सैकड़ों वर्षों की हिंदुओं की आस्था एवं विश्वास व हिंदुत्व भावना के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मंदिर निर्माण के आनंद में ओत प्रोत अवध नगरी के जनमानस की भावनाओं का वर्णन
सबकी अपनी अपनी कहानी होती है किसी की छोटी तो किसी बड़ी पर होती सबकी है उसमे संघर्ष भी होते है खुशियों के साथ दुख भी होते है किसी के छोटे तो किसी के बड़े पर सबकी की अपनी अपनी कहानी होती है किसी की छोटी तो किसी की बड़ी उसमे चलना भी होता है ,ठहर
इस किताब को मैने स्वयं लिखा है।इस किताब में मेने मोहब्बत ,प्यार,धोखा तथा समाज में चल रही समस्याओं को चार पंक्तियों में बांधने का प्रयास किया है।
जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था
नमस्कार पुस्तक नाम - वीणा की झनकार परिचय - इस पुस्तक में आपको कवि विमल कुमार प्रजापति के द्वारा स्वरचित कविता गीत और कुछ मुक्तक मिलेगे। जिनमे से कुछ प्रेरणा पद और अधिकतर मोहब्बत के मुक्तक एवं शायरी मिलेंगी। आप लोग मेरे इन मुक्तकों को पढ़िए और दिलपूर
रामभरोसे एक छोटा किसान है। दिर्ग शहर के बाहर के हिस्से में 5 एकड़ जमीन है।जिसे दुर्ग नगर निगम कानूनी रूप से अधिगृहित किये बिना अपने कब्जे में लेकर एक बगीचा बनाना प्रारंभ कर देता है। राम भरोसे इसके विरोध मेँ कै जगह गुहार लगाता है। पर कहीं उसकी सु
स्वयं बच्चन ने इन सबको एक साथ पढ़ने का आग्रह किया है। कवि ने कहा है : ''आज मदिरा लाया हूं-जिसे पीकर भविष्यत् के भय भाग जाते हैं और भूतकाल के दुख दूर हो जाते हैं...., आज जीवन की मदिरा, जो हमें विवश होकर पीनी पड़ी है, कितनी कड़वी है। ले, पान कर और इस म
सांध्यगीत महादेवी वर्मा का चौथा कविता संग्रह हैं। इसमें 1934 से 1936 ई० तक के रचित गीत हैं। 1936 में प्रकाशित इस कविता संग्रह के गीतों में नीरजा के भावों का परिपक्व रूप मिलता है। यहाँ न केवल सुख-दुख का बल्कि आँसू और वेदना, मिलन और विरह, आशा और निराशा
मधुकलश हरिवंश राय बच्चन की एक कृति है। श्रेणी:हरिवंश राय बच्चन. हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक है
इसमे स्त्री की विमर्शता एवं मन के भावो को अपनी क़लम के माध्यम से व्यक्त किया हैं.
घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें, पर सबकी नजरों से ना, बच पायें जगह - जगह अपनी, बात फैलायें घर का
की बैठा हूँ बाजार में कोई तो मेरा दिल का मोल दो टूटा हुआ है दिल मेरा कोई तो उसको जोड़ दो। वो कहते है बिकते है बाजार मे हजारो दिल तुम्हारे जैसे उसने तोड़ा है दिल मेरा कोई तो उसका दिल तोड़ दो।।
जब मेरे शब्द मन के भावों से सन कर काव्य रूप में कागज पर उतर जाएं तो काव्य मंजरी की रचना होती है।
शायद आपके विचार से अधिक कामकाजी लोग अपना अधिकांश समय रोजगार से संबंधित स्थिति में दूसरों के साथ बिताते हैं। और, जब तक कि वे भाग्यशाली न हों, इन व्यक्तियों को यह चुनने का मौका नहीं मिलता कि उनके सहकर्मी कौन हैं। https://bit.ly/3QRb93X
कवि जब अपने में खो जाता है समंदर सा गहरा हो जाता है अपनों से क्या नाता गैरों से भी रिश्ता जोड़ जाता है कवि प्रदीप कुमार सहारनपुर शाकुंभरी देवी
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों का तानाबाना दिया। उनकी महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामि
इस किताब मे में आपको कुछ अनकही हकीकत से रूबरू करवाऊंगा
किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं
एक बड़े साहित्यकार कृष्ण कुमार के जयंती के अवसर पर वह जीवित मिल जाते हैं ,पर विछिप्त अवस्था में ,और मिलने के कुछ ही क्षण बाद ही उनकी मृत्यु भी हो जाती है ,