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तकरार

6 अप्रैल 2022

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प्रस्तावना  

दुनिया में ज्यादातर देशों में पति पत्नी के बीच में जब तक प्यार होता है तभी तक वो साथ रहते हैं ! या जब तक वो शारीरिक संबंध से एक-दूसरे से संतुष्ट रहते हैं तभी तक वो साथ रहते हैं, नहीं तो एक दूसरे को तलाक दे देते हैं। इसके बाद वो अपनी जिंदगी जैसे चाह बिताते हैं। किसी और से शादी कर लेते है फिर तलाक फिर शादी फिर तलाक फिर शादी, चलता रहता है। या बिना शादी के किसी के साथ शारीरिक रूप से रहते है, जिसे वो लव इन रिलेशनशिप बोलते हैं, जिसे वो इंजाॅय मस्ती बोलते हैं, उसे हम अय्याशी बोलते हैं। ये तो हो गई दुनिया के ज्यादातर देशों की संस्कृति। लेकिन हमारे भारत देश में पति पत्नी में सच्चा प्यार होता है और इतना प्यार होता है कि दोनों सात जन्म साथ निभाने का वचन ले लेते हैं। दुनिया के देशों के मुकाबले हमारे भारत में बहुत कम तलाक होते है क्योंकि तलाक हमारी भारतीय संस्कृति में है ही नहीं। 

भारतीय पती पत्नी में बहुत प्यार होता है उसके साथ-साथ लड़ाई झगड़ा और तकरार भी बहुत होती है तथा हल्की-फुल्की नोकझोंक होती ही रहती हैं फिर भी पति पत्नी एक दूसरे से नफरत नहीं करते। ये हल्की-फुल्की नोकझोंक लड़ाई झगड़ा और तकरार यही तो असली प्यार है इसका अपना ही एक मजा है। 

करवाचौथ के बारे में आप ने पढ़ा होगा सुना होगा, करवाचौथ भारत का एक पवित्र त्यौहार है, इस दिन पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है। इस दिन पत्नी पति की लम्बी आयु के लिए तथा पति पत्नी की लम्बी आयु के लिए पूजा आराधना तथा ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। 

आज करवाचौथ है, सारे भारत में शादीशुदा जोड़े यानी पति पत्नी अपने-अपने छत पर अपने आँगन बालकनी में खड़े चाँद के निकलने का इंतजार कर रहे हैं। चाँद निकलता है पत्नी छलनी से चाँद का दीदार करती हैं फिर उसी छलनी से अपने पति के चेहरे का दीदार करती हैं फिर दोनों एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाते हैं। 

लेकिन एक घर में पति पत्नी लड़ रहे है एक दूसरे से मारपीट कर रहे हैं। पति का नाम कुलवंता और पत्नी का नाम लाजवंती है। दोनों एक दूसरे को गालियां दे रहे हैं एक दूसरे से मारपीट कर रहे हैं। 

कौन है कुलवंता और लाजवंती इन ने करवाचौथ के दिन भी क्यों लड़ाई ठानी, आओ जानते है इनकी क्या है कहानी ? ...... 

कहानी - बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने 

अनोखी प्रेम कथा 

लेखक - रामजी दौदेरिया 

अध्याय १.  तकरार 

मुम्बई शहर में , एक दम्पत्ति के घर में सुबह सुबह बहुत शोर शराबा होता है, हल्ला होता है। उस घर में पति पत्नी लड़ रहे है, एक दूसरे पर चिल्ला रहे है एक दूसरे पर समान फेक रहे हैं। पति कुलवंता और पत्नी लाजवंती । कुलवंता , लाजवंती नीचे लड़ते है और ऊपर इनके एक लड़का कुलीन और एक लड़की टूटी अलग अलग कमरे में सो रहे है। शोर शराबा सुन कर कुलीन और टूटी जाग जाते है, कुलीन और टूटी अपने अपने कमरे में पलंग पर उठ कर बैठ जाते हैं। 

 

“ सारी दुनिया सुधर जाएगी लेकिन मेरे माँ बाप नहीं सुधर सकते। ” आँखें मलते हुए कुलीन ने कहा । 

“ हे भगवान हमें उठा लो या इन दोनों को सुधार दो। ” आँखें मलती हुई अपने कमरे में पलंग पर बैठी टूटी ने कहा। 

 

फिर कुलीन और टूटी अपने अपने कमरे से निकल कर बाहर आते है और छत पर , बौंनड्ररी के पास खड़े हो कर देखते है कि कुलवंता, लाजवंती रोज की तरह एक दूसरे से लड़ रहे है, एक दूसरे पर चिल्ला रहे है, बहुत शोर शराबा कर रहे हैं, एक दूसरे पर समान फेंक रहे हैं कुर्सी बर्तन किताबें कपड़े जो मिलता वो एक दूसरे को फेंक कर मारते है। 

  

“ तू काह की लाजवंती है, लाज शर्म तो तेरे अंदर है ही नहीं, रोज रोज का ड्रामा आज मैं खत्म कर दूँगा तुझे मार कर । ” समान फेंकते हुए कुलवंता ने कहा।

 “ तू ने तो कुल का नाम ही डूबा दिया, तेरा नाम किसने रखा कुलवंता। ” समान फेंकते हुए लाजवंती ने कहा। 

“ मेरे बाप ने । ” कुलवंता ने कहा । 

“ आज मैं नहीं छोडूगी । ” लाजवंती बोली।

 “ किसे नहीं छोड़ेगी , मेरे बाप को वो तो मर चुका है । ” कुलवंता ने कहा ।

“ आज तेरे को मार कर तेरे बाप के पास पहुँचाऊगी मैं । ” गुस्से में लाजवंती ने कहा । 

 

फिर कुलवंता और लाजवंती में मारपीट शुरू हो जाती है , एक दूसरे को गालियां देते हुए दोनों लड़ने लगते हैं । 

 

“ भाई, मम्मी पापा का ये रोज रोज का ड्रामा बन गया, हमें कुछ ऐसा करना होगा जिससे इनका लड़ाई झगड़ा हमेशा के लिए खत्म हो जाए और इनमें प्यार हो जाए। ” उन दोनों को लड़ कर देखते हुए टूटी ने कहा।

“ मेरी बहना टूटी ये नामुमकिन है, असंभव है , हमने पहले भी इतनी कोशिशें की कुछ हुआ , कुछ भी तो नहीं हुआ , मम्मी पापा में जरा भी परिवर्तन नहीं आया । ” कुलीन ने कहा ।  

सही कह रहे हो भाई, लेकिन अभी हम नीचे चल कर दोनों को शांत करवाते है, नहीं तो ये एक दूसरे को मार ही देंगे । ” कुलीन की ओर देखते हुए टूटी ने कहा ।

“ चल टूटी । ” कुलीन ने कहा ।

 

कुलीन और टूटी दौड़ कर सीढ़ियाँ उतरते हुए नीचे आते है और कुलवंता लाजवंती की लड़ाई रुकवाते है । 

 

 “ भाई तू पापा को खींच मैं मम्मी को खींचती हूँ । ” लाजवंती को पकड़ते हुए टूटी ने कहा ।

“ बाप रे , बाप तो बहुत मोटा हो गया , पूरी ताकत लग जाएगी मेरी इसे खींचने में । ” कुलवंता को खींचते हुए कुलीन ने कहा । 

 

कुलीन पूरी ताकत से कुलवंता को खींच कर घसीटते हुए एक कुर्सी पर बैठा देता है और टूटी लाजवंती को खींच कर अलग एक कुर्सी पर बैठा देती है । 

 

 “ पापा मम्मी तुम्हारी रोज रोज की नौटंकी से हम परेशान हो गए । ” चिल्ला कर टूटी ने कहा ‌‌‌‌।

 “ तुम दोनों की वजह से एक भी किराएदार नहीं टिका सारे भाग गए, मैं प्रतिदिन अखबार में विज्ञापन दे रहा हूँ आॅफर के साथ साथ फिर भी कोई नहीं आता हमारे घर रहने, तुम दोनों के इस ड्रामे की वजह से । ” गुस्सा करते हुए कुलीन ने कहा ।  

“ भाई काॅलेज का टाइम हो रहा है, जल्दी तैयार होकर निकलते है, नहीं तो देर हो जाएगी । ” टूटी बोली । 

“ हाँ टूटी चल ।” गहरी सांस लेते हुए कुलीन ने कहा ।

 

कुलीन अपने कमरे में और टूटी अपने कमरे में तैयार होने चले जाते हैं , तैयार हो कर दोनों बाहर बरामदे में आते हैं , वहां कुलीन की बाइक खड़ी रहती है , कुलीन बाइक स्टार्ट करता टूटी पीछे बैठती , दोनों कालेज के लिए निकल जाते हैं ।

 

कालेज पहुंच कर कुलीन अपने क्लास में जाता है , बहुत से लड़के लड़कियां वहां बैठे हैं, कुलीन अपनी गर्लफ्रेंड चम्पा के पास आकर बैठ जाता है । 

 

“ क्या बात है ? कुलीन आज बहुत परेशान से दिख रहे हो।” कुलीन का चेहरा देख कर चम्पा ने कहा । 

“ कुछ नहीं , वहीं रोज रोज का मम्मी पापा का ड्रामा । ” कुलीन ने कहा ।

 “ कुलीन इतनी कोशिशें करने के बाद भी तुम्हारे मम्मी पापा ने लड़ना बंद नहीं किया , उनमें प्यार नहीं हो पाया , लेकिन मेरे पास एक उपाय है जिससे तुम्हारे मम्मी पापा में प्यार हो जाएगा । ” चम्पा ने कहा ।

“ क्या उपाय है ? जल्दी बताओ चम्पा । ” कुलीन ने झटपटाते हुए पूछा ।

“ कुलीन , हमारे पड़ोस में एक ऐसे वैध जी रहते है , जिनकी जड़ी बूटियों वाली दवा खाने से इंसान के हृदय में प्यार जाग जागा है , जो इंसान वैध जी की दवा खा लेता है वह किसी से नफरत नहीं करता , बस प्यार करता है प्यार की बात करता है , तुम अपने मम्मी पापा को वैध जी की दवा खिलाओ फिर देखो चमात्कार हो जाएगा । ” चम्पा ने कहा। 

“ तो फिर चम्पा तुम जल्दी चलो हमारे साथ , वैध जी के पास । ” चम्पा का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करते हुए कुलीन ने कहा ।

 

कुलीन अपनी बाइक स्टार्ट करता , पीछे चम्पा बैठती है , कुलीन और चम्पा दोनों वैध जी के पास जाते हैं , वैध जी अपने घर में बैठे शिल बट्टा पर जड़ी बूटी घोंट रहे है , कुलीन और चम्पा वहीं आ जाते हैं , कुलीन वैध जी को अपनी समास्या बताता है ।

 

“ वैध जी मेरे मम्मी पापा रोज लड़ते झगड़ते हैं कोई ऐसी दवा दीजिए कि दोनों में प्यार हो जाए । ” कुलीन ने कहा।

 “ हां हां क्यों नहीं , मैं तुम्हें चमात्कार की तरह काम करने वाली दवा देता हूं । ” मुस्कुराते हुए वैध जी ने कहा। 

 

वैध जी अपने आसन से उठ कर एक कमरे में चले जाते है और दवा की दो पुड़ियां लाते है ।

“ ये लो , अपने पापा मम्मी को खिला देना , दोनों में प्यार हो जाएगा । ” पुड़िया कुलीन को देते हुए वैध जी ने कहा । 

“ जी वैध जी , आप का बहुत बहुत धन्यवाद , अब मैं चलता हूं । ” कुलीन ने कहा ।

 

कुलीन पुड़िया अपनी जेब में रख कर चम्पा के साथ वैध जी के घर से बाहर आता है ।

 

” चम्पा मैं जा रहा हूं घर अपने मम्मी पापा को दवा खिलाऊंगा , अब तुम कालेज जा कर क्या करोगी तुम भी अपने घर जाओ , हम कल मिलेंगे ।” कुलीन ने कहा।

 “ नहीं , मुझे घर नहीं जाना , मुझे कालेज जा कर पढ़ाई करनी है , मैं तुम्हारी तरह अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ सकती , तुम मुझे कालेज छोड़ दो उसके बाद घर चले जाना । ” चम्पा ने कहा । 

“ ठीक है बैठो । ” कुलीन ने कहा।

 

चम्पा बाइक पर बैठ जाती है , कुलीन बाइक चलाते हुए वहां से चला जाता है । चम्पा को कालेज छोड़ कर अपने घर आता है । घर आकर देखता कि मम्मी पापा लड़ रहे हैं , कुलवंता लाजवंती लड़ते रहते हैं , लड़त हुए ही दोनों को कुलीन दवा खिला देता है , एक पुड़िया कुलवंता को और एक पुड़िया लाजवंती को । थोड़ी देर में कुलवंता और लाजवंती में दवा का असर शुरू हो जाता है , दोनों अपने आप लड़ाई बंद कर के सोफा पर जाकर बैठ जाते हैं ।

 

 “ चलो इन दोनों पर दवा का असर हो गया , अब इन में प्यार हो जाएगा । ” दोनों को बिना लड़े देख कर कुलीन ने कहा । 

 

थोड़ी देर शांत बैठने के बाद कुलवंता और लाजवंती उठ कर एक कमरे में चले जाते हैं और डडिया लेकर आ जाते हैं , और दोनों मिलकर डडिया खेलने लगते है ।

 

“ मम्मी पापा तुम दोनों लड़ने के लिए फिर डंडे लेकर आ गए ।” दोनों को डडिया खेलते हुए देख कर कुलीन ने कहा। 

“ ये डंडे नहीं डडिया हैं , हम दोनों डडिया खेल रहे हैं। कुलवंता ने कहा ।

 “ ठीक है , मम्मी पापा खेलों । ” कुलीन ने कहा ।

 

धीरे धीरे लाजवंती और कुलवंता में डडिया खेलते खेलते लड़ाई होने लगती है , दोनों एक दूसरे को गालियां देने लगते हैं और दोनों में मारपीट शुरू हो जाती है ।

 

“ दवाई का असर नहीं हुआ , इन दोनों का कुछ नहीं हो सकता , अब मैं क्या उपाय करूं । ” दोनों को लड़ते देख कुलीन ने कहा । 

“ तू कुछ मत कर , तेरे उपायों से हम लड़ना थोड़ी ना बंद करेंगे , अभी तो हम थक गए थे इसलिए रूक गए । ” लाजवंती ने कहा ।

“ लड़ों मरो मुझे क्या , मैं तो थक गया हूं तुम दोनों को समझाते समझाते । ” कह कर कुलीन अपने कमरे मे चला जाता है , और पलंग पर लेट कर चादर ओढ़ कर सो जाता है ।

 

कुलवंता और लाजवंती को लड़ते लड़ते शाम को जाती है , शाम को टूटी कालेज से घर आ जाती है , वह कुलवंता और लाजवंती को लड़ता देख कर , सीधे कुलीन के कमरे में जाती है ।

 

“ भाई तुम यहां आराम से सो रहे हो , मम्मी पापा लड़ रहे हैं उन्हें रोक नहीं सकते , और तुम कालेज से इतनी जल्दी क्यों आ गए मुझे छोड़ कर , मालूम है मुझे ऑटो से आना पड़ा , आज गोलू भी बाइक लेकर नहीं आया था । ” कुलीन को सोता देख चिल्ला कर टूटी ने कहा ।

 

कुलीन उठ कर पलंग पर बैठ जाता है और आंखें मलने लगता है ।

“ टूटी मैंने हर उपाय कर लिया लेकिन मम्मी पापा में प्यार नहीं हुआ । ” आँखें मलते हुए कुलीन ने कहा ।

“ उठो चलो अभी मम्मी पापा को अलग अलग कमरे में बंद कर देते हैं , नहीं तो ये एक दूसरे को मार ही देंगे । ” कमरे से निकलते हुए टूटी ने कहा ।

 

कुलीन भी उठ कर जाता है , टूटी लाजवंती को कुलीन कुलवंता को खींच कर अलग अलग कमरे में बंद कर देते है ।

 

अगले दिन सुबह , कुलीन रोज की तरह अपने घर में सोफे पर बैठा अखबार पढ़ रहा है , अखबार में खबरें पढ़ते पढ़ते उसकी नजर एक ऐंड पर जाती है । “ पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा चल रहा हो तो उन में प्यार करवाए , बाबा अलख निरंजन मंत्रों के द्बारा पति पत्नी में प्यार करवा देते है । ” कुलीन ने यह ऐंड अखबार में पढ़ा ।

उस के नीचे बाबा अलख निरंजन का पता लिखा रहता है , कालेज का समय हो जाता है , कुलीन और टूटी बाइक से कालेज जाते हैं । 

कालेज में कुलीन चम्पा से मिलता है और कहता “ उस वैध की दवा का कुछ असर नहीं हुआ , आज मैं एक बाबा को शाम को अपने घर लाऊंगा वह हमारे मम्मी पापा में प्यार करवा देगा । ” 

कुलीन और चम्पा बातें करते हैं , टूटी अपने बायफ्रेंड गोलू से मिलती है और बाते करती हैं ।

शाम को कुलीन कालेज से सीधा बाबा अलख निरंजन को लेने चला जाता है , गोलू अपनी बाइक से टूटी को घर छोड़ देता है ।

शाम का वक्त , कुलवंता का घर ।

कुलीन बाबा अलख निरंजन को ले कर आ जाते है ।

बाबा “ अलख निरंजन ” कहता हुआ कुलीन के साथ घर के अंदर घुसता हुआ जाता है ।

 “ बता बच्चा कौन है वो जिसमें प्यार करवाना है तूझे । ” घर के अंदर घुसते हुए बाबा ने कहा ।

“ मेरे मम्मी पापा । ” कुलीन ने जवाब दिया ।

“ तो उन दोनों को बाँध कर मेरे सामने लाओ । ” बाबा ने कहा ।

“ बाँध कर क्यों ? बाबा । ” टूटी ने बाबा के पास आकर पूछा ।

 “ अरे मूर्ख बालिका , मेरे मंत्र बँधे हुए लोगों पर काम करते हैं , खुले हुए लोग बीच में भाग सकते हैं और लड़ भी सकते हैं । बाबा ने कहा ।

“ जी बाबा , मैं अभी मम्मी को बाँध कर लाती हूँ । ” कह कर टूटी जाती है ।

“ मैं अभी पापा को बाँध कर लाता हूँ । ” कुलीन ने कहा ।

 

कुलवंता और लाजवंती दोनों एक कमरे में लड़ रहे हैं , टूटी रस्सी लेकर आती और लाजवंती को बाँधती है कुलीन भी रस्सी लेकर आता और कुलवंता को बाँधता है । टूटी लाजवंती को और कुलीन कुलवंता को बाँध कर बाबा के सामने बैठा देते है । बाबा अपने बैग से भभूत यानि कि राख निकाल कर कुलवंता और लाजवंती के ऊपर मंत्र पढ़ते हुए डाल देते है ।

 

“ अब इन दोनों को खोल दो इन में प्यार हो गया अब ये कभी नहीं लड़ेंगे । ” कुलवंता और लाजवंती के ऊपर सारी राख डाल कर बाबा ने कहा ।

 

कुलीन कुलवंता और लाजवंती को रस्सी से खोल देते है। दोनों प्यार से वहीं बैठ कर बातें करते हैं ।

 

“ अब ये कभी नहीं लड़ेंगे इन दोनों में पक्का और सच्चा प्यार हो गया , लाओ मेरी फीस दो ।” बाबा ने कहा । 

“ कीतनी फीस दूं आप को । ” कुलीन ने पूछा । 

“ पाँच हजार पाँच सौ इनकिआवन रूपए दो मुझे । ” बाबा ने कहा ।

“ बाबा आप का बहुत बहुत धन्यवाद , मेरी बहुत बड़ी मुसीबत दूर कर दी आप ने । ” रूपए देते हुए कुलीन ने कहा ।

 

बाबा पैसे लेकर गिनता है फिर जेब में रख कर चला जाता है । धीरे धीरे रात हो जाती है । कुलीन और टूटी अपने अपने कमरे में जाकर सो जाते है , कुलवंता और लाजवंती वहीं लेट कर सो जाते हैं ।

 

अगले दिन , सुबह कुलीन और टूटी जाग कर छत से देखते है कि कुलवंता और लाजवंती जोर से लड़ रहे हैं एक दूसरे के बाल पकड़ कर खींच रहे हैं , दोनों में मारपीट हो रही हैं । कुलीन और टूटी नीचे आते हैं , कुलीन कुलवंता को और टूटी लाजवंती को घसीट कर अलग अलग कुर्सी पर बैठा देते हैं । 

 

“ तुम दोनों में प्यार हो गया था , तुम दोनों लड़ने कैसे लगे।” कुलीन ने कहा । 

“ हम में कोई प्यार व्यार नहीं हुआ था , वो बाबा ने राख में कोई नशे की दवा मिला रखी थी ,हम दोनों को नशा हो गया था , हम दोनों बातें नहीं कर रहे थे बड़बड़ा रहें थे ।” कुलवंता ने कहा।

“ भाई इन दोनों को नशा ही करवा दिया करो , जब दोनों नशे में रहेंगे तो लड़ेंगे नहीं । ” टूटी ने कहा ।

“ कितना खर्चा आएगा मालूम है नशे में घर बिक जाएगा , चल कालेज के लिए तैयार होते है , नहीं तो लेट हो जाएंगे।” कुलीन ने कहा ।

 “ चल भाई । ” टूटी ने कहा ‌। 

“ शाला बाबा भी मुझे लूट कर चला गया । ” कहता हुआ कुलीन सीढियां चढ़ता हुआ ऊपर जाता है ।

 

टूटी अपने कमरे में, कुलीन अपने कमरे में चले जाते हैं, दोनों काॅलेज के लिए तैयार होते है। कुलवंता और लाजवंती वहीं कुर्सी पर बैठे हुए हैं, इतने में बाहर से दरवाजा जो कि पहले से ही बंद है, उस दरवाजे की घंटी बजती है, कुलवंता कुर्सी से उठ कर दरवाजे के पास आता है। 

 

“ कौन है भाया इतनी सुबह क्यों आया । ” दरवाजे के पास आकर कुलवंता ने कहा ।

बाहर से आवाज आती है “ मुझे किराए से कमरा चाहिए , मैं आप के घर में रहने आया हूँ । ” 

“ ओं ...  नया किराएदार आया है , साक्षात लक्ष्मी आई है लक्ष्मी । ” कुंदी खोलते हुए कुलवंता ने कहा ।

 

कुलवंता जल्दी से दरवाजा खोल देता है। 

 

“ आपका स्वागत है , अंदर आइए लक्ष्मी जी । ” अंदर आने का इशारा करते हुए कुलवंता ने कहा ।

“ मेरा नाम लक्ष्मी नहीं पोपटलाल है, तुम्हें दिखता नहीं मैं आदमी हूँ । ” अंदर आकर पोपटलाल ने कहा । 

 “ तो मैं ने तुम्हें औरत कब बोला श्रीमान जी । ” कुलवंता ने कहा ।

“ अभी अभी तुम ने कहा लक्ष्मी । ” पोपटलाल ने कहा । 

 “ पोपटलाल तू सच में पोपट है , लक्ष्मी का मतलब मुझे किराए के पैसे दो फिर मैं तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखाता हूँ।” कुलवंता ने कहा ।

“ किराए के कितने पैसे दूँ , मैं चार महीने के लिए रहने आया हूँ । ” पोपटलाल ने पूछा ।

“ चार महीने का बीस हजार दो , पाँच हजार महीने के हिसाब से। ” कुलवंता बोला । 

“ तुम्हारा नाम क्या है ? ” पोपटलाल ने पूछा । 

“ कुलवंता नाम है हमरा । ” कुलवंता ने बताया । 

 

पोपटलाल अपने थैले से अखबार निकाल कर कुलवंता को दिखाता है ।  

 देखिए कुलवंता जी इस अखबार में तुम्हारे घर का पता लिखा है, इसी से मैं यहाँ पर आया हूँ, और इसमें ये भी लिखा है कि किराएदार का आधा किराया माफ होगा जितने दिन वो यहाँ रहेगा उसके आधे दिन का ही किराया लगेगा, इस हिसाब से मेरे बीस नहीं दस हजार हो रहे है।” अखबार दिखाते हुए पोपटलाल ने कहा । 

“ काह को माथापच्ची करता है , मैं अनपढ़ आदमी हूं काह को अखबार दिखाता है , ला रे दस हजार ही दे । ”  कुलवंता ने कहा ।

 

पोपटलाल अखबार को अपने पजामे की जेब में रख लेता है और पजामे की दूसरी जेब से दस हजार रुपये निकाल कर कुलवंता को देता है। 

 

“ ये लो भइया , पूरे दस हजार रुपया । ” पैसे देते हुए पोपटलाल ने कहा । 

 

कुलवंता पैसे हाथ में ले पाता है कि इतने में लाजवंती कुर्सी से उठ कर आती है और कुलवंता के हाथ से पैसे छीन लेती है। 

 

“ पैसे तो मैं लूंगी ।” पैसे छीन कर लाजवंती ने कहा । 

 

लाजवंती पैसे हाथ में ले पाती है , इतने में टूटी आकर लाजवंती से पैसे छीन लेती है । 

 

“ पैसे तो मैं लूंगी ।” पैसे छीन कर टूटी ने कहा । 

 

टूटी पैसे हाथ में ले पाती है , इतने में कुलीन आकर टूटी से पैसे छीन लेता है। 

 

“ पैसे तो मैं ही लूंगा । ” पैसे छीन कर कुलीन ने कहा । 

 

कुलीन पैसे लेकर गिनता है और सारे पैसे जेब में रख लेता है , कुलवंता लाजवंती और टूटी देखते रहे जाते हैं। 

 

“ मैं तुम्हारा किराएदार पोपटलाल हूँ , पैसे रख लिए अब मुझे कमरा तो दिखाओ। ” पोपटलाल ने कहा । 

 “ पापा मैं और टूटी काॅलेज जा रहे है , तुम पोपटलाल जी को कमरा दिखा देना । ” कुलीन ने कहा ।  

 “ थोड़ा रुक जाओ , मैं तुम दोनों के लिए कुछ खाना बना दूँ , टिफिन लेकर जाना । ” लाजवंती ने कहा।

“ मम्मी हम स्कूल नहीं काॅलेज जा रहे है । ” टूटी ने कहा । 

 “ और एक बात याद रखना हम कभी भी आ सकते है , हमें लड़ते हुए मिले तो तुम दोनों इस दुनिया में नहीं मिलोगें।” तेज आवाज में कुलीन ने कहा ।

“ तो फिर किस दुनिया में मिलेंगे ? ” कुलवंता ने पूछा । 

“ झाननूम में मिलोगें । ” कुलीन ने कहा ।

“ चल भाई। ” टूटी ने कहा। 

“ चल टूटी । ” कुलीन ने कहा । 

 

कुलीन और टूटी बाहर बरामदा में आते वहाँ बाइक खड़ी रहती कुलीन बाइक स्टाट करता है , टूटी पीछे बैठती , दोनों बाइक से जाते हैं। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया 👌🏻👌🏻 कैरेक्टर्स के नाम बहुत interesting हैं।

6 अप्रैल 2022

रामजी दौदेरिया  Ramji Dauderiya

रामजी दौदेरिया Ramji Dauderiya

6 अप्रैल 2022

जी, धन्यवाद 🙏

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रचनाएँ
बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने - अनोखी प्रेमकथा ! लेखक रामजी दौदेरिया
5.0
लड़ाई झगड़ा हर पति पत्नी के बीच में होता है, शायद ही ऐसा कोई हो जिसके बीच में ना होता हो। लेकिन कुलवंता और लाजवंती की लड़ाई झगड़ा और प्यार की कहानी ही अनोखी है, जी हाँ कुलवंता और लाजवंती एक ऐसे पति पत्नी है जो हमेशा लड़ते झगड़ते रहते हैं। एक दूसरे से मारपीट करते रहते है, दोनों में लड़ाई झगड़े की आदत इस कदर है कि दोनों अपनी शादी की पहली रात सुहागरात में ही लड़ने झगड़ने लगते है। उसी दिन से दोनों प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा और मारपीट करते है, लेकिन किसी कारण एक दूसरे को तलाक नहीं दे सकते। कुलवंता लाजवंती को एक लड़का और एक लड़की है, लड़के का नाम कुलीन लड़की का नाम टूटी है। कुलीन और टूटी अपने मम्मी पापा से बहुत प्यार करते है और वह दोनों अपने मम्मी पापा में प्यार करवाना चाहते है और उनका लड़ाई झगड़ा हमेशा के लिए खत्म करना चाहते है। लेकिन जिस तरह धरती आसमान का मिलन नहीं हो सकता, नदी के दो किनारों का मिलन नहीं हो सकता उसी तरह कुलवंता और लाजवंती में प्यार होना असंभव है। फिर भी टूटी और कुलीन साम दाम दण्ड भेद हर तरह से कोशिश करते है लेकिन सारी कोशिशें करने के बाद भी कुलवंता और लाजवंती में प्यार नहीं होता... बाद में टूटी अपने बॉयफ्रेंड से और कुलीन अपनी गर्लफ्रेंड से शादी कर लेते है, लाजवंती टूटी के साथ रहने लगती है, कुलवंता कुलीन के साथ ही रहता है। लेकिन एक दिन टूटी का पति और टूटी लाजवंती को धक्के मार कर अपने घर से निकाल देते है, कुलीन कुलवंता की सारी प्रौपर्टी धोखे से अपने नाम करवा लेता है और बाद में कुलवंता को घर से निकाल देता है। अब कुलवंता और लाजवंती को एहसास होता है कि हम ने कुलीन और टूटी अनाथ बच्चों को पालपोस कर अच्छा नहीं किया। कुलवंता और लाजवंती अलग अलग बिछड़े जाते हैं। कुलवंता को नहीं पता की लाजवंती कहाँ होगी, लाजवंती को भी नहीं पता की कुलवंता कहाँ होगा। क्या दोनों मिल पाएगें अगर मिल भी गए तो क्या दोनों में प्यार हो पाएगा, क्या टूटी और कुलीन अपने मम्मी पापा में फिर से प्यार करवाने की कोशिश करेंगे, अगर करेंगे भी तो क्या सफल हो पाएगें। जानने के लिए पढ़े रहस्य से भरी हुई पूरी कहानी...
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बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने अनोखी प्रेम कथा रामजी दौदेरिया अध्याय ७ मैनेजर बोला “ हां , तुम ने बहुत बड़ी भूल ... “ अरे साहब हम ने कोई बड़ी भूल नहीं की है । ” बीच में कु

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वादा किया

6 अप्रैल 2022
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बिछड़े तब जाने भूले मन पछताने अनोखी प्रेम कथा रामजी दौदेरिया अध्याय ८ गोलू का घर , गोलू टूटी पलंग पर सो रहे हैं , अचानक टूटी की आँख खुलती है वह उठ कर पलंग पर बैठ जाती है , वह ह

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