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भाई का बदला लेने गया भाई

6 अप्रैल 2022

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बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने 

अनोखी प्रेम कथा 

लेखक - रामजी दौदेरिया 

अध्याय ३

पोपटलाल रोता हुआ अपने गाँव जाता है, रात को वह अपने बड़े भाई झोपटलाल के पास आता है, भइया भइया भइया कहता हुआ, रोता हुआ अपने घर के अंदर घुसता है। झोपटलाल आवाज सुन कर दरवाजे पर आता है। 

 

“ भइया भइया भइया ।” रोते हुए पोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल दरवाजा खोल कर देखता है। 

 

“ तू कौन है वे गधाइया,  चूना लगा के तम्बाकू चबा के भइया भइया कहता अंदर घुसता आ रहा है ह्दइया। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ भैया मैं आप का पोपटलाल हूँ। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ मेरा पोपटलाल शहर गया है नौकरी करने वहीं रहेगा किराए से। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ मैं शहर से आ गया आपकी झोपड़ी में, बजवा कर अपनी खोपड़ी में, सच में मैं आप का छोटा भाई पोपटलाल हूँ। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ तू सच में मेरा भाई है, पोपटलाल किस ने कर दिया तुझे हलाल, मुझे बता मैं खींच दूँगा उनकी खाल, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

पोपटलाल अपने भाई को सारी बात बताता है...  पूरी अपनी आपबीती वह बता देता है। 

 

“ कुलवंता और लाजवंती ने मेरा ये हाल कर दिया। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ तू उनके घर का पता बता मुझे, मैं तेरा बदला लूंगा, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

पोपटलाल अपनी पजामा की जेब से वह अखबार निकाल कर देता है जिसमें कुलवंता के घर का पता लिखा है। 

 

“ ये लो भैया इस अखबार में उनके घर का पता लिखा है। ” पोपटलाल ने कहा। 

“ अब तू जा कर आराम कर,  चूना लगा के तम्बाकू चबा के, मैं निकलता हूँ शहर सुबह तक पहुँच जाऊँगा। ” अखबार को हाथ में लेकर झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल अपने कपड़ों का बैग उठा कर निकल जाता है। 

 

झोपटलाल रात भर चलता है, प्रातःकाल तक वह शहर पहुँच जाता है। सुबह सुबह झोपटलाल कुलवंता के दरवाजे पर पहुँच जाता है। दरवाजे पर नाम प्लेट देखता है, उसमें लिखा रहता कुलवंता और वह पता भी लिखा है जिस पते पर वह आया है। 

 

“ मैं सही पते पर आ गया हूँ, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, दरवाजा खोलिए  कुलवंता जी। ” तेज आवाज में झोपटलाल ने कहा। 

 

फिर झोपटलाल घंटी बजाता है फिर तीन चार बार चिल्लाता है, अंदर सब जाग जाते हैं, सब को लगता है नया किराएदार आया होगा, कुलवंता चारपाई से उठ कर आँखें मलता हुआ दरवाजे पर आता है, बाहर खड़ा झोपटलाल कहता है। 

 

“ दरवाजा खोलिए कुलवंता जी। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ कौन है भगवंता जी। ” कुलवंता ने कहा। 

“ मैं आप का नया किराएदार हूँ। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ ओं...  नया किराएदार आया है, साक्षात लक्ष्मी आई है लक्ष्मी। ” कुलवंता ने कहा। 

 

कुलवंता दरवाजा खोल देता है। 

 

“ अंदर आइए लक्ष्मी जी। ” दरवाजा खोलते ही कुलवंता ने कहा। 

 

झोपटलाल अंदर आ जाता है। 

 

“ मेरा नाम झोपटलाल है, आप लक्ष्मी की चिंता बिल्कुल मत करो, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, मेरे इस बैग में पैसा ही पैसा है भाई सब तुम्हें दे देंगे, तुम मुझे मेरा कमरा दिखा दो। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ ऐसे कैसे कमरा दिखा दे, पहले पैसा उसके बाद ऐसा वैसा जैसा भी चाहोगे कमरा मिल जाएगा। ” कुलवंता ने कहा। 

“ अभी देता हूँ पैसे जैसे चाहो वैसे, जितने चाहो उतने। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल अपना बैग खोलता है उसमें से एक लम्बा चाकू निकाल कर कुलवंता के गर्दन पर रख देता है। 

 

“ बता कुलवंता जिंदा रहना है या मरना है। ” डराते हुए झोपटलाल ने कहा। 

“ भाई मुझे जिंदा रहना है, तू ऊपर चला जा। ” घबराते हुए कुलवंता ने कहा। 

“ अच्छा तू मुझे मारना चाहता है, और तू जिंदा रहेगा। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल, कुलवंता को एक गाल पर जोर का झापड़ मार देता है, झापड़ बहुत जोर का पड़ता उसकी आवाज सुन कर कुलीन टूटी और लाजवंती वहाँ आ जाते हैं। 

 

“ पापा ये पटाखा कहाँ फटा। ” आते ही कुलीन ने पूछा। 

“ पटाखा नहीं मेरा गाल फटा, इसने मुझे मारा है। ” झोपटलाल की ओर उंगली करते हुए कुलवंता ने कहा। 

“ तू कौन है, मेरे पापा को क्यों मारा ? ” कुलीन ने कहा। 

 

झोपटलाल चाकू दिखा कर सब को डराता है, कुलीन टूटी लाजवंती और कुलवंता डर जाते हैं, डर कर खड़े रहते हैं। 

 

“ मेरा नाम झोपटलाल है झोपटलाल, तेरा बाप मुझ से कह रहा था ऊपर चला जा, मतबल भगवान के पास, यानि मुझे मारना चाहता है तेरा बाप। ” चाकू दिखाते हुए झोपटलाल ने कहा। 

“ अरे श्रीमान मेरा मतलब था कि तू ऊपर यानि दूसरी मंजिल पर चला जा। ” हाथ जोड़ते हुए कुलवंता ने कहा। 

“ तो ऐसा बोलना था ना प्यारे, खा मा खा हम ने तुम्हें मारे। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ कोई बात नहीं जी, इन्हें आदत है रोज मार खाने की, मैं इन्हें रोज मारती हूँ, आप ऊपर चले जाइए...  नहीं साॅरी, आप दूसरी मंजिल पर चले जाइए, आप को जो कमरा पसंद आए उसी में रहिए। ” लाजवंती ने कहा। 

 

झोपटलाल अपना बैग उठा कर ऊपर जाता है, ऊपर जा कर वह एक कमरे में अपना बैग रख कर पलंग पर लेट जाता है। 

इधर नीचे। 

 

“ पापा ये तो बहुत खतरनाक किराएदार है, इस से किराया तो ले लिया ना। ” कुलीन ने कहा। 

“ नहीं, उसने किराया नहीं दिया। ” कुलवंता ने कहा। 

“ मैं जाता हूँ इस से किराया लेने। ” कुलीन ने कहा। 

 

कुलीन किराया लेने की बात कह पाता है कि इतने में झोपटलाल सीढ़ियाँ उतरता हुआ नीचे आता है, नीचे आकर झोपटलाल सबकी ओर देख कर सब के नाम पूछता है। 

 

“ तुम्हारा नाम क्या है ?” कुलीन की ओर देख कर झोपटलाल ने पूछा। 

“ कुलीन। ” कुलीन ने कहा। 

“ तुम्हारा। ” टूटी की ओर देख कर झोपटलाल ने पूछा। 

“ टूटी। ” टूटी ने कहा। 

“ और तुम्हारा। ” लाजवंती की ओर देख कर झोपटलाल ने पूछा। 

“ लाजवंती। ” लाजवंती ने कहा। 

“ कुलवंता तू अपना नाम नहीं बताएगा। ” कुलवंता की ओर देखते हुए झोपटलाल ने कहा। 

“ मैं हूँ कुलवंता। ” कुलवंता ने कहा। 

“ पता है पता है तेरा नाम कुलवंता है, अब तुम सब चूना लगा के तम्बाकू चबा के, कान साफ करके सुन लो, मुझ से किराया मत माँगना वरना तुम सब को मैं भीख मंगवा दूँगा भीख, मैं जा रहा हूँ तुम्हारा मुहल्ला घूमने, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल बाहर निकल जाता है, सब देखते रह जाते हैं। 

 

“ कुलीन तू तो किराया लेने वाला था फिर क्यों नहीं लिया, डर गया डरपोक। ” कुलवंता ने कहा। 

“ पापा अब हम इसे अंदर ही नहीं आने देंगे, तुम दरवाजा बंद कर लेना। ” कुलीन ने कहा।

 

कह कर कुलीन और टूटी ऊपर अपने अपने कमरे में चले जाते है, और चादर ओढ़ कर सो जाते हैं। कुलवंता लाजवंती वहीं खड़े रहते है, दरवाजा खुला रहता है। 

 

“ तुम ने उसे अंदर आने ही क्यों दिया? जब तुम्हें पता था वह किराया नहीं देगा। ” लाजवंती ने कहा। 

“ अरे भाग्यवान मुझे नहीं पता था कि वह किराया नहीं देगा। ” कुलवंता ने कहा। 

“ क्यों नहीं पता था ?” लाजवंती ने कहा। 

“ अरे, मैं ने उसकी कुण्डली थोड़ी ना देखी थी, जैसे तुम्हारी नहीं देखी थी और तुम से शादी कर के फँस गया, समझो ऐसा ही फँस गया। ” कुलवंता ने कहा। 

“ तो तू मेरे संग फँस गया, अरे फँस तो मैं गई हूँ तेरे संग। ” लाजवंती ने कहा। 

 

फिर लाजवंती कुलवंता को धक्का मार देती है, कुलवंता जमीन में गिर जाता है फिर उठ कर खड़ा हो जाता है। 

 

“ कुत्ती कमीनी शाली, मेरे मुँह से प्रवचन निकले तेरे मुँह से गाली। ” कुलवंता ने कहा। 

 

फिर कुलवंता लाजवंती को धक्का मार देता है वह गिर जाती है, फिर उठ कर लड़ने लगती है, कुलवंता और लाजवंती में मारपीट शुरू हो जाती है, इतने में झोपटलाल आ जाता है, कुलवंता और लाजवंती झोपटलाल को देख कर डर जाते है और लड़ना बंद कर देते है। 

 

“ अरे लड़ो लड़ो लड़ो रुक क्यों गए, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, एक दूसरे को मारो काटो खाओ। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

कह कर झोपटलाल सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपर जाता है। कुलवंता और लाजवंती फिर लड़ने लगते हैं। ऊपर दूसरी मंजिल पर झोपटलाल अपने कमरा के पास आ जाता है, उसी मंजिल पर आगे कुलीन और टूटी के कमरे भी है। 

 

“ मैं आगे के कमरे भी देख लूँ , क्या पता इससे अच्छे हो। ” आगे को चलते हुए झोपटलाल ने कहा। 

 

झोपटलाल आगे जाता है कुलीन के कमरे में घुस जाता है, कुलीन पलंग पर चादर ओढ़े हुए सो रहा है, “ ये कमरा भी मेरे जैसा ही है। ” कहते हुए झोपटलाल पलंग पर कुलीन के ऊपर बैठ जाता है, कुलीन - आ... मर गया। चिल्ला कर उठता है। 

 

“ तू सो रहा है कुलीन तेरे मम्मी पापा लड़ रहे हैं ।” झोपटलाल ने कहा। 

“ उनका रोज रोज का ड्रामा है मुझे सोने दो आज संड़े है। ” कुलीन ने कहा। 

“ चूना लगा के तम्बाकू चबा के, सो जा। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ अब नहीं सोना मुझे, तुम हमारा किराया देते हो या नहीं। ” कुलीन ने कहा। 

“ कितने दूँ किराए के पैसे ?” झोपटलाल ने कहा। 

“ पहले इस महीने के पाँच हजार दे दे एडवान्स, बाकी हर महीना देते रहना पाँच पाँच हजार। ” कुलीन ने कहा। 

“ चल मैं नहीं देता, तू क्या कर लेगा, चूना लगा के तम्बाकू चबा के। ” झोपटलाल ने कहा। 

“ मैं अभी पुलिस को फोन करता हूँ, कहूंगा तू मेरे घर चोरी करने आया है। ” कुलीन ने कहा। 

“ भाई पुलिस से मुझे बहुत डर लगता है, तू बाहर आ, चूना लगा के तम्बाकू चबा के, मैं पैसे देता हूँ। ” झोपटलाल ने कहा। 

 

कुलीन और झोपटलाल कमरे से बाहर आते है... 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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