्र, इन चार मंत्र के प्रयोग से तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी, तुम्हारे मम्मी पापा में प्यार हो जाएगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ क्या हैं चार मंत्र ? जल्दी बोलो। ” कुलीन ने कहा। 

“ सुनो,  चार मंत्र हैं साम दाम दण्ड भेद। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

कह कर झोपटलाल अपने कमरे में चला जाता है। कुलीन आवाज देकर टूटी को बुलाता है। टूटी अपने कमरे से निकल कर कुलीन के पास आती है।  

 

“ क्या हुआ भाई, क्यों गला फाड़ रहे हो? ” टूटी ने कहा। 

“ टूटी झोपटलाल ने मुझे साम, दाम, दण्ड, भेद ये चार मंत्र दिए हैं इन के प्रयोग से मम्मी पापा में प्यार हो जाएगा फिर वे कभी नहीं लड़ेगे। ” कुलीन ने कहा। 

“ भाई इस नीति के बारे में मैं ने बहुत सुना है लेकिन इसका प्रयोग करेंगे कैसे? ” टूटी ने कहा। 

“ चल झोपटलाल से पूछ कर आते है। ” कुलीन ने कहा। 

 

कुलीन और टूटी झोपटलाल के कमरे में जाते हैं, झोपटलाल अपने कमरे में टहल रहा है, कुलीन और टूटी आकर उससे पूछते हैं कि साम दाम दण्ड भेद का प्रयोग कैसे करें ? 

 

“ आप मुझे ये तो बताओ कि साम दाम दण्ड भेद का प्रयोग करना कैसे हैं ?” कुलीन ने पूछा। 

“ साम मतबल समझाना। ” झोपटलाल ने कहा।

“ समझाने से कुछ नहीं होने वाला ये तो हम पहले से करते आ रहे हैं, कुछ और हो तो बताओ। ”टूटी ने कहा। 

“ छोड़ो समझाना समझाने से नहीं होगा तो सहायता से होगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ मतलब। ” कुलीन ने पूछा। 

“ साम मतबल सहायता, जब तुम्हारे मम्मी पापा किसी काम में एक दूसरे की सहायता करेंगे तो उनमें प्यार हो जाएगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ ऐसा कोई काम नहीं जिसमें मम्मी पापा एक दूसरे की सहायता करेंगे। ” कुलीन ने कहा। 

“ एक काम है जिसमें तुम्हारे मम्मी पापा पक्का एक दूसरे की सहायता करेंगे। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ ऐसा क्या काम हो सकता है, मुझे बताओ ? ” कुलीन ने कहा। 

“ ऐसा काम है खाना बनाना, तुम अपने मम्मी पापा को अलग अलग कमरे में बंद कर दो और शाम को खोलना क्योंकि शाम तक उन्हें बहुत तेज भूख लगेंगी और फिर ये खाना बनाने में पक्का एक दूसरे की मदद करेंगे, फिर देखना तुम्हारे मम्मी पापा में पक्का प्यार हो जाएगा, चूना लगा के तम्बाकू चबा के।” झोपटलाल ने कहा। 

“ समझ गया मैं। ” कुलीन ने कहा। 

“ मैं भी समझ गई। ” टूटी ने कहा। 

“ चल टूटी। ” कुलीन ने कहा। 

“ चल भाई। ” टूटी ने कहा। 

 

कुलीन और टूटी नीचे आते हैं और लड़ते हुए अपने मम्मी पापा को खींच कर अलग करते हैं। टूटी लाजवंती को कुलीन कुलवंता को घसीट कर ले जाते है और अलग अलग कमरे में बंद कर देते है। झोपटलाल ऊपर खड़ा सब देख रहा है।

 

“ झोपट भाई मैं जा रहा हूँ अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने, शाम को आऊँगा, तब तक मम्मी पापा के पेट में चूहे कूदने लगेंगे। ” कुलीन ने कहा। 

 

कह कर कुलीन चला जाता है। 

 

“ झोपट भाई मैं भी जा रही हूँ अपने बॉयफ्रेंड से मिलने, शाम को आऊँगी ।” टूटी ने कहा। 

“ जा रे, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, चिंता की कोई बात नहीं। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ झोपट भाई तुम हर बात में चूना लगा के तम्बाकू क्यों चबाते हो। ” टूटी ने कहा। 

“ ये मेरी तकुललुस है। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ कौन सी लुक लुक है ? ” टूटी ने कहा। 

“ तकुललुस मतबल मेरी आदत है आदत। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ इतनी गंदी आदत है पक्का तुझे कैंसर होगा। ” कह कर टूटी चली जाती है। 

“ कैंसर तो मैं तुम सब को दे कर जाऊँगा। ” टूटी के जाने के बाद झोपटलाल ने कहा। 

 

दोपहर का समय हो जाता है, झोपटलाल को भूख लगती है वह किचन में आता है। अपने लिए खाना बनाता है, थोड़ी देर में खाना बन कर तैयार हो जाता है। वह अपनी थाली लगाता है और खाना खाता हुआ बाहर आता है। जिस कमरे में कुलवंता बंद है पहले झोपटलाल वहीं जाता है, कुलवंता खिड़की से झाँकता है, झोपटलाल उसी के सामने खाना खाता है। 

 

“ मुझे भी भूख लग रही है, थोड़ा खाना मुझे भी दे दे। ” कुलवंता ने कहा। 

“ तेरे को खाना नहीं मिलेगा रे, ये देख पनीर है पूड़ी है, तू खुशबू से ही काम चला ले। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

फिर झोपटलाल लाजवंती के सामने जाता है, लाजवंती खिड़की से झाँकती है, झोपटलाल उसके सामने खाना खाता है। 

 

“ झोपटलाल मेरे को भी खाना दे दे रे, भूख के बारे मेरी हालत खराब हो रही है। ” लाजवंती ने कहा। 

“ हाँ वो तो मुझे दिख ही रहा है, तुम तो एक दम काली पड़ गई हो जैसे बिना दूध की चाय वो भी फटी हुई, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, तुझे भी खाना नहीं मिलेगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

फिर झोपटलाल खाना खाता हुआ ऊपर चला जाता है, कुलवंता और लाजवंती खिड़की से झाँकते रह जाते हैं। 

 

 

 

बाहर! कुलीन अपनी गर्लफ्रेंड चम्पा से और टूटी अपने बॉयफ्रेंड गोलू से मिलते है। कुलीन चम्पा के साथ और टूटी गोलू के साथ अलग अलग घूमते है,  फिल्म देखते होटल में खाना खाते है, माॅल में शौपिंग करते हैं, शाम को कुलीन और टूटी अपने घर आते हैं। 

घर आकर कुलीन झोपटलाल को नीचे बुलाता है, झोपटलाल अपने कमरा से निकल कर ऊपर से नीचे आता है। 

कुलीन कुलवंता को और टूटी लाजवंती को कमरे से बाहर निकाल देते है, कुलवंता और लाजवंती सीधे दौड़ कर किचन में जाते हैं, क्योंकि दोनों को बहुत तेज भूख लगी है, दोनों प्यार से मिल कर खाना बनाने की तैयारी करते हैं। सब्जी काटते आटा गूथते है। 

 

“ मैंने कहा था ना दोनों में प्यार हो जाएगा, अब देखना चूना लगा के तम्बाकू चबा के, पक्का हो जाएगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ भगवान करे सच्चा हो जाए। ” कुलीन ने कहा। 

“ भगवान पर भरोसा रखो भाई ।” टूटी ने कहा। 

“ भगवान पर तो भरोसा रख दिया लेकिन इन दोनों पर कैसे रखू। ” कुलीन ने कहा। 

 

कुलवंता और लाजवंती का खाना बन कर तैयार हो जाता है, दोनों वहीं बैठ कर खाना खाते है, खाना खाने के बाद दोनों लम्बी तेज ढकार लेते हैं, ढकार की आवाज सुन कर कुलीन टूटी और झोपटलाल डर कर चौंक जाते हैं, कुलवंता और लाजवंती पेट पर हाथ फेरते हुए किचन से बाहर आते हैं।  

 

“ मजा आ गया खाना खा कर, मैं ने कितनी स्वादिष्ट सब्जी बनाई। ” कुलवंता ने कहा। 

“ सब्जी कच्ची थी कोई स्वाद नहीं मिला, वो तो भूख लगी थी इसलिए खा ली। ” लाजवंती ने कहा। 

“ तू क्या जाने स्वाद, खाया है तू ने कभी भात, तेरी रोटियाँ तो खुद जली हुई थी। ” कुलवंता ने कहा। 

“ स्वाद ना जाने खाने हैं पेडा, नाच ना जाने डी जे टेडा, और कह रहा है रोटियाँ जली हुई थी। ” लाजवंती ने कहा।

“ रोटियाँ जली हुई थी। ” कुलवंता ने कहा।

“ सब्जी कच्ची थी। ” लाजवंती ने कहा।

 

रोटियाँ जली हुई थीं, सब्जी कच्ची थी कहते हुए दोनों वहीं लड़ने लगते हैं, दोनों में मारपीट शुरू हो जाती है। 

 

“ झोपटलाल तुम्हारा मंत्र काम नहीं आया। ” कुलीन ने कहा। 

“ कोई बात नहीं हम दाम का प्रयोग करते हैं, कुलीन तुम कुलवंता को और टूटी तुम लाजवंती को पैसे दो दोनों लड़ना बंद कर के प्यार करेंगे। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ चलो ये भी ट्राई कर के देख लेते है। ” कुलीन ने कहा। 

 

कुलीन और टूटी कुलवंता लाजवंती के पास आते है, कुलीन अपने पर्स से पैसे निकाल कर कुलवंता को देता है और टूटी अपने पर्स से पैसे निकाल कर लाजवंती को देती है, दोनों खुश होकर पैसे ले लेते हैं फिर पैसे फाड़ कर फेंक देते हैं।

 

“ हम क्या बच्चे हैं। ” लाजवंती ने कहा। 

“ इतने से पैसे से क्या लाॅलीपोप खाएगे। ” कुलवंता ने कहा। 

 

कुलवंता और लाजवंती में फिर मारपीट शुरू हो जाती है। 

 

“ झोपटलाल तेरा ये मंत्र भी फेल हो गया। ” कुलीन ने कहा। 

“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के, ये मंत्र हम फेल नहीं होने देंगे।” कुलीन के पास दौड़ कर आते हुए झोपटलाल ने कहा। 

“ अब क्या करेगा तू? ” कुलीन ने पूछा। 

“ तेरी चूना तम्बाकू अब काम नहीं आने वाली। ” टूटी ने कहा। 

“ तू मुझे अपनी तिजोरी दिखा दे कुलीन। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ तिजोरी क्यों देखनी है तुझे? ” कुलीन ने कहा। 

“ मुझे तेरी नियत में खोट लग रही है, भाई तिजोरी नहीं दिखाना इसे, इस ने चोरी कर ली तो। ” टूटी ने कहा। 

“ चुप कर चूना लगा के तम्बाकू चबा के, बात को समझो पहले, मैं तुम्हारी तिजोरी में दाम का ऐसा मंत्र फूँक दूँगा जिससे तुम्हारे मम्मी पापा में प्यार हो जाएगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ सच में। ” कुलीन ने कहा।

“ पक्का सच में। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ तो फिर चल। ” कुलीन ने कहा। 

“ कर इसका हल। ” टूटी ने कहा। 

 

कुलीन, टूटी और झोपटलाल एक कमरे में जाते हैं, कुलवंता और लाजवंती वहीं लड़ते रहते हैं। कुलीन और टूटी के साथ झोपटलाल एक कमरे से दूसरे कमरे में आते है उसी कमरे में तिजोरी रखी रहती है। 

 

“ देख ले ये रही तिजोरी लेकिन मैं इसे खोलूगा नहीं। ” कुलीन ने कहा। 

“ खोलोगे नहीं तो मैं मंत्र कैसे फूंकुगा, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, खोलनी तो पड़ेगी।” झोपटलाल ने कहा। 

“ तिजोरी तो इस ने देख ही ली है, तो खोल दे भाई खोल दे। ” टूटी ने कहा। 

“ ठीक है टूटी, तू जा मेरे कमरे से चाबी उठा ला। ” कुलीन ने कहा। 

“ तेरे कमरे से क्यों? मेरे पास भी तो एक चाबी है इसकी, मैं अभी लाती हूँ अपने कमरे से। ” टूटी ने कहा। 

 

टूटी जाती है अपने कमरे से चाबी उठा कर ले आती है। कुलीन तिजोरी खोल देता है, उसमें नोटों की गड्डीयाँ और जेवर रखे हैं जिसे देख कर झोपटलाल खुश हो कर मन ही मन सोचता है। 

 

“ यहाँ तक तो आ गया आज रात को इस तिजोरी को पार कर दूँगा।” झोपटलाल ने सोचा। 

“ अब फूँक ना मंत्र क्या सोच रहा है। ” कुलीन ने कहा। 

“ लालच आहा लप लप छू, लालच आहा लप लप छू। ” मंत्र फूँकते हुए झोपटलाल ने कहा। 

 

लालच आहा लप लप छू कहते हुए झोपटलाल तिजोरी में मंत्र फूँक देता है। 

 

“ चलो, मैंने मंत्र फूँक दिया अब रात तक तुम्हारे मम्मी पापा में प्यार हो जाएगा, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

अब तीनों उस कमरे से बाहर जाते हैं, टूटी तिजोरी बंद कर के ताला लगा कर जाती है, झोपटलाल कुलीन और टूटी कमरे से बाहर आते हैं। 

 

“ रुको, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, अब दण्ड का प्रयोग करना होगा, तभी दाम का मंत्र काम करेगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ मतलब। ” कुलीन ने पूछा।

“ मतबल तुम अपने मम्मी पापा को अलग अलग कमरे में बाँध कर बंद कर दो, रात को जब मंत्र का असर होगा तो ये ईलु ईलु चिल्लाएगे फिर तुम समझ लेना इन में प्यार हो गया, फिर इन्हें खोल देना। झोपटलाल ने कहा। 

“ तुम्हारा ये मंत्र काम तो करेगा ना। ” टूटी ने पूछा। 

“ बिल्कुल करेगा जी, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल की बात मान कर कुलीन कुलवंता को और टूटी लाजवंती को पकड़ कर अलग अलग कमरे में ले जा कर रस्सी से बाँध कर बंद कर देते है, बाहर से दरवाजा की कुंदी लगा देते है, और अपने अपने कमरे में चले जाते है। झोपटलाल भी अपने कमरे में चला जाता है। 

धीरे धीरे अंधेरा होने लगता है, रात हो जाती है, कुलीन अपने कमरे में बैठ कर और टूटी अपने कमरे में बैठ कर इंतजार करते है कि दोनों में कब प्यार होगा, झोपटलाल अपने कमरे में खड़ा सोचता है कि कुलीन और टूटी सो जाए मैं तिजोरी का माल लेकर भाग जाऊँ, रात के बाहर बज जाते है, कुलीन और टूटी अपने अपने कमरे में पलंग पर लेट जाते हैं। 

 

“ पता नहीं दोनों कब कहेंगे आई लव यू। ” कुलीन ने कहा। 

“ अब तो सोया जाए। ” टूटी ने कहा। 

 

कुलीन और टूटी अपने अपने कमरे में सो जाते है, थोड़ी देर में झोपटलाल कुलीन के कमरे में आता है और देखता है कि कुलीन खर्राटें मारते हुए आराम से सो रहा है, फिर वह टूटी के कमरे में जाता है और देखता है कि टूटी भी आराम से खर्राटें मारते हुए सो रही है। 

 

“ अभी मौका अच्छा है, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, दोनों सो रहे हैं। ” झोपटलाल ने मन में सोचा। 

 

झोपटलाल नीचे आता है, जिस कमरे में तिजोरी रखी रहती है उस कमरे में जाता है, तिजोरी देख कर वह बहुत खुश होता है। 

 

“ इसे उठा कर ही ले जाऊँ, खोलने तोड़ने में क्यों समय बर्बाद करूँ, खा मा खा कोई जाग गया तो मैं पकड़ जाऊँगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल तिजोरी उठा कर बैग में रख लेता है और वहाँ से भाग जाता है, बाहर के दरवाजे पर आकर हँसता है। 

 

“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के, चूना लगा ही दिया पोपटलाल का बदला ले ही लिया। ” मुस्कराते हुए झोपटलाल ने कहा।

 

फिर झोपटलाल धीरे से दरवाजा खोल कर बाहर निकल आता है और वहाँ से भागता हुआ चला जाता है। 

 

सुबह होते होते झोपटलाल अपने घर आ जाता है, दरवाजे पर खड़े हो कर आवाज देता है। 

 

“ दरवाजा खोल पोपट, बदला ले आया तेरा भाई झोपट। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ आया भाया आया भाया। ” दौड़ कर आते हुए पोपटलाल ने कहा। 

 

पोपटलाल आकर दरवाजा खोल देता है, झोपटलाल अंदर आता है बैग खोल कर तिजोरी निकाल लेगा है, बैग अलग और तिजोरी अलग रख देता है। 

 

“ दस हजार के बदले पूरी तिजोरी उठा लाया ऐसे ही थोड़ी ना कहता हूँ चूना लगा के तम्बाकू चबा के, लगा कर रहता हूँ। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ मान गए भाया, तूने कर दिखाया, अब जल्दी से तिजोरी खोल दे मेरी कुतकुत्ता बढ़ रही है। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ कुतकुत्ता नहीं, उतसुक्ता होती है, उतसुक्ता। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ भाई वही वही, अब पल्दी पोल दो। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ तू बाबरा हो गया लगता है, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, कुछ का कुछ बोले जा रहा है, तू हथौड़ी ला मैं इसे जल्दी खोल देता हूँ। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

पोपटलाल हथौड़ी ला कर झोपटलाल को दे देता है, झोपटलाल हथौड़ी मार कर तिजोरी का ताला तोड़ देता है। ताला टूट जाता है फिर झोपटलाल तिजोरी में हाथ डाल कर पैसे निकालता है पैसे की जगह उसमें कपड़े निकलते है। फिर झोपटलाल तिजोरी उल्टी कर देता है सिर्फ कपड़े ही निकल कर नीचे गिर जाते हैं। दोनों भाई देखते रह जाते हैं।

 

“ भाया ये तो कपड़े हैं, वो भी इतने छोटे छोटे। ” कपड़े उठा कर पोपटलाल ने कहा। 

“ अवे शाले शक्ल के काले पोपटलाले, ये लड़कियों के कपड़े हैं अगर बड़े होते तो तू क्या इन्हें पहन कर घूमता। ” गुस्से में झोपटलाल ने कहा। 

“ भाया तू तो दस हजार भी नहीं वसूल पाया। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ ये पता नहीं कैसे हो गया, पैसे कपड़े कैसे बन गए। ” आश्चर्य से कपड़े देखते हुए झोपटलाल ने कहा। 

“ अब हम बदला कैसे लेंगे, अब हम क्या करें ?” पोपटलाल ने कहा। 

“ तू चिंता ना कर पोपट, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, हम बदला जरूर लेंगे, जब हम एक अच्छा सा आयडिया सोच लेंगे तब बदला लेने जाएगें जरूर, तब तक हम आयडिया सोचते रहेंगे, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, सोचते ही रहेंगे। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

फिर झोपटलाल और पोपटलाल तिजोरी पर सिर रख कर रोने लगते हैं। 

 

 

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