बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने
अनोखी प्रेम कथा
रामजी दौदेरिया
अध्याय ७
मैनेजर बोला “ हां , तुम ने बहुत बड़ी भूल ...
“ अरे साहब हम ने कोई बड़ी भूल नहीं की है । ” बीच में कुलवंता बोल पड़ा ।
“ अरे यार बात तो पूरी होने दो । ” मैनेजर ने कहा ।
“ बोलो जी । ” कुलवंता ने कहा ।
“ तुम ने बहुत बड़ी भूल सुधार ली है , तुम एक दूसरे से प्यार करने लगे , पहले नहीं करते थे , पहले बस लड़ते थे। ” मैनेजर ने कहा ।
“ अरे हां लेकिन आप को कैसे पता ? ” कुलवंता ने पूछा।
“ अरे भाई , तुम दोनों को जो लड़का छोड़ने आया था , उसका चहरा तुम दोनों ने देखा । ” मैनेजर ने कहा ।
“ नहीं देखा क्योंकि उसने अपना हेलमेट नहीं उतारा था।” लाजवंती ने कहा ।
” जो मुझे छोड़ने आया था , उसने भी अपना हेलमेट नहीं उतारा था ।” कुलवंता ने कहा ।
“ जो तुम दोनों को छोड़ने आया था वह एक ही था । ” मैनेजर ने कहा ।
मैनेजर , लाजवंती और कुलवंता को पीछे की कहानी बताने लगता है ...
कुलीन अपनी बाइक से लाजवंती को वृद्धा आश्रम छोड़ने आता है , बाइक खड़ी करता लेकिन हेलमेट नहीं उतारता और लाजवंती को लेकर अंदर जाता है । वृद्धा आश्रम के कर्मचारी समझ जाते कि कोई बेटा अपनी बूढ़ी माँ को छोड़ने आया है , क्योंकि यह उन का रोज का काम है , कर्मचारी लाजवंती और कुलीन के पास आते हैं ।
“ मैं आपकी माँ को अंदर ले जाते है , कमरा उपलब्ध करा देते है , आपकी माँ को यहां कोई दिक्कत कोई परेशानी नहीं होगी । ” आकर एक कर्मचारी ने कहा ।
“ धन्यवाद । ” कुलीन ने कहा ।
“ आप मैनेजर के चैम्बर में जाकर कर कुछ जरूरी कागजात पर हस्ताक्षर कर दीजिए और कुछ जरूरी कागजात जमा कर दीजिए । ” कर्मचारी ने कहा ।
कर्मचारी लाजवंती को अंदर ले जाता है , कुलीन मैनेजर के चैम्बर में आता है ।
“ ले लो मेरे मम्मी पापा का आधार कार्ड राशन कार्ड वोटर आईडी , मैं अभी आता हूं । ” कागजात टेबल पर रखते हुए कुलीन ने कहा ।
“ अरे भाई तुम्हारे मम्मी पापा यहां आजीवन रहेंगे या कब तक रहेंगे जरूरी कागजात पर हस्ताक्षर तो कर के जाओ।” मैनेजर ने कहा ।
“ अरे भाई , मैं पहले अपने पापा को भी ले आऊँ फिर हस्ताक्षर कर दूंगा । ” जाते हुए कुलीन ने कहा ।
कुलीन चला जाता है ।
“ शाला अजीब इंसान है मम्मी पापा को एक साथ नहीं ला सकता था क्या । ” कुलीन के जाते ही मैनेजर ने कहा ।
कुलीन जा कर कुलवंता को भी लेकर आ जाता है । वृद्धा आश्रम के कर्मचारी कुलवंता को अंदर ले जाते हैं , कुलीन मैनेजर के चैम्बर में आता है अब वह अपना हेलमेट उतार कर टेबल पर रख देता है ।
“ मैनेजर साहब आप सोच रहे होंगे कि मैं मम्मी पापा को एक साथ लेकर क्यों नहीं आया । ” कुर्सी पर बैठते हुए कुलीन ने कहा।
“ हां , क्यों नहीं लाए एक साथ । ” मैनेजर ने पूछा ।
“ क्योंकि मेरे मम्मी पापा हमेशा एक दूसरे से लड़ते रहते हैं एक दूसरे से बिल्कुल प्यार नहीं करते इसलिए ये दोनों अब यहां तब तक रहेंगे जब तक इन में प्यार ना हो जाए, जब ये दोनों मिल जाए इन्हें अपनी गलती का एहसास हो जाए जब दोनों एक ही कमरे में रहने की बात करे तब आप मुझे फोन कर देना मैं इन्हें घर ले जाऊँगा ।” कुलीन ने कहा ।
कुलीन मैनेजर को अपना नम्बर पता लिखावा कर चला जाता है । मैनेजर यह बात कुलवंता और लाजवंती को बता रहा था ।
“ आज कल अपने माँ बाप के लिए कौन इतना सोचता है, धन्य हो आप दोनों जो इतना अच्छा बेटा मिला , भगवान हर माँ बाप को तुम्हारे जैसा बेटा दे , अब मैं तुम्हारे बेटे को फोन कर देता हूं । ” मैनेजर ने कहा ।
मैनेजर कुलीन को फोन लगाता है ।
कुलवंता और लाजवंती अपने पीछे के दिन याद करने लगते है । ...
कुलवंता और लाजवंती लड़ते हुए मंदिर जाते हैं ।
“ जिंदगी में पहली बार मंदिर जा रहे हो कम से कम प्रसाद तो ले लेते । ” रास्ते में चलते हुए लाजवंती ने कहा ।
“ परसादी , काह को पैसों की करती हो बरबादी , जल है ना तो जला दूंगा । ” कुलवंता ने कहा ।
“ क्या जला दोगे ? ” लाजवंती ने पूछा ।
“ जला नहीं दूंगा , चढ़ा दूंगा , भगवान को जल चढ़ा दूंगा , कभी कभी कान साफ कर लिया करो भाग्यवान । ” कुलवंता ने कहा ।
“ हे भगवान , झूठा कहीं का । ” लाजवंती ने कहा ।
“ क्या बोला , भगवान झूठा है , तुम से क्या झूठ बोला भगवान ने । ” कुलवंता ने कहा ।
” मैं भगवान से नहीं तुम से कह रहा हूं , तुम ने कहा जला दूंगा । ” चिल्ला कर लाजवंती ने कहा ।
“ मैं ने कहा चढ़ा दूंगा । ” कुलवंता ने कहा ।
“ झूठा है तू । ” लाजवंती ने कहा ।
“ तू झूठी तेरा खानदान झूठा , तू बहरी तेरा खानदान बहरा।” गुस्से में कुलवंता ने कहा ।
“ तू ने मेरे खानदान को गाली दी अब मैं तूझे नहीं छोडूंगी।” गुस्से में लाजवंती ने कहा ।
“ अवे काली साली किसने दी है तूझे गाली । ” कुलवंता ने कहा ।
“ तू ने , अब मैं तुझे दूंगी गाली । ” गुस्से में लाजवंती ने कहा ।
“ दे दे गाली , तेरी तो आदत ही है कुत्ती कमीनी साली , मेरे मुंह से प्रवचन निकलें तेरे मुंह से गाली।” कुलवंता ने कहा।
“ तू ऐसे नहीं मानेगा , सपाटा पड़ेगा तब जानेगा । ” लाजवंती ने कहा ।
फिर दोनों में मारपीट शुरू हो जाती है । दोनों में धक्का मुक्की होती हैं । लड़ते लड़ते दोनों की नजर सामने जाती है । सामने दो छोटे छोटे बच्चे एक लड़का और एक लड़की खड़े रहे , लड़के की उम्र लड़की से थोड़ी ज्यादा है।
कुलवंता और लाजवंती लड़ाई बंद कर के उनके पास जाते है ।
“ क्या हुआ बच्चों तुम क्यों रो रहे हो ? ” बच्चों के पास आकर लाजवंती ने कहा ।
“ हमें भूख लगी है । ” रोते हुए दोनों बच्चों ने कहा ।
“ तुम्हारे मम्मी पापा कहाँ है । ” कुलवंता ने पूछा ।
“ हमारा कोई नहीं है । ” बच्ची ने कहा ।
“ सब कहते हैं हम अनाथ है । ” बच्चे ने कहा ।
“ बेटा तुम दोनों अनाथ नहीं हो आज से तुम दोनों हमारे बच्चे हो । ” दोनों को गले लगाते हुए कुलवंता ने कहा ।
कुलवंता और लाजवंती दोनों बच्चों को अपने घर लाते है , दोनों बच्चों का पालन पोषण करते हैं । लड़का का नाम कुलीन ने लड़की का नाम टूटी रख देते हैं ।
कुलवंता और लाजवंती यह पुरानी बातें याद कर रहे थे , कुलवंता और लाजवंती के आँखों से आँसू आने लगते है, मैनेजर कुलीन को फोन कर देता है । चम्पा , टूटी , गोलू और वकील को साथ लेकर कुलीन वृद्धा आश्रम आ जाता है ।
“ बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने , मम्मी पापा अब घर चलिए , ये तो हम सब ने मिलकर एक योजना बनाई थी , ताकि आप दोनों में प्यार हो सके अब हमारी योजना सफल हुई । ” आते ही कुलीन ने कहा ।
“ कुलवंता जी मैं भी इस योजना का हिस्सा था , ये तो फर्जी वसीयत है , सारी संपत्ति आप के ही नाम पर है ।” वकील ने फर्जी वसीयत फाड़ते हुए कहा ।
कुलवंता को फर्जी वसीयत दिखा कर वकील उस वसीयत को फाड़ कर कूड़ेदान में डाल देता है ।
टूटी , गोलू , चम्पा और कुलीन कुलवंता और लाजवंती से माफी माँगते है ।
“ अरे नहीं , तुम लोग माफी मत माँगो , माफी तो हमें माँगनी चाहिए , तुम लोगों ने हमारे प्यार के लिए इतना कुछ किया और हम ने तुम सब को गलत समझा । ” कुलवंता ने कहा ।
“ मम्मी पापा हम ने कुछ नहीं किया , यह तो हमारा कर्तव्य था । ” टूटी ने कहा ।
“ मम्मी पापा आप ने मुझे और टूटी को पाल पोस कर इतना बड़ा किया इसलिए हम तो जानते थे कि आप दोनों के दिल में अनाथों के लिए इतना प्यार हो सकता है तो जरूर एक दूसरे के लिए प्यार होगा , आज हम सब आप दोनों में प्यार देख कर खुश है । ” कुलीन ने कहा ।
“ लेकिन तुम सब को यह बिछड़ देना का आयडिया आया कहाँ से ? ” लाजवंती ने पूछा ।
“ मम्मी एक दिन मेरा चम्पा से झगड़ा हो गया ... ” कुलीन कहानी बताने लगता है ...
कुलीन और चम्पा कालेज के बगीचे में बैंच पर बैठ कर बातें करते हैं ।
“ चम्पा तुम्हारे बताए हुये आयडिया सारे फैल रहे , मम्मी पापा में कुछ भी परिवर्तन नहीं आया , कुछ और आयडिया सोचना पड़ेगा । ” कुलीन ने कहा ।
“ कुलीन तुम जब देखो अपने मम्मी पापा के बारे में ही सोचते रहते हो , अब हमारे बारे में भी कुछ सोचो , अब हमारी कालेज की पढ़ाई खत्म होने वाली है , अपनी शादी के बारे में कुछ सोचो और तुम जाॅब के बारे में कुछ सोचो।” चम्पा ने कहा ।
“ चम्पा मैं पहले मम्मी पापा के बारे में सोचूंगा उसके बाद अपने बारे में । ” कुलीन ने कहा ।
“ जब भी तुम्हारे पास बैठती हूं , तुम ना प्यार की बात करते हो ना रोमांटिक रहते हो , जब देखो तब अपने मम्मी पापा के बारे में ही सोचते रहते हो , मैं चली अब मुझ से कभी मत मिलना हमारा आज से ब्रेंकप । ” तेज आवाज में चम्पा ने कहा ।
कह कर चम्पा चली जाती है , थोड़ी देर में कुलीन भी चला जाता है । तीन महीनों बाद कुलीन और चम्पा को एक दूसरे की बहुत याद आती है ।
“ हम तुम से मिलना चाहते है , मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है । ” चम्पा ने कुलीन को फोन कर कहा ।
“ मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही चम्पा , आओ हम वहीं मिलते हैं जहां से हम अलग हुए थे । ” फोन पर कुलीन ने कहा ।
कुलीन और चम्पा कालेज के बगीचे में मिलते हैं ।
“ कुलीन हम थोड़े दिनों के लिए क्या बिछड़े हमें एक दूसरे की याद आने लगी । ” चम्पा ने कहा ।
“ हाँ चम्पा । ” कुलीन ने कहा ।
“ कुलीन मेरे पास एक आयडिया है । ” चम्पा ने कहा ।
“ क्या ? ” कुलीन ने पूछा ।
“ जिस तरह हमें बिछड़ने पर एक दूसरे की याद आने लगी, इसी तरह तुम्हारे मम्मी पापा को कुछ दिनों के लिए एक दूसरे से अलग कर दिया जाए , तो पक्का उनमें प्यार हो जाएगा । ” चम्पा ने कहा ।
“ तुम्हारा आयडिया अच्छा है चम्पा , चलो हम टूटी गोलू और अपने वकील के साथ मिल कर योजना बनाते हैं ।” कुलीन ने कहा ।
कुलीन यह कुलवंता और लाजवंती को बता रहा था ।
“ मम्मी पापा इस तरह हम सब ने मिल कर यह योजना बनाई थी , आपको बिछड़ कर हमेशा के लिए मिलाने के लिए । ” कुलीन ने कहा ।
“ अब घर चलिए मम्मी पापा । ” चम्पा ने कहा ।
कुलवंता , लाजवंती , कुलीन , चम्पा , टूटी और गोलू घर आ जाते हैं । इस खुशी में कुलवंता के घर पर शानदार पार्टी होती है गीत संगीत होता है ।
अगले दिन कुलीन अखबार में खबर निकलवाता है कि हमारे मम्मी पापा ने शादी के बाद पहली बार अपने प्यार का इजहार किया है । हैड़िंग होती है “ बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने ” ।
अखबार पोपटलाल तक पहुंच जाता है , पोपटलाल अखबार में खबरें पढ़ते हुए उसी खबर पर आ जाता है ।
“ बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने , एक अजब गजब प्रेम कहानी , मुम्बई के रहने वाले कुलीन और टूटी के मम्मी पापा कुलवंता और लाजवंती में शादी के बाद पहली बार अपने प्यार का इजहार किया है , दोनों को बिछड़ने पर प्यार का एहसास हुआ है । ” अखबार पढ़ते हुए पोपटलाल ने कहा ।
पोपटलाल पूरी खबर पढ़ कर झोपटलाल के पास आता है ।
“ भाया भाया । ” झोपटलाल के पास आकर पोपटलाल बोला ।
“ क्या लाया चूना लगा के तम्बाकू चबा के । ” झोपटलाल ने कहा ।
“ भाई आज के अखबार में मतलब कि खबर आई । ” पोपटलाल ने कहा ।
“ क्या मतबल की खबर है , बता तो जरा चूना लगा के तम्बाकू चबा के ? ” झोपटलाल ने कहा ।
“ भाई , लाजवंती और कुलवंता में प्यार हो गया । ” अखबार देखते हुए पोपटलाल ने कहा ।
फिर पोपटलाल पूरी खबर पढ़ कर सुना देता है ।
झोपटलाल बोला “ पोपट । ”
“ बोल भाई झोपट । ” पोपटलाल ने कहा ।
“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के एक आयडिया आया है । ” झोपटलाल ने कहा ।
“ क्या आयडिया आया है भाया । ” पोपटलाल ने पूछा ।
“ अभी दोनों में प्यार हो गया , सब खुश होंगे , अपुन चल कर अपने दस हजार रूपए मांगते हैं , लड़ाई झगड़ा भी नहीं करना पड़ेगा और पैसे भी मिल जाएंगे , चूना लगा के तम्बाकू चबा के । ” झोपटलाल ने कहा ।
“ आयडिया अच्छा है , चल भाई । ” पोपटलाल ने कहा ।
“ चल चलते है , चूना लगा के तम्बाकू चबा के । ” झोपटलाल ने कहा ।
झोपटलाल और पोपटलाल दोनों भाई कुलवंता के घर जाते हैं ।
झोपटलाल और पोपटलाल कुलवंता के घर पर आ जाते है , दरवाजा बंद रहता है , झोपटलाल घंटी बजाता है , कुलीन आकर दरवाज़ा खोलता है और देखता है कि झोपटलाल और पोपटलाल खड़े हैं ।
“ अरे झोपट पोपट तुम दोनों लाल यहां कैसे ? ” दोनों को देखते हुए कुलीन ने कहा ।
“ हम दोनों लाल नहीं , भाई है भाई । ” पोपटलाल ने कहा।
“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के , हम अपने दस हजार रूपए लेने आए है , या तो हमारे भाई पोपट को अपने घर रहने दो या हमारे दस हजार रूपए दो वो भी ब्याज सहित।” झोपटलाल ने कहा ।
“ ओ तो तुम दोनों भाई हो , अब हम ने किराए से कमरा देना बंद कर दिया है , मैं बहुत खुश हूं इसलिए तुम्हारे दस हजार रूपए लौटा देता हूं , ये लो अपने दस हजार और यहां से रफूचक्कर हो जाओ । ” पोपटलाल को पैसे देते हुए कुलीन ने कहा ।
पोपटलाल पैसे लेकर जेब में रख लेता है ।
“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के , ब्याज कौन देगा अब ब्याज दो । ”झोपटलाल ने कहा ।
“ मैं अभी पुलिस को फोन कर देता हूं वो आकर तुम्हें ब्याज प्याज सब दे देंगे । ” कुलीन ने कहा ।
“ वो तो उल्टा हम से ही ले लेंगे , चूना लगा के तम्बाकू चबा के , भाग पोपट । ” झोपटलाल ने कहा ।
“ हां भाई जो मिला हो राम छोड़ बाकी दाम अब अपना यहां क्या काम , चल भाई । ” पोपटलाल ने कहा ।
“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के , चल भाग भाई पोपट । ” झोपटलाल ने कहा ।
झोपटलाल और पोपटलाल दोनों वहां से चले जाते हैं । कुलीन दरवाजा बंद कर के अंदर आता है , अंदर उसे कुलवंता और लाजवंती के कमरे से लड़ने की आवाजें सुनाई देती हैं ।
“ बाप ये बाप , बाप मताई फिर लड़ने लगे, कब सुधरेंगे ये दोनों । ” कुलीन ने कहा ।
कुलीन दौड़ कर कमरे में जाता है , और देखता है कि दोनों प्यार से बैठ कर फ़िल्म देख रहे हैं ।
“ क्या हुआ बेटा । ” कुलीन को हडवाडाते आते हुए देख लाजवंती ने पूछा ।
“ मैं ने अभी अभी आप के कमरे से लड़ने की आवाजें सुनी थी इसलिए मैं कमरे में आया । ” कुलीन ने कहा ।
“ वो तो हम ऐक्शन फिल्म देख रहे हैं । ” कुलवंता ने जवाब दिया ।
“ मम्मी पापा ऐक्शन नहीं लव स्टोरी देखो लव स्टोरी । ” कह कर कुलीन कमरे से बाहर निकल जाता है ।
“ कुलीन को हमारी बहुत फ़िक्र है । ” कुलीन के जाने के बाद कुलवंता ने कहा ।
“ ऐसा पुत्र भगवान सब को दे । ” लाजवंती ने कहा ।
फिर कुलवंता और लाजवंती दोनों गले लग जाते है ।
रात का वक्त कुलवंता और लाजवंती दोनों अपने कमरे में पलंग पर सो रहे हैं । कुलवंता जोर जोर से खर्राटे लेता है , खर्राटों की आवाज सुन कर लाजवंती उठ कर बैठ जाती है ।
“ अरे इस के साथ मैं कैसे सो सकती हूं , ये तो खर खर खर किए जा रहा है , मैं कानों में रूई लगा कर सो जाती हूं । ” लाजवंती ने कहा ।
फिर लाजवंती पलंग से उतर कर जाती है , कमरा में एक कलमारी रखी है , लाजवंती उस अलमारी को खोल कर उसमें से रूई निकाल कर अपने दोनों कानों में लगा लेती है ।
“ हां ये ठीक रहेगा , अब मुझे खर्राटे और खर खर सुनाई नहीं देता । ” रूई लगा कर लाजवंती ने कहा ।
लाजवंती वापस पलंग पर आकर चादर ओढ़ कर लेट जाती है । कुलवंता खर्राटे लेता रहता है , लाजवंती को अब उसके खर्राटों से फर्क नहीं पड़ता , लाजवंती को नींद आ जाती है वह सो जाती है । जैसे ही लाजवंती सोती है उसके भी खर्राटे शुरू हो जाते हैं , उसके खर्राटों की आवाज सुन कर कुलवंता जाग जाता है और उठ कर आँखें मलता हुआ पलंग पर बैठ जाता है ।
“ अरे इस के साथ मैं कैसे सो सकता हूं , ये तो खर खर खर किए जा रही है , कानों में रूई लगा कर सो जाता हूं ।” आँखें मलते हुए कुलवंता ने कहा ।
लाजवंती की तरह कुलवंता भी कानों में रूई लगा कर सो जाता है ।
सुबह हो जाती है , कुलवंता और लाजवंती दोनों उठ कर पलंग पर बैठ जाते है , कुलवंता और लाजवंती एक दूसरे को सुभ प्रभात बोलते है , लेकिन किसी को सुनाई नहीं देता क्योंकि दोनों के कानों में रूई लगी हुई है । फिर कुलवंता और लाजवंती दोनों एक दूसरे से चिल्ला कर कहते “ अरे जरा जोर से बोलो सुनाई नहीं दिया । ”
“ शुभ प्रभात । ” लाजवंती ने जोर से कहा ।
“ शुरूआत , अरे नहीं मेरा अभी लड़ने का मूड़ नहीं है , मुझे लड़ाई की शुरुआत नहीं करनी । ” कुलवंता ने भी जोर से कहा ।
“ शुभ प्रभात । ” लाजवंती ने फिर से तेज आवाज में चिल्ला कर कहा ।
“ नहीं करनी मुझे लड़ाई की शुरुआत । ” कुलवंता भी चिल्ला कर बोला ।
“ अरे बहरे , शुभ प्रभात । ” लाजवंती ने कहा ।
“ तू नहीं मानती तो लो , मैं कर ही देता हूं शुरूआत । ” गुस्से में कुलवंता ने कहा ।
इतनी कह कर कुलवंता एक झन्नाटेदार झापड़ लाजवंती के कान के नीचे मार देता है ।
“ एक घंटे से मान नहीं रही थी , अब मान गई हो गई , हो गई शुरूआत । ” झापड़ मार कर कुलवंता ने कहा ।
“ तू ने मुझे मारा , मेरा बढ़ा दिया पारा , अब मैं तुझे दिखाती हूं पुराना वाला रूप , शाला मक्खीचूस । ” झापड़ लगते ही गुस्से से लाल हो कर लाजवंती ने कहा ।
फिर दोनों में मारपीट शुरू हो जाती है , जैसे दोनों पहले लड़ते थे वैसे ही लड़ने लगते हैं । कुलवंता और लाजवंती एक दूसरे को मारते हैं , दोनों में मारपीट गाली गलौज होती हैं ।
“ शाला तू नहीं सुधरेगा कभी । ”
“ शाली तू कब सुधरी जो मैं सुधर जाऊं । ”
कुलवंता और लाजवंती दोनों एक दूसरे को गालियां देते हुए लड़ते हैं ।