मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मैंने इस कहानी में ये बताने का प्रयास किया है कि पति-पत्नी के रिश्ते की नीव विश्वास पर ही टिकी होती है और इस रिश्ते को निभाने के लिए विश्वास करना चाहिए।
प्रस्तुत पुस्तक अजय मौर्य ‘बाबू’ की डायरी बीते हुए लम्हे, गुजरे हुए दिनों की वो अमानत है, जो वर्षों तक डायरीनुमा तिजोरी में बंद रही. अब पुस्तक की शक्ल में आप तक पहुंचने को बेताब है. स्कूल के दिनों में बालपन को पीछे छोड़ किशोरावस्था की ओर जाते हुए गुन
मेरी स्वयं रचित कविताओं का संकलन जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की है।
मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्
एक कथा महायुद्ध की एक कथा कलयुग के प्रपच की एक कथा कलयुग के उदय की एक महान राजा की
यह किताब एक मन की व्यथा को अल्फ़ाज़ों के साथ पिरोती हुई हमारे जीवन की वास्तविक परिस्थिति को प्रदर्शित करती हुई एक अनमोल रचना हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से आपको ग्रामीण जीवन में वर्तमान में होने वाले जातिगत भेदभाव की स्थिति को दर्शाया गया है। क्या वास्तव में डूम ( दलित) जाति के लोग इस भेदभाव से बचना चाहते भी हैं या वे इसमें खुश हैं। देखिए एक झलक इस कहानी में, जहां आपको एक गांव के
सैकड़ों वर्षों की हिंदुओं की आस्था एवं विश्वास व हिंदुत्व भावना के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मंदिर निर्माण के आनंद में ओत प्रोत अवध नगरी के जनमानस की भावनाओं का वर्णन
प्रेम और बेवफाई से भरी रहस्यों से भरी कहानी
मिलती नजरों का मुस्कुराना झुकती नजरों का शरमाना😊 संग संग हर लम्हा खिलखिलाना वक्त बेवक्त एक दूजे में डूब जाना
मैं जो कल था मैं आज भी हूं मैं आसमान में टिमटिमाते सितारे जमीन में खिलता गुलाब भी हूं जिन्दगी को तलाशता एक कारवां भी हूं पहचान नहीं है मेरा फिर भी एक अरमान हूं मैं झरने में बहता पानी हूं समन्दर से मिलने का एक सपना हूं जो कभी नहीं बदलता एक हकीकत भ
कुछ बातें सच्ची दूसरों को समझाने में सभी को लगे अच्छी शब्द वो दिखाए सच के आइने बातें जो समझाए सच्चाई के मायने अपनी जीवन में क्यों न इन्हे उतारे दूसरों से पहले खुद को क्यों न सुधारे दखल अंदाज़ी करना सब को भाए खुद गलती कहा किसी को नज़र आए
इन आभासी पन्नों के भीतर, तुम मानव हृदय के असंख्य रंगों का सामना करोगे - इसके कंपन, इसकी खामोशी और प्रेम हेतु इसकी अतृप्त प्यास। प्रत्येक कविता एक आत्मनिरीक्षण है, अनुभव है और जीवन की व्यर्थता की प्रतिध्वनि है। यह काव्य संग्रह (जो अभी ज़ेर-ए-तामीर है),
जयश्रीकृष्ण पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। आज मै अपनी पुस्तक "संदीप की कलम से" लेकर आपके बीच उपस्थित हुआ हू। यह मेरी पहली किताब की शक्ल अख्तियार कर रही प्रस्तुति है जो मै अपनी परम आदरणीय माता जी "श्री श्रीमति सुषमा शर्मा जी" को सादर स्नेह के साथ अ
ग्राम धर्मपुरा के एक मेहनतकस किसान की खुद की कमाई हुई खेती की जमीन को उसका छोटा भाई गांव के सरपंच व पटवारी के साथ मिलकर एक सरकारी प्रोजेक्ट के तहत एक कंपनी को कानूनी रूप से अधिग्रहीत करवा देता है और खुद बड़ा भाई बनाकर सारा पैसा उठाकर हजमा कर लेता ह
शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h
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