शब्द-शब्द फूल बन कविता की बेल में गुँथा लहरा रहा द्रुम डाल पर उन्मुक्त और मुक्त इस अनुपम सृजन की सराहना कर ।। राघवेन्द्र कुमार "राघव"
यह पुस्तक मेरी कविताओं का यह पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह जिसमें जीवन अध्यात्म सामाजिक और स्त्री विमर्श से संबंधित कविताएं मैंने लिखी हैं। आशा करती हूं आप सभी को पसंद आएंगी।
‘मैं समय हूँ’ यह पुस्तक बेस्टसेलर्स ‘मैं मन हूँ’, ‘मैं कृष्ण हूँ’ और ‘101 सदाबहार कहानियां’ के लेखक तथा स्पीरिच्युअल सायको-डाइनैमिक्स के पायनियर दीप त्रिवेदी ने लिखी है। मनुष्यजीवन को गहराई से समझने और समझाने वाले दीप त्रिवेदी ने विश्व की अंतिम और
‘सुख और सफलता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन वो इसे पाने से चूक जाता है’, ये कहना है विख्यात लेखक और वक्ता श्री दीप त्रिवेदीजी का जिन्होंने ‘मैं मन हूँ’ नामक किताब लिखी है। मन के बाबत कम ज्ञान उपलब्ध होने के कारण वो अक्सर ऐसी गलतियां कर बैठत
संसार के 20 महान व्यवसायी, जिन्होंने 20 विश्वविख्यात ब्रांडस की स्थापना की! उनकी सफलता के मंत्र क्या हैं? उनके मन में कौन सा नायाब विचार आया, जिसकी बदौलत वे शिखर पर पहुँचे? इस पुस्तक में अमेजान से लेकर वालमार्ट तक 20 लोकप्रिय ब्रांडस की सफलता के मंत
भाग्य एक बहुचर्चित और अति दिलचस्प विषय है, परंतु इसके बाबत बहुत ही कम ज्ञात है. ‘भाग्य’ शब्द, उसकी कार्यप्रणाली तथा मनुष्य-जीवन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव के बाबत अनगिनत सवाल खड़े होते हैं. लेकिन भाग्य वाकई में है क्या? क्या भाग्य का वास्तव में कोई अस्त
इस प्रेरक और सक्षम पुस्तक में शेट्टी संन्यासी के रूप में अर्जित ज्ञान का लाभ लेकर हमें सिखाते हैं कि हम अपनी क्षमता और शक्ति की राह में आने वाले अवरोधों को कैसे हटा सकते हैं। प्राचीन बुद्धिमत्ता और आश्रम के समृद्ध अनुभवों को मिश्रित करने वाली यह पुस्
"लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं, 'बुद्ध ने कहा इच्छा न करो। लेकिन आप तो कहते हैं-सारा कुछ पाने की इच्छा करो। यह विरोधाभास क्यों है?' जो अपने जीवन-काल के अंदर समस्त मानव-जाति को ज्ञान प्रदान करने की इच्छा करते रहे, क्या उन्होंने लोगों को इच्छा का त्याग करन
जीवन के कई पहलू हैं- परिवार, रिश्ते, शिक्षा, कैरियर, रोजगार, स्वास्थ्य और न जाने कितनी ऐसी चीजें, जिन पर निर्भर होती है हमारी खुशहाली और कामयाबी। समय की धारा में बहते, हम इनमें कहीं न कहीं उलझते, अटकते और लडख़ड़ाते रहते हैं। जीवन-सागर में ऐसी भी लहरें
इसमें सप्ताहिक प्रतियोगता के सम्बंधित आर्टिकल पब्लिश हैं
यह मानव कौल द्वारा लिखा 12 हिंदी कहानियों का संग्रह है। लोग मानव को एक नाटककार, नाटक-निदेशक, फिल्म अभिनेता, निर्देशक आवाम लेख के तौर पर पहचानते रहे हैं। मगर हिंद युगम पहली बार इनकी कहानियों को पाठक के लिए आया है। ठीक तुम्हारे पीछे मानव कौल का पहला क
आनंद आपका हमेशा का संगी-साथी बन जाए, यही इस पुस्तक का उद्देश्य है। इसे एक वास्तविकता बनाने के लिए यह पुस्तक आपको कोई उपदेश नहीं, बल्कि एक विज्ञान भेंट करती है; कोई शिक्षा नहीं, बल्कि एक तकनीक भेंट करती है, कोई नियम नहीं, बल्कि एक मार्ग भेंट करती है।
”मन का मौन परिमेय नहीं है, उसे मापा नहीं जा सकता। मन को पूरी तरह से खामोश होना होता है, विचार की एक भी हलचल के बिना। और यह केवल तभी घटित हो सकता है, जब आपने अपनी चेतना की अंतर्वस्तु को, उसमें जो कुछ भी है उस सब को, समझ लिया हो। वह अंतर्वस्तु, जो कि आ
अपनी इस विशिष्ट पुस्तक में बेस्टसेलिंग लेखक, लीडरशिप कोच और पुराण-विद्या विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनाइक बताते हैं कि किस प्रकार वस्तुनिष्ठता के आवरण के बावजूद आधुनिक प्रबंधन की जड़ें पश्चिमी मान्यताओं में हैं, जो कठोर उद्देश्यों को प्राप्त करने व शेयरहोल्ड
1981 में ज़ानेन, स्विट्ज़रलैंड तथा एम्स्टर्डम में आयोजित इन वार्ताओं में कृष्णमूर्ति मनुष्य मन की संस्कारबद्धता को कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग की मानिंद बताते हैं। परिवार, सामाजिक परिवेश तथा शिक्षा के परिणाम के तौर पर मस्तिष्क की यह प्रोग्रामिंग ही व्यक्
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की