मेरी ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में एक व्यक्ति जिसे अपने पिता की दी हुई अंगूठी से अत्यधिक लगाव होता है ,उसकी वो अंगूठी चोरी हो जाती है और वो अंगूठी चोरी का इल्ज़ाम घर की नौकरानी जिसका नाम कमला है ,उसे जेल भिजवा देता है। क्या सच मे
समय का चक्र जिस पर चलता है उसका बर्बादी निश्चित है !ऐसे भी कहा गया है "-समय का मारा क्या करे बेचारा ,बुद्धि छीन हो जाता है, कोई भी सहारा न कर पता है !एक कहानी सत राजा हरिश्चंद्र का है -जिन्हे राजा होते हुए भी एक दिन ऐसा हुआ की डोम घर बिकना पड़ा था !
"काव्यांजलि " यह पुस्तक विभिन्न मनोभावों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का सतत् प्रयास करने की कोशिश की गयी है। प्रत्येक पलों को अनेक रंगों से सुसज्जित कर सभी रसों को एक साथ करने का प्रथम प्रयास है, मां सरस्वती को ध्यान कर लेखनी को गति देने का प्रय
बस यूं ही कुछ! --------------------- "बस यूं ही कुछ" मेरी 'शब्द इन' पर आने लाईन प्रकाशित होने वाली सत्रहवीं किताब तथा पंद्रहवीं कविता संग्रह है।जैसा शिक्षक है उसी के अनुरूप ही इस संग्रह में ऐसी रचनाएं, संग्रहित हैं जो मन में आये चृते
वैसे देखे तो सभी के जीवन में एक कहानी होता है किन्तु सभी असहज महसूस करते हैं उन्हें और को बताने में । मै भी उन्हीं में से एक हूं , किन्तु हां ये बात और है कि मै अपनी कहानी आपको आज बताने का मन बना लिया हूं । मै इस क्षेत्र में बिल्कुल नया हूं तो मैं अप
पेड़ों की सुरक्षा और उनकी देखभाल
(भूमिका) सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों को 👉 इस पुस्तक में लिखी गई है आपकी बॉडी पासवर्ड क्या है आप इसके बारे में जरूर जानेंगे मुझे आशा है कि आपकी यह अनोखी जानकारी होगी, यह मेरे बचपन से अनुभव की गई बातें हैं जो आर्टिकल्स के द्वारा तथा कुछ विज्ञा
राधिका पढ़ लिखकर एक अच्छा काबिल ऑफिसर बनना और अपने घर को चलाना यह बस एक ड्यूटी है पर जो प्रथाएं जो रूढ़ि वादियां यह सब चीज औरत पर ही डाली जाती है भलाई वह गलत हो या सही है राधिका भी उनमें से एक थी और उसके ऊपर भी यह सब चीज डाली गई संपूर्ण संपन्न जो हर
रायपुर के सेठ रतन लाल जी के तीन बेटे थे। जिसमे से बड़े बेटे नीलम उनके ही सोने चांदी के व्यापार में अपना हाथ बंटाने लग गये। मंझले बेते पुखराज बिल्डर बनने की राह में अग्रसर हो गया। वहीं उनका तीसरा सुपुत्र अध्यापन व लेखन के क्षेत्र में आगे बढने की
दिल में उठते हुए तूफ़ान को शब्दों में पिरोने की भरसक कोशिश पुराने फिल्मी गीतोंके सहारे अपनी बात आप तक पहुंचाने का प्रयास जिसके लिए मैं गीतकार, संगीतकार उससे जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति का मैं आभार व्यक्त करतीं हूं।
मैं हूं आई ए एस कि कहनी बड़ी डिल्चप्स की कैसे पार्वती अपनी मंजिल को कैसे छुलेती हैं। दुनिया वालो के मुंह में ताला लगजाता है। आज का समाय ऐसा होगया की समाज को बदलना बड़ा जरूरी होगया है और यह कहानी समाज को बदलने की प्रेरणा है। आज कल हमारे समाज मैं कोई क
पिने बैठा हू, साथ मै गम लिये!.................... ग्लास मै पानी, सोडा
रचनाएं बहुत सारी लिखी गई हैं। आगे भी लिखी जाएंगी। कुछ छंद बद्ध,कुछ मुक्त छंद,तुकांत कविता,अतुकान्त कविता अलग अलग छंदों, मुक्त छंद की रचनाओं का प्रकाशन किया जाएगा।
एक अध्यापक के पास बेटो की कमी नहीं होती
मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूं--'मां तुम ही हो'। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में दिखाया गया है कि सौतेली मां भी सगी मां की तरह बच्चे को प्यार दे सकती है ये एहसास एक व्यक्ति को होता है । बहुत खूबसूरत कहानी आपको पढ़कर अच्
मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मैंने इस कहानी में ये बताने का प्रयास किया है कि पति-पत्नी के रिश्ते की नीव विश्वास पर ही टिकी होती है और इस रिश्ते को निभाने के लिए विश्वास करना चाहिए।
प्रस्तुत पुस्तक अजय मौर्य ‘बाबू’ की डायरी बीते हुए लम्हे, गुजरे हुए दिनों की वो अमानत है, जो वर्षों तक डायरीनुमा तिजोरी में बंद रही. अब पुस्तक की शक्ल में आप तक पहुंचने को बेताब है. स्कूल के दिनों में बालपन को पीछे छोड़ किशोरावस्था की ओर जाते हुए गुन
मेरी स्वयं रचित कविताओं का संकलन जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की है।