शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h
हिंदी रचनाएं और कविताएं
I & THE MIRROR Poem have been made through this book on different topics. Most poems will make people positive and the way of living life will change, just like… Our Aim, Let’s Fly, The Bird Baby, The Draw Stra
माना की कलम से वार होगा, नारी को न समझने वालों पर प्रहार होगा। समझो तो मैं एक नारी हूं, नहीं तो सब पर भारी हूं, मैं काली हूं मैं चंडी हूं, इतिहास उठाकर देख लो मैं विजय की झंडी हूं। मुझे कठपुतली ना समझो मैं मिताली हूं तो पी वी सिंधु हूं, मैं शक्
इश्क ही इबादत इश्क ही खुदा है, इश्क के परिंदे हम हमारी बात ही जुदा है। प्यार मोहब्बत की कविताएं और शायरी पढ़ने की अगर आप शौकीन हैं तो यह किताब आपके लिए बिल्कुल सही हैं।
जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था
सबकी अपनी अपनी कहानी होती है किसी की छोटी तो किसी बड़ी पर होती सबकी है उसमे संघर्ष भी होते है खुशियों के साथ दुख भी होते है किसी के छोटे तो किसी के बड़े पर सबकी की अपनी अपनी कहानी होती है किसी की छोटी तो किसी की बड़ी उसमे चलना भी होता है ,ठहर
की बैठा हूँ बाजार में कोई तो मेरा दिल का मोल दो टूटा हुआ है दिल मेरा कोई तो उसको जोड़ दो। वो कहते है बिकते है बाजार मे हजारो दिल तुम्हारे जैसे उसने तोड़ा है दिल मेरा कोई तो उसका दिल तोड़ दो।।
युवाओं को जातिवाद छोड़कर मिलजुल कर देश प्रेम के प्रति जागरूक क्या गया है!
मुसाफिर भटकते हुए खुद ही अपनी जिंदगी की तलाश करते रहते है लेकिन कभी-कभी वही मुसाफिर जब अपनी राह भटक जाता है, तो उसे किसी राहगीर की ही तलाश होती है उसे ऐसे किसी मसीहा की सख्त जरूरत होती है जो उसकी जिंदगी में मार्गदर्शन कर सके।।
महाभारत के अमर पात्र अभिमन्यु के शौर्य को समर्पित एक कविताओं
“लाज़” एक शब्द नही बल्कि औरत का वह कीमती आभूषण है , और समाज औरत को यह शिक्षा देता है कि वह पूरे जीवन इसकी रक्षा करे, पर ऐसा देखा गया है कि जो समाज औरत को यह शिक्षा देता है, औरत को उसी समाज से अपनी लाज़ को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। यह रचना समा
घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें, पर सबकी नजरों से ना, बच पायें जगह - जगह अपनी, बात फैलायें घर का
( **धर्मपुरा** (कहानी प्रथम क़िश्त ) दुर्ग ज़िले के धमधा तहसील में एक छोटा सा गांव है धर्मपुरा । इस गांव का नाम धर्मपुरा कैसे पड़ा इसके पीछे एक कहानी है । उस गांव के कई बुजुर्ग बताते हैं कि आज से सौ वर्ष पूर्व यहां के अधिकान्श खेतों व मेढों म
प्रतिदिन हम आप ज्योहीं अखबार के पन्ने पलटते हैं पाते हैं अखबार का दो से तीन पेज घरेलू हिंसा के खबरों से पटा रहता है, कहीं पति ने पत्नी का क़त्ल किया, कहीं पत्नी ने पति का. कहीं दोनों परिवार एक दूसरे पर केस डाल दिया, तो कहीं पत्नीं अपने बच्चों समेत ट्
मणि जैसा रूप है तेरा , जो करता प्रकाश । कैसी यह लगन लगाई मन में , कैसी लगाई आस।
भगवान शिव के भक्तों/ महाकाल के भक्तों को समर्पित शायरी😍